अब सऊदी अरब और इजरायल क्यों आ गए आमने-सामने, किस बात पर दोनों के बीच तकरार?
नई दिल्ली
इजरायल-हमास के बीच करीब 11 महीने से चल रहे युद्ध के बीच अब सऊदी अरब और इजरायल में ठन गई है। दरअसल, इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन ग्वीर ने यह कहकर इस्लामिक देशों में आक्रोश पैदा कर दिया है कि अगर संभव होता तो वे पूर्वी येरुशलम में अल अक्सा मस्जिद परिसर में एक यहूदी प्रार्थना घर का निर्माण करवाते। सऊदी अरब ने इजरायली मंत्री के इस बयान की घोर निंदा की है।
इजरायल के कट्टरपंथी सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-ग्वीर ने यहूदियों को यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद में प्रार्थना करने की अनुमति देने का भी आह्वान किया है। इससे इस्लामिक देशों खासकर सऊदी अरब और इजरायल के बीच तनाव बढ़ गया है। ग्वीर का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब गाजा में सीज फायर के लिए वार्ता चल रही है और इस्लामिक देश संघर्ष विराम पर समझौता करना चाहते हैं। आर्मी रेडियो को दिए एक इंटरव्यू में इजरायली मंत्री ग्वीर ने सोमवार (26 अगस्त को) कहा कि अगर संभव हुआ तो अल अक्सा मस्जिद परिसर में एक यहूदी प्रार्थना घर का निर्माण कराएंगे। उन्होंने आगे कहा कि अगर मैं कुछ कर सकता तो वहां मैं इजरायली झंडा लगा देता। जब एक पत्रकार ने बार-बार पूछा कि क्या अल अक्सा मस्जिद में यहूदी प्रार्थना घर बनवाएंगे, तो उन्होंने जोर देकर कहां, "हां, हां।"
इस बीच, सऊदी अरब ने कहा है कि ऐसे भड़काऊ बयान दुनिया भर के मुसलमानों के खिलाफ चल रहे षडयंत्र और उकसावे को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करते हैं। सऊदी ने एक बयान में इजरायली मंत्री के बयान को खारिज करते हुए अल-अक्सा मस्जिद की ऐतिहासिक और कानूनी स्थिति का सम्मान करने की जरूरत दोहराई है। सऊदी अरब ने अतंरराष्ट्रीय समुदाय से भी इस मुद्दे पर अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभाने की अपील की है और कहा है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों और प्रावधानों के अनुरूप इजरायली मंत्री को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
सऊदी अरब की तीखी प्रतिक्रिया के बाद इजरायल के रक्षा मंत्री ने यह कबूल किया है कि ग्वीर के बयान से मिडिल-ईस्ट में एक नए तरह का तनाव पैदा हुआ है। रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने इजरायली मीडिया आउटलेट हारेत्ज़ से कहा कि अल अक्सा मस्जिद पर यथास्थिति को कमजोर करना अनावश्यक है और इजरायल के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है।
क्या है अल अक्सा मस्जिद और विवाद
अल अक्सा मस्जिद दुनिया के सबसे पुराने नगरों में से एक यरूशलम के बीच में एक पहाड़ी पर स्थित है। यरूशलम इजरायल की राजधानी है। यहूदी इसे हरहा बयात या मंदिर पर्वत के रूप में जानते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुसलमान इसे अल-हरम अल-शरीफ कहते हैं। इस मस्जिद के बारे में मान्यता है कि इसे पैगंबर मोहम्मद के मित्र खलीफा इल-अब्र-खट्टाब ने बनवाया था। यही वजह है कि इससे सिर्फ फिलिस्तीन नहीं, बल्कि दुनिया भर में रहने वाले मुसलमानों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है।
अल अक्सा मस्जिद का परिसर 35 एकड़ में फैला है। अल-अक्सा मस्जिद परिसर इस्लाम, ईसाई और यहूदी तीनों धर्मों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें इस्लाम धर्म का तीसरा सबसे पवित्र स्थान मानी जाने वाली अल-अक्सा मस्जिद, ईसाई धर्म का सबसे पुराना चर्च और साथ ही यहूदी धर्म की वेस्टर्न वॉल भी यहां मौजूद है। मुसलमान इस जगह को मक्का और मदीना के बाद इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थान मानते हैं। उनका मानना है कि यह वह जगह है जहां पैगम्बर मुहम्मद ने अपने साथी पैगम्बरों को चमत्कारी रात्रि यात्रा के दौरान प्रार्थना में नेतृत्व किया था, जिसे मिराज के नाम से जाना जाता है।
दूसरी ओर, टेम्पल माउंट, जैसा कि यहूदी इसे कहते हैं, यहूदी धर्म में सबसे पवित्र स्थान है। यहूदियों के अनुसार, यह वह जगह है जहां कभी दो प्राचीन यहूदी मंदिर हुआ करते थे – राजा सोलोमन द्वारा निर्मित मंदिर, जिसे बेबीलोनियों ने नष्ट कर दिया था, और दूसरा मंदिर, जिसे रोमनों ने नष्ट कर दिया था। हालांकि, यहूदी कानून और इज़राइली रब्बीनेट यहूदियों को परिसर में प्रवेश करने और वहां प्रार्थना करने से मना करते हैं, क्योंकि इसे बहुत पवित्र माना जाता है। यह जगह "फाउंडेशन स्टोन" का भी घर है, जहां यहूदियों का मानना है कि दुनिया का निर्माण शुरू हुआ था और जहां भगवान अपनी पूर्ण उपस्थिति का वादा करते हैं।
ईसाई धर्म में मान्यता है कि जिस यरूशलम में अल अक्सा मस्जिद का परिसर है, उसी शहर में कभी ईसा मसीह ने अपना पवित्र उपदेश दिया था और इसी जगह पर उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था, जिसके बाद इसी जगह पर वे एक बार फिर से जिंदा हो उठे थे। इसलिए दुनिया भर के ईसाईयों के लिए यह सबसे पवित्र स्थान है। इस परिसर को लेकर इजरायल और फिलिस्तीनियों में हमेशा से विवाद चलता रहा है। यह विवाद 100 साल पुराना है। दोनों उस पर अपना-अपना दावा ठोकते हैं।