यूक्रेनी सेना पूर्वी सीमा से सटे रूस के कुर्स्क क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ती जा रही, भीषण हमलों से किस दुविधा में फंसे पुतिन

यूक्रेन
पिछले करीब ढाई साल से चल रहे यूक्रेन-रूस जंग में पहली बार यूक्रेन का पलड़ा भारी दिख रहा है। यूक्रेनी सेना पूर्वी सीमा से सटे रूस के कुर्स्क क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ती जा रही है। यूक्रेन की सेना के कमांडर ओलेक्सांद्र सिरस्की ने कहा है कि उनके सैनिकों ने अब तक कुर्स्क क्षेत्र में 74 बस्तियों पर कब्जा कर लिया है। इसके अलावा पिछले 24 घंटे में और 40 वर्ग किलोमीटर (15 वर्ग मील) क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल कर लिया है। यूक्रेन इससे पहले रूस के 1000 KM क्षेत्र पर कब्जा का दावा कर चुका है। अब यूक्रेन ने रूसी क्षेत्र में अपनी घुसपैठ को आगे बढ़ाने के लिए रूस के दक्षिणी क्षेत्रों पर रात भर ड्रोन और मिसाइल से हमला किया है। इस बीच, रूस ने बुधवार सुबह बताया कि उसने रात भर में 117 यूक्रेनी ड्रोन और कई मिसाइलों को नष्ट कर दिया है, जिनमें से ज़्यादातर कुर्स्क, वोरोनिश, बेलगोरोड और निज़नी नोवगोरोड क्षेत्रों में आ रहे थे। बता दें कि 6 अगस्त को स्थानीय समयानुसार सुबह 5:30 बजे, 1,000 से अधिक यूक्रेनी सैनिकों ने रूस की सीमा पार कर कुर्स्क क्षेत्र में आक्रमण शुरू कर दिया था और कई गांवों पर कब्जा कर लिया था।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने भी कहा कि उनकी सेना कुर्स्क में आगे बढ़ रही है और उन्होंने अपने सैन्य जनरलों को ऑपरेशन में अगले महत्वपूर्ण टारगेट हासिल करने का आदेश दिया है। कीव दावा कर रहा है कि रूस के कम से कम 1,000 वर्ग किलोमीटर (386 वर्ग मील) भूखंड पर उसका नियंत्रण है। उधर, मॉस्को इसका खंडन कर रहा है और जोर देकर कह रहा है कि यूक्रेनी कब्जे में वास्तविक क्षेत्र इसका लगभग आधा है।

पुतिन की दुविधा क्या?
हालांकि, यह भी साफ है कि कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन के सैन्य प्रभुत्व ने जहां करीब 200,000 लोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों से भागने को मजबूर कर दिया है, वहीं रूस के लिए खतरे का नया अलार्म भी बजा दिया है। बेलगोरोड क्षेत्र के गवर्नर ने बुधवार को यूक्रेन द्वारा लगातार बमबारी को दोषी ठहराते हुए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी। उधर, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारी दुविधा में फंस गए हैं। उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि वह पहले अपने क्षेत्र की रक्षा करें या यूक्रेन में आगे हमला करें। बड़ी बात यह भी है कि रूस ने हाल के महीनों में कुर्स्क क्षेत्र से ही विमान रोधी मिसाइल, तोप, मोर्टार, ड्रोन, 255 ग्लाइड बम और 100 से अधिक मिसाइलों से दो हजार से अधिक हमले यूक्रेन पर किए हैं।

अगर पुतिन कुर्स्क क्षेत्र की रक्षा करने का फैसला लेते हैं तो इसके लिए उन्हें बड़े पैमाने पर सेना की तैनाती करनी होगी और इस काम के लिए यूक्रेन में तैनात सैनिकों को वापस बुलाना होगा। इससे यूक्रेन में उनकी रणनीतिक बढ़त खत्म हो जाएगी। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो यूक्रेन रणनीतिक रूप से कुर्स्क में और आगे बढ़ सकता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की इसी रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं। इस बीच अमेरिका के विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने साफ किया है कि अमेरिका कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन के सैन्य अभियान के किसी भी पहलू में शामिल नहीं है।

द्वितीय विश्व युद्ध की याद क्यों?
अल जजीरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ जानकारों का मानना ​​है कि रूस पर यूक्रेन का हमला द्वितीय विश्व युद्ध की याद दिला रहा है क्योंकि तब से अब तक किसी भी विदेशी सेना ने रूस पर इतना बड़ा हमला नहीं किया था। जानकारों के मुताबिक, यूक्रेन का हमला इस युद्ध की दिशा और दशा के बदल सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी मंगलवार को कहा कि यूक्रेन ने व्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ी दुविधा पैदा कर दी है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी कहा कि यूक्रेन ने बड़े पैमाने पर उकसावे की कार्रवाई की है और नागरिक ठिकानों पर अंधाधुंध गोलीबारी की है। वहीं, कुर्स्क क्षेत्र के कार्यवाहक गवर्नर एलेक्सी स्मिरनोव ने सोमवार को कहा कि हमले में 12 नागरिक मारे गए हैं और 121 अन्य घायल हुए हैं, जिनमें 10 बच्चे भी शामिल हैं। एक अमेरिकी अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि की है कि कुर्स्क पर यूक्रेन का हमला यूक्रेन से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए मजबूर करने के लिए किया गया है। बता दें कि फरवरी तक यूक्रेन-रूस जंग में सैकड़ों बच्चों समेत 10,000 से अधिक यूक्रेनी नागरिक मारे गए हैं। रूसी हमले में स्कूल, अस्पताल और अन्य प्रमुख बुनियादी ढांचे भी नष्ट हो गए हैं।

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