उमा भारती का संकल्प: उम्र नहीं, जज़्बा मायने रखता है—चुनाव मैदान में फिर उतरने को तैयार

 भोपाल
 मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेत्री उमा भारती ने शुक्रवार को वह अभी 63 वर्ष ही हुई हैं, इसलिए आगे चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि भाजपा से मुझे कोई अलग नहीं कर सकता। मेरे भाजपा से अलग होने की बातें बेबुनियाद हैं।

राजनीति की मुख्य धारा में लंबे समय से अनुपस्थित दिख रहीं उमा भारती ने यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत द्वारा 75 वर्ष की उम्र में रिटायर हो जाने संबंधित बयान पर पत्रकारों द्वारा मांगी गई प्रतिक्रिया में कही।

हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह संघ प्रमुख के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकती, लेकिन मेरा मानना है कि शिक्षक, अधिवक्ता, चिकित्सक, कलाकार, कवि, पत्रकार कभी रिटायर नहीं होते। उसी तरह नेता भी कभी रिटायर नहीं हो सकते, उन्हें तब तक जन सेवा करनी होती है जब तक इसकी आवश्यकता होती है।

अभी 15-20 साल तक और राजनीति करना है

उमा भारती भोपाल में अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों से वार्ता कर रही थीं। उन्होंने कहा कि अटल जी, आडवाणी जी के आंदोलन में मेरा नाम चला, इसलिए लोग मुझे 75 का समझते हैं पर ऐसा नहीं है, मैं उनसे बहुत छोटी हूं। अभी मुझे 15-20 साल तक और राजनीति करना है, हो सकता है आगे चुनाव भी लड़ूं।

उमा ने यह भी कहा कि यह दुष्प्रचार किया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुझसे खफा रहते हैं। अमित शाह और मेरी बात हो गई है, कोई भी अब भ्रम न फैलाए।

मैं और मेरे परिवार को सभी सरकारों ने प्रताड़ित किया

उमा भारती ने कहा कि मैं किसी भी नेता का नाम नहीं लूंगी, लेकिन मुझे और मेरे परिवार को मध्य प्रदेश की सभी सरकारों में 1990 से 1992 और 2005 से 2013 तक प्रताड़ित किया गया। मेरे भाइयों पर लूट, डकैती के केस बने, जो डकैती हुई ही नहीं, उसका भी मुकदमा किया गया।

दिग्विजय सिंह के समय में हत्या तक का केस दर्ज हुआ। आज तक मुझे यह पता नहीं चला कि व्यापम में मेरा नाम क्यों आया। कम से कम सीबीआइ यह जांच तो कर ले। ह्रदय में पीड़ा रहती ही है, मुझे कष्ट देने वालों को मैंने अपने सामने रोते देखा है।

गंगा, गोमाता और शराबबंदी पर संघर्ष जारी रहेगा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रशंसा करते हुए उमा भारती ने कहा कि वह अच्छा काम कर रहे हैं। निवेश और रोजगार ला रहे हैं। भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है। राजनीति में शुचिता आ गई है, अब ब्यूरोक्रेसी में लानी जरूरी है। केंद्र सरकार गंगा शुद्धिकरण के लिए काम कर रही है।

मप्र सरकार भी गो-संरक्षण के लिए प्रयास कर रही है लेकिन इन दोनों क्षेत्रों में सुधार आवश्यक है। प्रदेश में सही तरीके से शराब बंदी लागू की जानी चाहिए। गंगा, गोमाता और शराबबंदी के लिए मेरा संघर्ष जारी रहेगा।

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