जयपुर ग्रामीण सीट में ‘जातिवाद’ के गणित में जीत का अंतर कम होने की संभावना
जयपुर.
पिछले दो लोकसभा चुनावों में बड़े अंतर के साथ बीजेपी के खाते में गई जयपुर ग्रामीण सीट पर जीत चाहे भाजपा की हो लेकिन साल 2014 में करीब सवा तीन लाख और 2019 में चार लाख वोटों का बड़ा अंतर इस बार कम होने के पूरे आसार हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इस बार यह सीट जातिगत गोलबंदी में फंस चुकी है।
राजस्थान में जिन 12 लोकसभा सीटों पर पहले चरण के चुनाव हुए थे, उनमें नतीजों को लेकर उठापटक की सबसे ज्यादा चर्चा जयपुर ग्रामीण को लेकर ही हुई है। यहां कांग्रेस के युवा नेता अनिल चौपड़ा का मुकाबला बीजेपी के 67 वर्षीय राव राजेंद्र सिंह से है। चौपड़ा का यह पहला चुनाव है, जबकि राव राजेंद्र के पास दशकों का सियासी अनुभव है। ग्राउंट रिपोर्ट के आधार पर इस बार यहां जीत-हार का अंतर 50 हजार वोटों के आसपास जाकर टिक सकता है।
जातिगत गोलबंदी में कैसे फंसी सीट
यहां मुख्य रूप से जाट, ब्राह्मण, ओबीसी, एसटी, यादव और फिर गुर्जर वोटर आते हैं। अनिल चौपड़ा जाट जाति से हैं, जबकि राव राजेंद्र राजपूत ठिकानेदार हैं। जाटों का रुख इस चुनावों में वैसे ही बीजेपी खिलाफ था। वहीं इस सीट पर मुकाबला भी जाट और राजपूत के बीच बन गया। अनिल चौपड़ा को सचिन पायलट ने टिकट दिलवाया इसलिए गुर्जर वोटरों का रुझान भी उन्हीं की तरफ रहा। लेकिन सियासत में भीतरघात की खाई बहुत गहरी होती है और ग्राउंड रिपोर्ट्स के मुताबिक विराट नगर और शाहपुरा में कांग्रेस का इलेक्शन मैनेजमेंट बहुत खराब रहा। यहां गुर्जरों और यादवों के बाहुल्य वाले पोलिंग बूथों पर मतदान का प्रतिशत बेहद कमजोर रहा। ऐसे में जीत में ज्यादा अंतर हो पाने की संभावना कम है।
कम अंतर से हैट्रिक लगा सकती है भाजपा
इस बार राजस्थान के लोकसभा चुनावों में तीन फैक्टर सबसे ज्यादा चले। पहला जाटों की नाराजगी, एससी-एसटी में आरक्षण का मुद्दा और तीसरा भाजपा में असंतोष। यही वजह है कि राजस्थान में इस बार चौंकाने वाले चुनावी नतीजों को लेकर सट्टा बाजार से लेकर सियासी गलियारों तक बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद जयपुर ग्रामीण सीट पर बीजेपी के जीत की हैट्रिक लगाने की संभावना सबसे ज्यादा है। हालांकि जातिगत गोलबंदी मार्जिन पर इसका असर पड़ेगा लेकिन नतीजे बीजेपी के पक्ष में ही रहेंगे, यह तय नजर आ रहा है।
कुल 56.70% वोट पड़े जयपुर ग्रामीण में
जयपुर ग्रामीण लोकसभा में 2019 के चुनावों में 64.7 % वोटिंग हुई थी लेकिन इस बार यह घटकर 56.70 % रह गई। इसी आधार पर दावे किए जा रहे हैं कि इस बार बीजेपी का वोट कम पड़ा लेकिन सिर्फ बीजेपी का ही वोट कम पड़ा यह कहना सही नहीं होगा क्योंकि समान स्थिति कांग्रेस की भी रही है।
यहां से मिलेगी बड़ी लीड –
इस लोकसभा में आने वाली झोटवाड़ा विधानसभा ही भाजपा की जीत का रास्ता तय करेगी। संभावना है यहां से राव राजेंद्र करीब 70 से 90 हजार तक की लीड लेंगे, वहीं आमेर से अनिल चौपड़ा 30 हजार तक की लीड ले सकते हैं। बाकी विधानसभाओं में मुकाबला लगभग बराबरी का देखने को मिलेगा।
इस सीट पर आती हैं 8 विधानसभाएं –
जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट पर 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें इस बार के विधानसभा चुनावों में बड़े फेरबदल हुए हैं।
विधानसभा 2023(विस.चुनाव) 2018 (विस.चुनाव)
कोटपूतली बीजेपी कांग्रेस
विराटनगर बीजेपी कांग्रेस
शाहपुरा कांग्रेस निर्दलीय
फुलेरा कांग्रेस बीजेपी
झोटवाड़ा बीजेपी कांग्रेस
आमेर कांग्रेस बीजेपी
जमवारामगढ़ बीजेपी कांग्रेस
बानसूर बीजेपी कांग्रेस