सफाई ठेकेदार की बेटी ने पहली ही कोशिश में यूपीएससी में हासिल की 203वीं रैंक

मंडी
समंदर में कश्ती को लहरों से लड़ना आ जाए, हर आदमी को सपनों के लिए अड़ना आ जाए…. सफलता कदम चूमने के लिए हो जाए बेताब, मुश्किलों का हिमालय अगर चढ़ना आ जाए…। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की रहने वाली तरुणा कमल ने इन लाइनों को पूरी तरह से सच साबित कर दिखाया है। उनकी कामयाबी की ना केवल मंडी जिले, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश में चर्चा हो रही है। और हो भी क्यों नहीं, बेहद मुश्किल हालातों के बीच तरुणा ने देश ही नहीं, दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी में 203वीं रैंक हासिल की है।

मंडी जिले में बल्ह घाटी के रत्ती गांव की रहने वाली तरुणा कमल की सफलता इसलिए भी खास है, क्योंकि उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में ये मुकाम हासिल कर, एक मिसाल कायम कर दी है। हालांकि, यूपीएससी का उनका ये सफर मुश्किलों से भरा रहा। तरुणा के पिता बल्ह नगर परिषद में ही सफाई ठेकेदार के तौर पर नौकरी करते हैं। परिवार में माता-पिता के अलावा उनकी एक बहन और भाई हैं। ऐसे में घर से दूर जाकर यूपीएससी की तैयारी करना तरुणा के लिए आसान नहीं था।

वेटरनरी डॉक्टर के बाद चुना यूपीएससी

अपने गांव के ही मॉडर्न पब्लिक स्कूल से 12वीं तक की शिक्षा हासिल करने के बाद, आगे की पढ़ाई के लिए तरुणा चंडीगढ़ चली गईं। यहां उन्होंने वेटरनरी डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई शुरू की। ट्रेनिंग पूरी हुई, तो तरुणा के परिवार को लगा कि अब उनकी बेटी का करियर पशुओं के डॉक्टर के तौर पर बन जाएगा। लेकिन, तरुणा यहीं नहीं रुकने वाली थी। वेटरनरी डॉक्टर की ट्रेनिंग पूरी करने के तरुणा यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं। उनके इस फैसले को सुनकर परिवार भी चौंका, लेकिन बाद में उनके फैसले के साथ खड़ा हो गया। हालांकि मेडिकल की पढ़ाई के बाद यूपीएससी की तरफ जाना उनके लिए आसान नहीं था।

ढाई साल तक चंडीगढ़ में रहकर की तैयारी

तरुणा ने चंडीगढ़ में रहकर ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उन्होंने खुद से नोट्स बनाए, पुराने प्रश्न पत्र सॉल्व किए और विषयों का गहराई से अध्ययन किया। करीब ढाई साल तक उन्होंने खुद को पूरी तरह से यूपीएससी के लिए ही समर्पित कर दिया। तरुणा को जब एहसास हो गया कि अब उनकी तैयारी पुख्ता है, तब उन्होंने 2023 में यूपीएससी की परीक्षा दी। ये तरुणा का पहला प्रयास था और जब 16 अप्रैल 2024 को यूपीएससी का रिजल्ट घोषित हुए तो उन्हें 203वीं रैंक मिली।

गांव पहुंचने पर हुआ ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत

रिजल्ट जारी होने के बाद जब तरुणा अपने गांव पहुंचीं, तो परिवार और आस-पड़ोस के लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया। तरुणा की मां बताती हैं कि वो बचपन से ही पढ़ाई के मामले में बाकी बच्चों से काफी अलग थी। उसके अंदर विषयों को जानने की एक अनोखी लगन थी। और, शायद यही वजह है कि तरुणा ने अपने पहली ही कोशिश में यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा निकाल दी। तरुणा के भाई शाहिल और बहन यामिनी भी वेटरनरी डॉक्टर की पढ़ाई कर चुके हैं।

 

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