रायसेन में बाघ का आतंक, 130 वन कर्मचारी, पांच हाथी और पांच डाक्टर तलाश कर रहे
भोपाल
रायसेन जिले में एक ग्रामीण का शिकार करने वाला बाघ वन विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संसदीय क्षेत्र में बाघ के आतंक से परेशान आमजन ने बाघ को जल्द पकड़ने की मांग की। जिसके बाद शिवराज ने मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव को पत्र लिखकर रायसेन के बाघ को आदमखोर बताया है और उसे जल्द पकड़कर अन्यत्र स्थान पर छोड़ने की बात कही है।
लेकिन वन विभाग इसे आदमखोर नहीं मान रहा है, हालांकि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद रायसेन क्षेत्र में 130 वन कर्मचारी, पांच हाथी और पांच डाक्टर तैनात कर दिए गए हैं। जो बाघ की तलाश कर रहे हैं। बता दें कि रायसेन जिले के अंतर्गत आने वाले नीमखेड़ा क्षेत्र में बाघ ने एक ग्रामीण पर हमला कर उसे मार दिया था। ग्रामीण जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने गया था कि तभी बाघ ने उसपर हमला कर दिया।
15 मई को नीमखेड़ा निवासी मनीराम जाटव की जंगल में क्षत-विक्षत शव मिला था। वन विभाग ने किसी बड़े जंगली जानवर द्वारा शिकार की आशंका जताई थी, हालांकि विभाग ने स्पष्ट रूप से किसी जानवर का नाम नहीं बताया था। गुरुवार को मनीराम का जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया, जिसमें वन्य प्राणी विशेषज्ञ डा. प्रशांत देशमुख भी मौजूद रहे।
पोस्टमार्टम के बाद उन्होंने शव पर मिले निशान के आधार पर इस बात की पुष्टि की है कि मनीराम बाघ का शिकार बना है। वहीं वन विभाग ने वन अधिनियम के तहत मनीराम के बेटे दीपक जाटव को आठ लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी है और नीमखेड़ा सहित उसके आसपास के क्षेत्र में तेंदूपत्ता तोड़ने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। मु़नादी कराकर लोगों से अकेले जंगल में बहुत अधिक अंदर न जाने की हिदायत दी गई है। मनीराम के अकेले होने पर यह दुर्घटना हुई है।
केवल एक ग्रामीण का शिकार कर लेने से बाघ आदमखोर नहीं हो जाता। इस घटना के बाद बाघ ने किसी अन्य व्यक्ति पर हमला नहीं किया है। हम बाघ की तलाश कर रहे हैं। 130 वन कर्मियों की टीम, पांच हाथी और पांच डाक्टर बाघ की तलाश में जुटे हैं। मैं स्वयं इसकी प्रतिदिन मानिटरिंग कर रहा हूं। – अतुल श्रीवास्तव, वन्य प्राणी अभिरक्षक, मप्र वन विभाग