पहलगाम आतंकी हमले के पीछे दो पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ, आतंकियों की पहचान तकनीकी साक्ष्यों और चश्मदीदों की मदद से हुई

श्रीनगर
 पहलगाम आतंकी हमले के पीछे दो पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ माना जा रहा है। सुरक्षा बल उन्हें पकड़ने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। ये आतंकी करीब डेढ़ साल पहले पाकिस्तान से जम्मू और कश्मीर में घुसे थे। उन्होंने सांबा-कठुआ क्षेत्र से घुसपैठ की थी। तब से वे कई आतंकी हमलों में शामिल रहे हैं। सेना, राष्ट्रीय राइफल्स और पैरामिलिट्री फोर्स अनंतनाग के ऊपरी इलाकों में आतंकियों को ढूंढ रही हैं। पुलिस तकनीकी साक्ष्य और स्थानीय लोगों से मिली जानकारी का इस्तेमाल कर रही है। पुलिस ने आतंकियों की पहचान अली भाई उर्फ तल्हा और हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान के रूप में की है। पुलिस ने एक स्थानीय लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य आदिल हुसैन ठोकर का स्केच भी जारी किया है। माना जा रहा है कि ठोकर भी पहलगाम हमले में शामिल था। पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी के लिए 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है।

आतंकियों की कैसे पहचान कर रही जांच एजेंसी?
दरअसल हाशिम मूसा पर पिछले साल 20 अक्टूबर को सोनमर्ग में जेड-मोड़ टनल पर हमला करने का शक है। उस हमले में एक निर्माण इकाई में काम करने वाले सात लोग मारे गए थे। सूत्रों ने बताया कि चश्मदीदों, पर्यटकों और स्थानीय गाइडों की ओर से रिकॉर्ड किए गए वीडियो फुटेज और सुरक्षा बलों के पास घाटी में सक्रिय आतंकियों के बारे में मौजूद जानकारी को मिलाकर तीनों हमलावरों की पहचान की गई। एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि चश्मदीदों को सक्रिय आतंकियों की कई तस्वीरें दिखाई गईं। उन्होंने मूसा को एक तस्वीर से पहचाना। इसके बाद सभी उपलब्ध जानकारी के आधार पर अन्य हमलावरों की पहचान की गई।

हाशिम मूसा की कैसे हुई पहचान?
सूत्रों ने बताया कि मूसा की पहचान जिस तस्वीर से हुई, वह मारे गए स्थानीय लश्कर ए तैयबा आतंकी जुनैद अहमद भट के फोन से मिली थी। भट को पिछले दिसंबर में दाचीगम के जंगलों में मार गिराया गया था। जेड-मोड़ टनल हमले को अंजाम देते हुए वह CCTV कैमरे में कैद हुआ था। पुलिस ने उसके शव से एक फोन बरामद किया था। इसमें मूसा सहित अन्य आतंकियों के साथ उसकी तस्वीरें थीं। सूत्रों ने बताया कि अली भाई भी उसी समूह का हिस्सा था। चश्मदीदों के बयानों के आधार पर पुलिस ने ठोकर को हमले में शामिल लश्कर का स्थानीय सदस्य बताया है।

आतंकियों का पाक कनेक्शन
अनंतनाग के बिजबेहरा का रहने वाला ठोकर 2018 में वाघा बॉर्डर पार करके स्टूडेंट वीजा पर पाकिस्तान गया था। वहां उसने लश्कर ए तैयबा के टेरर ट्रेनिंग कैंप में बकायदा ट्रेनिंग ली। सूत्रों ने बताया कि वह डेढ़ साल पहले दो पाकिस्तानी आतंकियों के साथ वापस आया था। पाकिस्तान जाने से पहले ठोकर कश्मीर में एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाता था।

इन घटनाओं में होने का शक
सूत्रों ने बताया कि आतंकी तब से पूंछ-राजौरी, बारामूला और दक्षिण कश्मीर क्षेत्र में सक्रिय हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि जांचकर्ता यह भी पता लगा रहे हैं कि क्या वे 24 अक्टूबर 2024 को बोटापथरी हमले में शामिल थे। उस हमले में तीन आर्मी के जवान और दो पोर्टर मारे गए थे। हालांकि उस हमले की जिम्मेदारी पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट ने ली थी, जो जैश-ए-मोहम्मद का एक हिस्सा है।

आतंकियों में मूसा सबसे बड़ा कातिल
सूत्रों ने बताया कि मूसा को बहुत स्किल्ड माना जाता है और वह जंगल में रहने का माहिर है। सूत्रों ने यह भी बताया कि वह उन घुसपैठियों में से हो सकता है जिन्होंने पिछले तीन सालों में जम्मू में आतंक मचाया है। उन्होंने सटीक फायरिंग और चुपके से की गई गतिविधियों से 50 से ज्यादा आर्मी के जवानों को मारा है। जांचकर्ता यह भी पता लगा रहे हैं कि क्या यही समूह अगस्त 2023 में दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में तीन आर्मी के जवानों की हत्या में शामिल था।

12 लोगों के सिर में मारी गोली
सूत्रों ने बताया कि आतंकियों पर पिछले साल मई में जम्मू के पूंछ जिले में हुए हमले में भी शामिल होने का शक है। उस हमले में एयरफोर्स का एक जवान मारा गया था और चार अन्य घायल हो गए थे। उधर, पहलगाम आतंकी हमले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में यह भी पता चला है कि फायरिंग के दौरान आतंकियों ने अपने साथियों से जल्दी करने को कहा ताकि वे जा सकें। शव की ऑटोप्सी रिपोर्ट से पता चला कि 12 पीड़ितों के सिर में गोली लगी थी।

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