यूपी की मैनपुरी सीट पर अर्से से सपा का कब्जा, डिंपल की सीट मैनपुरी में भाजपा के जोर लगाने से रोचक हुई लड़ाई

मैनपुरी
यूपी की मैनपुरी सीट पर अर्से से सपा का कब्जा है। भाजपा इस बार अपना परचम लहराने को बेताब है। इसके लिए ताकत झोंक दी है। योगी सरकार में मंत्री जयवीर सिंह को सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के सामने उतारा है। इससे यहां की लड़ाई रोचक हो गई है। यूपी में यह एकमात्र सीट है जिस पर पिछले तीन दशक में किसी लहर का असर नहीं रहा और सपा हमेशा जीतती रही। इस बार मोदी की गारंटी और मुलायम की विरासत के बीच यहां मुकाबला हो रहा है।

मैनपुरी उन पांच सीटों में से एक है जिन्हें सपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भी जीता था। साल 2022 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनकी बहू डिंपल यादव ने उपचुनाव में यह सीट जीती थी। सीट बरकरार रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रही डिंपल यादव को मुलायम सिंह यादव द्वारा किए गए कार्यों से उम्मीदें हैं। साथ ही वह चुनावी सभाओं में लोगों को याद दिलाती हैं कि उनका एकमात्र उद्देश्य मुलायम सिंह के पदचिन्हों पर चलकर उनकी विरासत को आगे बढ़ाना है।

डिंपल यादव की बेटी अदिति यादव अपनी मां के लिए अलग से प्रचार कर रही हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने पीटीआई-भाषा से कहा कि लोग बदलाव चाहते हैं… वे इस बार सत्ता में बदलाव के लिए वोट कर रहे हैं। भाजपा की दबाव की राजनीति के कारण समाज का हर वर्ग परेशान है। लोगों को हर स्तर पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। डिंपल यादव के मैनपुरी से नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान यादव परिवार की एकता देखने को मिली। इस दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के अलावा उनके चाचा रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव भी उनके साथ थे। कुछ स्थानीय निवासियों के अनुसार, डिंपल यादव मैनपुरी में अपने प्रतिद्वंद्वियों पर स्पष्ट बढ़त बनाए हुए हैं।

बेवर के गग्गरपुर निवासी गौरव यादव ने कहा कि यहां से भाभी जी (डिंपल यादव) के अलावा कोई और नहीं जीतेगा। उन्होंने कहा असली मुद्दों की बात कौन कर रहा है… आखिरकार, वोट जातिगत आधार और क्षेत्रीय कारकों पर दिए जाते हैं। ये दोनों ही सपा के पक्ष में हैं। बसपा द्वारा शिव प्रसाद यादव को सीट से मैदान में उतारने पर प्रतिक्रिया देते हुए थोंकलपुर तिसौली निवासी जिलेदार कठेरिया ने कहा कि मायावती के नेतृत्व वाली बसपा ने सपा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में यह दांव खेला है, मगर कामयाब नहीं होंगी।

कठेरिया ने कहा कि केवल यादव ही नहीं, बल्कि मैनपुरी की पूरी आबादी सपा के साथ है। मैनपुरी और इटावा नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण जाने जाते हैं। भाजपा मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव की जीत का श्रेय मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण उपजी जनता की सहानुभूति को देती रही है और वह इस बार सपा का यह बेहद मजबूत किला फतह करना चाहेगी।

योगी के मंत्री जयवीर से सीधा मुकाबला
भाजपा ने इस बार मैनपुरी से उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री और मैनपुरी सदर सीट से विधायक जयवीर सिंह को मैदान में उतारा है। जयवीर से ही डिंपल का सीधा मुकाबला है। सिंह ने उम्मीद जताई कि मोदी की गारंटी और विधायक के तौर पर उनके द्वारा किए गए काम उन्हें विजयी बनाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को एक चुनावी रैली में लोगों से सिंह को जिताने की अपील की और उन्हें बड़ा आदमी बनाने का वादा किया। शाह ने कहा कि आप उन्हें जिताएं और हम सुनिश्चित करेंगे कि वे बड़े आदमी बनें। उनका इशारा सिंह को पार्टी में बड़ी भूमिका मिलने की ओर था, जिससे शहर का सर्वांगीण विकास होगा।

भाजपा जिला अध्यक्ष राहुल चतुर्वेदी ने दावा किया कि पार्टी मैनपुरी सीट जीतकर इतिहास रचने जा रही है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उत्पन्न सहानुभूति की लहर खत्म हो गई है। अब हमारे पास मोदी की गारंटी है, जिस पर लोगों को भरोसा है। वे विकास चाहते हैं, तुष्टिकरण नहीं, और विकास केवल भाजपा ही कर सकती है। उन्होंने कहा इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम चुनाव जीतेंगे। स्थानीय निवासी और भाजपा समर्थक रोहित कुमार ने कहा कि इस बार सपा के लिए मुकाबला आसान नहीं है। उन्होंने कहा, "जयवीर जी जीतेंगे तो विकास होगा।

मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र मैनपुरी, भोगांव, किशनी, करहल और जसवंत नगर हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने करहल, किशनी और जसवंत नगर सीटें जीती थीं जबकि भाजपा ने मैनपुरी और भोगांव सीटें जीतीं। अखिलेश यादव करहल सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव जसवंत नगर से विधायक हैं।

क्या हैं जातीय समीकरण, 1996 से सपा का कब्जा
एक अनुमान के मुताबिक, मैनपुरी में यादव मतदाताओं की संख्या करीब 3.5 लाख है। इसके अलावा 1.5 लाख से ज्यादा ठाकुर, 1.2 लाख ब्राह्मण, 60,000 शाक्य, 1.4 लाख जाटव और एक लाख से ज्यादा लोध मतदाता हैं। मुस्लिम और कुर्मी मतदाता भी करीब एक-एक लाख हैं। यह सीट 1996 से सपा के पास है जब मुलायम सिंह यादव ने पहली बार यहां से जीत हासिल की थी। इसके बाद 1998 और 1999 में बलराम सिंह यादव ने जीत हासिल की। ​​मुलायम सिंह यादव ने 2004, 2009 और 2014 में फिर जीत हासिल की। ​​सपा संस्थापक ने 2019 में फिर से सीट जीती।
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button