मध्य प्रदेश में मीठी तुलसी की होगी कांट्रैक्ट फार्मिंग, किसानों के जीवन में मिठास घोलने का काम करेगी
ग्वालियर
मीठी तुलसी की खेती किसानों के जीवन में मिठास घोलने का काम करेगी, इससे किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, साथ यह मधुमेह रोगियों की संख्या में कमी लाने का भी काम करेगी, क्योंकि सरकार अब इस दिशा में कदम उठाने जा रही है। हाल ही में उद्यानिकी विभाग के माध्यम से गुजरात की स्टीवियाटेक कंपनी ने शासन को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) पीपीपी माडल पर कांट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर बात कही गई है, जो हर जिले में 100 किसान को उद्यानिकी विभाग की मदद से पौध व तकनीक उपलब्ध कराएगी। जब किसान फसल का उत्पादन कर लेगा तो कंपनी 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से तुलसी की सूखी पत्ती खरीदेगी। असल में मध्य प्रदेश सरकार नवाचार के रूप में यह कदम हर जिले में उठाने पर विचार कर रही है।
प्रस्ताव के मुताबिक शुरुआत में हर जिले में 100 एकड़ भूमि पर मीठी तुलसी की फसल पैदा कराई जाएगी। यह 100 एकड़ भूमि 100 किसानों को मिलाकर होगी। एक किसान एक एकड़ भूमि पर पैदावार करेगा, जिसके खेत पर तुलसी की पत्ती को सुखाने के लिए एक छोटा प्रोसेसिंग प्लांट लगाना होगा। उद्यानिकी विभाग इसमें मदद करेगा और खेती करने के लिए उपयोगी संसाधन के सिए 50 हजार रुपये की सब्सिडी भी देगा।
बोवनी एक बार, फसल मिलेगी पांच साल
उद्यानिकी विभाग के अधिकारी एमपीएस बुंदेला बताते हैं कि मीठी तुलसी की फसल की बोवनी एक बार करने पर उसकी फसल पांच साल तक ली जाती है, इसकी बोवनी हर साल नहीं करनी होती। तुलसी की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। सूखा पड़ने पर भी फसल जीवित रह सकती है। एक एकड़ भूमि में प्रति वर्ष 10 क्विंटल फसल की पैदावार किसान ले सकता है। मतलब एक एकड़ भूमि में सवा लाख तक की पैदावार ली जा सकती है।
चार जिलों के लिए भेजा प्रस्ताव
मध्य प्रदेश में शुरुआती तौर पर चार जिले ग्वालियर, छतरपुर, उमरिया, उज्जैन में मीठी तुलसी की खेती कराई जाएगी, जिसे साल दर साल आगे बढ़ाया जाएगा। हर जिले में 500 किसान खेती करेंगे, क्योंकि कंपनी को हर साल 5 हजार किलो फसल की आवश्यकता है।