ट्रंप के फैसले से आज रात निवेशकों की नींद उड़ सकती है, आर्थिक हलचल तय

नई दिल्ली 
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन  के बीच चल रहे ‘व्यापार युद्धविराम’ की घड़ी खत्म होने को है। आज यानी 12 अगस्त, वैश्विक बाजारों और निवेशकों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। अगर आखिरी समय में कोई समझौता नहीं हुआ, तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीनी आयात पर भारी-भरकम टैरिफ फिर से लागू कर सकते हैं, और इसके जवाब में चीन भी पलटवार करने को तैयार है। इस कदम से न सिर्फ एशिया बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में हलचल मच सकती है। अमेरिका और चीन के बीच चल रहा ‘व्यापार संघर्षविराम’ (US-China trade truce) मंगलवार, 12 अगस्त को समाप्त होने वाला है। हालांकि ट्रंप ने चीन पर लगाए गए टैरिफ की समय सीमा को 90 दिनों के लिए बढ़ाने वाले आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह फैसला पिछली 90 दिनों की रोक की समय सीमा खत्म होने से ठीक पहले लिया गया है। 

अगर दोनों देश बातचीत का समय नहीं बढ़ाते या कोई अंतिम क्षण का समझौता नहीं करते, तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीनी आयात पर पहले से निलंबित भारी टैरिफ फिर से लागू कर सकते हैं। इसके जवाब में चीन भी अमेरिकी सामान पर अपने टैरिफ बढ़ा सकता है। पिछले महीने स्वीडन में हुई बातचीत के बाद दोनों देशों के आर्थिक अधिकारी एक अस्थायी समझौते को अंतिम रूप देने में जुटे थे। ट्रंप के सलाहकारों को उम्मीद थी कि राष्ट्रपति इसे मंजूरी देंगे, लेकिन अब तक उन्होंने कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।अगर टैरिफ दोबारा लागू होते हैं, तो यह वैश्विक बाजारों के लिए बड़ा झटका होगा। इस साल की शुरुआत में भी ऐसे कदमों ने दुनिया भर के शेयर बाजारों को हिला दिया था।

सोमवार को व्हाइट हाउस में प्रेस ब्रीफिंग में इस डेडलाइन पर पूछे गए सवाल पर ट्रंप ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया, लेकिन उन्होंने कहा   "हम चीन के साथ बहुत अच्छे से पेश आ रहे हैं। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मेरे रिश्ते भी अच्छे हैं।" इस साल अमेरिका और चीन के बीच तीन बार औपचारिक व्यापार वार्ता हुई। ट्रंप ने चीनी सामान पर टैरिफ बढ़ाकर 145% तक कर दिया था, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उद्योगों के लिए अहम रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर रोक लगा दी। तनाव कम करने के लिए 90 दिन का युद्धविराम हुआ, जिसमें अमेरिका ने टैरिफ घटाकर 30% और चीन ने 10% करने पर सहमति जताई।  अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने चेतावनी दी है कि अगर समझौता नहीं हुआ, तो टैरिफ 80% तक बढ़ सकते हैं। अब वार्ता केवल टैरिफ तक सीमित नहीं है।

अमेरिका ने चीन की अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता, रूस-ईरान से तेल खरीद और अमेरिकी माइक्रोचिप्स के निर्यात नियंत्रण जैसे मुद्दे भी उठा दिए हैं। विशेष रूप से एआई चिप्स की बिक्री पर अमेरिका ने एनविडिया और एएमडी जैसी कंपनियों से होने वाली आय का 15% हिस्सा खुद लेने का प्रस्ताव रखा है  यह एक असामान्य वित्तीय मॉडल है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में एक बड़ा व्यापार समझौता हुआ था, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान यह टूट गया। उस समय ट्रंप ने स्पष्ट किया था कि शी चिनफिंग से मुलाकात तभी होगी, जब कोई नया समझौता हो। हाल ही में उन्होंने दोहराया  "समझौता नहीं, तो मुलाकात नहीं।" आज 12 अगस्त को न केवल US-China टैरिफ पर युद्धविराम की आखिरी तारीख है, बल्कि अलास्का में ट्रंप और पुतिन की अहम बैठक भी हो रही है। ऐसे में पूरी दुनिया की नजरें वॉशिंगटन और बीजिंग के फैसलों पर टिकी हैं, जो आने वाले महीनों के आर्थिक और राजनीतिक समीकरण तय कर सकते हैं।

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