सफर होगा आसान: भोपाल-इंदौर हाईस्पीड एक्सप्रेसवे का रूट तय, दूरी घटेगी, रफ्तार बढ़ेगी

इंदौर
मध्य प्रदेश के इंदौर से राजधानी भोपाल की सड़क यात्रा की दूरी तय करने में फिलहाल साढ़े 3 से 4 घंटे का समय लगता है। इसे कम करने की कवायद शुरू हो चुकी है। दोनों शहरों के बीच हाईस्पीड एक्सप्रेस-वे कॉरिडोर बनने जा रहा है। जिससे दोनों शहरों के बीच का सफर 50 किलोमीटर तक कम होगा और दो घंटे में भोपाल से इंदौर का सफर पूरा किया जा सकेगा।
इसका मार्ग फाइनल हो चुका है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) इसे भारत माला हाईवे की तर्ज पर विकसित करेगी। जिसके लिए मध्य प्रदेश सरकार की जरूरी सैद्धांतिक सहमति के बाद एनएचएआई ने इसकी अलाइनमेंट डीपीआर की मंजूरी के लिए सड़क परिवहन विभाग को भेज दी है। सिंहस्थ 2028 से पहले इस हाइस्पीड एक्सप्रेस-वे को शुरू करने की योजना है।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) इसे भारत माला हाईवे की तर्ज पर डेवलप करेगी। राज्य सरकार की सैद्धांतिक सहमति के बाद NHAI ने इसकी अलाइनमेंट डीपीआर मंजूरी के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय को भेज दी है। मंजूरी मिलने के बाद एक्सप्रेस वे का मैदानी काम शुरू होगा।
बता दे इस समय भोपाल इंदौर के बीच मौजूदा एक्सप्रेसवे में कई गाड़ियों की आवाजाही होती है। जिससे ट्रैफिक जाम की स्थिति बनती है। एनएचएआई ने ट्रैफिक डेटा का विश्लेषण किया तो पता चला कि यहां से रोज़ाना 30 हज़ार से ज्यादा गाड़ियां गुजरती हैं। जिसमें मेहतवाड़ा से लेकर डोडी तक जाम लगता है यहां कई वाहन खड़े होते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है।
हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने की जरूरत क्यों, 4 कारण
1. मौजूदा हाईवे पर ट्रैफिक का दबाव इंदौर-भोपाल के बीच जो मौजूदा सड़क है, उस पर ट्रैफिक का दबाव ज्यादा है। NHAI ने ट्रैफिक डेटा का विश्लेषण किया तो पाया कि यहां से रोजाना 30 हजार से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। आने वाले समय में जैसे- जैसे आबादी बढ़ेगी, ट्रैफिक का दबाव बढ़ता जाएगा। ऐसे में दोनों शहरों के बीच नया कॉरिडोर बनाने की जरूरत है।
2. कई हिस्सों में जाम के हालात मौजूद हाईवे पर कई स्पॉट पर जाम के हालात बनते हैं। मेहतवाड़ा से लेकर डोडी तक जाम लगता है। यहां कई वाहन खड़े रहते हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं होती है। जावर जोड़ से होकर निकलने वाली बसें यहां रुकती है। यात्रियों को यहीं से बैठाया जाता है।
सीहोर के पास कुबेरेश्वर धाम की वजह से भी आए दिन जाम के हालात बनते हैं। इसी साल सावन के महीने में कुबेरेश्वर धाम की कांवड़ यात्रा में 5 लाख श्रद्धालु जुटे थे। हाईवे पर 72 घंटे तक जाम लगा रहा।
3. हाईवे से सटे कस्बे ट्रैफिक में रुकावट भोपाल-इंदौर हाईवे सीहोर, आष्टा और सोनकच्छ कस्बों के लिए बायपास रोड है। इन कस्बों में रहने वाले लोग इंदौर या भोपाल जाने के लिए इसी सड़क का इस्तेमाल करते हैं। किसान भी अपने खेतों पर जाने के लिए इसी सड़क का इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से यहां टू व्हीलर, ट्रैक्टर की आवाजाही भी रहती है।
4. ढाबा-रेस्टोरेंट और टोल नाके हाईवे के दोनों तरफ की जमीनों का व्यवसायिक इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है। इस समय इंदौर- भोपाल रोड पर 50 से ज्यादा ढाबे और रेस्टोरेंट हैं। कमर्शियल एक्टिविटी बढ़ने से वाहनों की आवाजाही बढ़ती जा रही है। एमपीआरडीसी के यहां 4 और एनएचएआई का एक टोल है।
भोपाल वेस्टर्न बायपास से इंदौर के एमआर-10 तक बनेगा प्रस्तावित एक्सप्रेस वे भोपाल के वेस्टर्न रिंग रोड से शुरू होगा और इंदौर के एमआर 10 से जुड़ेगा। इसके बीच में तीन जिले भोपाल, सीहोर, देवास की 7 तहसीलें आएंगी। ये पूरी तरह से नया रोड बनेगा। भोपाल से सीहोर इछावर होते हुए आष्टा के इलाही और देवास जिले के हाटपिपल्या और बागली तहसील को जोड़ेगा।
एनएचएआई की डीपीआर के मुताबिक, भोपाल वेस्टर्न बाइपास से इंदौर एमआर 10 तक की दूरी 148–150 किमी है। वर्तमान हाईवे से देवास होकर इंदौर तक की दूसरी 195 किमी है। भोपाल-इंदौर के बीच एक्सप्रेस-वे का सफर करीब 50 किमी कम हो जाएगा और यह 2 घंटे में पूरा हो जाएगा। प्रस्तावित कॉरिडोर देवास शहर से होकर नहीं गुजरेगा।
7 तहसील के 59 गांव जुड़ेंगे
भोपाल, हुजूर तहसील: अमरपुरा, समसपुरा, आमला।
सीहोर तहसील: डेहरिया खुर्द, गडिया, रत्नखेरी, पाटनी, गेरूखान, इमलीखेड़ा।
इछावर तहसील: मुबादा, सेमली जादीद, मोहनपुर नौबाद, बावड़िया, सेंधोखेड़ी, लसुड़िया कांगड़, पोंगराखाती, कस्बा इछावर, सेवनियां, निपानिया, नयापुरा, जुझारपुरा, दिवारिया, हिम्मतपुर, मुंडला, बिजोरी, चैनपुरा।
आष्टा तहसील: भऊनरा, भटोनी, अरनिया जोहरी, मगरखेड़ी, दल्लूपुरा, लाखापुरा, झारखेड़ी, कामखेड़ाजबा, कन्नौदमिर्जा, गंगलखोटरी, झानपुरा, पगरियाहट, इलाही।
जावर तहसील: देहमत, उमरदाद, जहांजनपुरा, धुराड़ाकलां।
हाटपिपल्या तहसील: साप्ती, भवरड़ा, कनेरिया, बारोली, दोकरखेड़ा, कंझार, कावड़ी, हमीरखेड़ी, बरहानपुर, पिटावली, रेहली।
बागली तहसील: बिलावली, देवपिपल्या, बावड़ीखेड़ा, गाराखेड़ी, बिजूखेड़ा।
डिजाइन से तय होती है गाड़ियों की स्पीड इंडियन रोड कांग्रेस-2013 की गाइडलाइन के मुताबिक, एक्सप्रेस वे की डिजाइन स्पीड 120 किमी प्रतिघंटा तय की गई है। इस स्पीड से गाड़ी चलने पर 180 किलोमीटर की दूरी दो से ढाई घंटे में पूरी होती है। ऐसे ही सिक्स लेन की डिजाइन स्पीड 100 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है। इस स्पीड में 180 किमी की दूरी तीन घंटे में तय होती है।
1100 हेक्टेयर जमीन का होगा अधिग्रहण एनएचएआई अफसरों के मुताबिक, अलाइनमेंट को इस तरह से तैयार किया है कि हाईवे ज्यादातर सरकारी और वन भूमि से होकर गुजर रहा है। हालांकि, इसके दायरे में करीब 1100 हेक्टेयर निजी जमीन भी आ रही है। ये पूरे प्रोजेक्ट का करीब 30 से 40 फीसदी हिस्सा है। अफसरों के मुताबिक जैसे ही अलाइनमेंट डीपीआर को केंद्र सरकार से मंजूरी मिलेगी, उसके बाद जमीन के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
एनएचएआई के अफसरों का कहना है कि निजी जमीन का एरिया ज्यादा नहीं है इसलिए भूमि अधिग्रहण में ज्यादा समय नहीं लगेगा। ये प्रक्रिया 6 से 8 महीने के बीच पूरी कर ली जाएगी। भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार पूरी प्रक्रिया करेगी। इसके बाद जो भी नियम के अनुसार मुआवजा बनेगा, वो निजी भूमि मालिक को दिया जाएगा। मुआवजा की राशि केंद्र सरकार देगी।