सिलिकोसिस के लिए फेक्ट्रियों की जाँच कर एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी गयी थी, कानूनों का पालन नहीं करने वाली फेक्ट्रियाँ बंद की जाए
इंदौर, दिल्ली
आज माननीय सर्वोच्च न्यायालय में सिलिकोसिस के मामले में विचाराधीन जनहित याचिका क्रमांक 110/2006 में सुनवाई हुई। याचिका में सिलिकोसिस पीड़ित संघ की और से पैरवी करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रशांत भूषण ने तथ्य प्रस्तुत करते हुये कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले आदेश में सिलिकोसिस के लिए जिम्मेदार देश भर की फेक्ट्रियों की जाँच कर एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी गयी थी परंतु केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने केवल गुजरात की 35 फेक्ट्रियों की जाँच रिपोर्ट माननीय न्यायालय में प्रस्तुत की है। इन फेक्ट्रियों में केवल पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन कर रही है बल्कि इसके मानवीय स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहे है। साथ ही पर्यावरणीय कानूनों पालन नहीं करने वाली सभी फेक्ट्रियों को तुरंत बंद करवाने की मांग की । सर्वोच्च न्यायालय ने सिलिकोसिस मृतकों को मुआवजा नही देने पर सभी राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। आज की सुनवाई में सिलिकोसिस से मध्यप्रदेश के धार झाबुआ अलीराजपुर, पन्ना और विदिशा के 274 मृत पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिलने की बात भी माननीय न्यायालय के समक्ष उठाई गयी और सभी सिलिकोसिस पीड़ितों के पुनर्वास के लिए मांग की गई।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आज की सुनवाई में सिलिकोसिस मृतकों और पीड़ितों के मुआवजा के मुद्दे पर अपना पक्ष प्रस्तुत किया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश में सिलिकोसिस की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सभी राज्य सरकारों को निर्देशित किया था, परंतु केवल झारखंड और हरयाणा ने ही रिपोर्ट प्रस्तुत की बाकी राज्यों को भी जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गए हैं।
गुजरात के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में 133 सिलिकोसिस मृतकों में से केवल 76 को ही 1 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने सिलिकोसिस मृतकों को 3 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश 23.08.2016 को दिया था।
सिलिकोसिस पीड़ित संघ ने अपने शपथ पत्र में मध्य प्रदेश मे सिलिकोसिस की स्थिति पर बताया कि प्रदेश में जिन सिलिकोसिस मृतकों को मुआवजा मिला गया है उनको भी अभी केवल 1 लाख रुपए ही मिले जबकि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर शेष 2 लाख रुपए फिक्स जमा किए गए थे, फिक्स जमा राशि को पाँच वर्ष से ज्यादा की अवधि है परंतु वारिसों को उनके 2 लाख रुपए नहीं निकालने की अनुमति नहीं दिये का मामला माननीय न्यायालय कि जानकारी में लाया गया है।
मध्यप्रदेश के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति जिसमे डॉ एच एन सैयद, अमूल्य निधि आदि शामिल थे की रिपोर्ट और अनुशंषाओं को भी सामने लाया गया और उनपर अमल की मांग की गई।
सिलिकोसिस पीड़ित संघ मध्यप्रदेश के 6 जिलो धार, झाबुआ, अलीराजपुर, पन्ना, विदिशा और मंदसौर के कुल 3216 सिलिकोसिस पीड़ितों कि बात उठाई गयी जिनमें से 1097 जीवित तथा 1148 पीड़ित मृत हैं, इसके अतिरिक्त उत्तरप्रदेश के ललितपुर एवं महोबा के 58 सिलिकोसिस पीड़ितों जिनमे 9 की मृत्यु हो चुकी है का मामला भी न्यायालय के समक्ष उठाया साथ ही कर्नाटक 300 सिलिकोसिस पीड़ितों की मृत्यु और पश्चिम बंगाल के दो जिलों 24 उत्तर परगना और 24 दक्षिण परगना 38 सिलिकोसिस पीड़ितों एवं 20 पीड़ित मृतकों का मामला भी उठाया गया। खान सुरक्षा महानिदेशालय ने अपने शपथ पत्र में बताया कि देश भर की 14064 फेक्ट्रियों की जाँच की गई और पर्यावरणीय एवं अन्य कानूनों के उल्लंघन के 3076 मामले सामने आए परंतु किसी भी फेक्ट्री पर कार्यवाही नही की गई जिस अधिवक्ता द्वारा चिंता जताई गई।
संघ ने देश के 31 राज्यों व केन्द्रित शासित प्रदेशों के सभी सिलिकोसिस पीड़ितों के लिए न्याय की बात करते हुये सभी के लिए पुनर्वास और मृतकों के के लिए मौवाजे कि मांग की है। सिलिकोसिस पीड़ित संघ की और से आज की सुनवाई वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रशांत भूषण एवं एवं नेहा राठी द्वारा की गई।