प्रदेश को सिंचाई के लिए के लिए रोजाना 3500 क्यूसेक पानी की जरूरत, लेकिन राजस्थान 1800 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा

ग्वालियर

 मध्य प्रदेश को सिंचाई के लिए नहरों में पर्याप्त पानी देने के लिए रोजाना 3500 क्यूबिक फीट प्रति सेकंड (क्यूसेक) के फ्लो रेट से पानी की जरूरत है। लेकिन राजस्थान की ओर से 1800 क्यूसेक पानी ही मप्र के हिस्से की नहरों में छोड़ा जा रहा है। इस कारण ग्वालियर चंबल में सिंचाई के लिए जल संकट के हालात बन गए हैं। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने राजस्थान के मंत्री को फोन कर अपनी आपत्ति दर्ज की है।

जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने  इस संबंध में राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत से टेलीफोन पर बात कर कम पानी दिए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई। इसके साथ ही मप्र के चंबल संभाग में बन रही जलसंकट की स्थिति से अवगत कराया। सिलावट ने रावत को बताया कि सिंचाई के लिए चंबल की नहरों में पर्याप्त पानी नहीं मिलने से किसानों में आक्रोश है। किसानों की फसलों को सूखने से बचाने के लिए सिलावट ने मांग की कि पार्वती एक्वाडक्ट पर मप्र की जरूरत और मांग के हिसाब से 3500 क्यूसेक पानी रोजाना छोड़ना सुनिश्चित किया जाए।

अधिकारी अपने स्तर पर  पिछले दो दिन से कर रहे थे बात

पिछले दो दिन से मप्र के जल संसाधन विभाग के अधिकारी अपने स्तर पर राजस्थान के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर रहे थे, लेकिन जब समस्या का कोई हल नहीं निकला तो अधिकारियों ने राजनीतिक स्तर पर समाधान निकालने के लिए मंत्री तुलसी सिलावट को इसकी जानकारी दी। सिलावट के फोन करने के बाद राजस्थान ने बुधवार को पानी का फ्लो बढ़ाना शुरू किया। आपत्ति के बाद 1800 क्यूसेक से बढ़ाकर पानी 2200 क्यूसेक किया गया है।   

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