द इनसाइडर्स: ऊर्वशी का मोह घर में मचा गया कोहराम, महिला आईएफएस बनी लेडी डॉन, पत्नी की वजह से आईएएस पति की मौज
द इनसाइडर्स में इस बार पढ़िए आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के अनसुने और रोचक किस्से

कुलदीप सिंगोरिया@9926510865
भोपाल | योग: कर्मसु कौशलम का ध्येय वाक्य के साथ अब 21 वीं शुरू हो चुकी थी। 20 वीं सदी के अंत में डीडीएलजी जैसी फिल्मों के विदेशों में फिल्माएं गए सीन और Y2K के कारण IIT, IIM की बहुत सारी क्रीम विदेश पलायन कर गई तो UPSC के आउटपुट में भी थोड़ी गिरावट हुई। 2003 में MR बंटाधार गए और आईं दीदी..बालहठ, त्रियाहठ, राजहठ और साधु हठ का सम्मिश्रण… अचानक से पॉवर RSS (राहुल, सिद्धार्थ, स्वामी) के हाथों में आ गई। फिर शुरू हुआ कलेक्टर के पदों का स्थूल अवमूल्यन…लगभग 50% से ज्यादा जिलों की बोली लगी शेष किसी तरह तब के तत्कालीन एसोसिएशन/बड़े साहब के दवाब में बच गए..। जो परोक्ष था, अब प्रत्यक्ष होने लगा। पहले जिसके लिए वर्क्स डिपार्टमेंट बदनाम थे वो सब अब प्रशासन में भी काफी मात्रा में होने लगा। अब पदों पर बोली के लिए पैंसठिये (इन्वेस्टर चमचे) मदद करने लगे या यूं कहें इन्वेस्ट करने लगे। खदानों वाले जिले और महानगर महंगे बिकने लगे। पहले इन्वेस्ट किया जाने लगा फिर उगाही..। सेवा ने अब व्यापार का रूप धर लिया। अधिकारी,पैंसठिये,व्यापारी,पत्रकार और राजनेता की पंच रत्न कोटरीयां (कॉकस) बनने लगीं। कहने को तो एसोसिएशन के बैनर तले एकता थी। पर हर कोटरी ..दूसरी कोटरी पर घात प्रतिघात का खेल खेलने लगी। और ये खेल अब तक जारी है। आज के दौर में लगभग 75% जिले की हुक़ूमगिरी की रिक्तियां खुली निविदा में रहतीं हैं और शेष बड़े साहब के विवेक पर..ये जरूरी भी है। ग्रामीण परम्परा है कि गाय को दुहने पर तीन थन दूध दुहा जाता है और एक थन दूध बछड़े के लिये छोड़ दिया जाता है (for survival of system..)। और अब नया टर्म सामने आने लगा.. IAIS (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव इन्वेस्टमेंट सर्विसेज..)..और कोटरी के साथ फलाना IAS PVT LTD…..फिर आया C-SAT और नए तरह की साहबगिरी। इसकी चर्चा अगले अंक में…फिलहाल आपको इस बोझिलता से चटखारों की ओर लिए चलते हैं हमारे कॉलम ‘द इनसाइडर्स’ में। पढ़िए और आनंदित होईए रसूखदारों के ताजा तरीन मसालेदार किस्सों से…
नाकामयाब अफसर की कामयाबी की सीढ़ी बनी सफल पत्नी
राजधानी में पति-पत्नी का एक अधिकारी वाला जोड़ा है। पति अखिल भारतीय सेवा से मध्य प्रदेश शासन में हैं तो श्रीमतीजी अखिल भारतीय राजस्व सेवा की एजेंसी में। दोनों ही भोपाल में पदस्थ हैं। किस्सा यह है कि श्रीमान जी दो कलेक्टरी में कुछ खास प्रभावी नहीं रहे और बड़े कांडों के चलते हटाए गए। पर कुछ ही समय में लूपलाइन में रहकर हर बार मलाईदार पद पा जाते हैं। उनका सीक्रेट नुस्खा है होम पॉवर अर्थात श्रीमती जी। वो आय से जुड़ी एजेंसी में महत्वपूर्ण पद पर बैठीं हैं। प्रदेश के सारे रसूखदार बिल्डर, खनन कारोबारी कम पॉवर ब्रोकर हुक्का भरते हैं। कई वरिष्ठ अधिकारी और व्यवसायियों को छापों की एडवांस खबर दी। और कईयों की छापों के बाद मदद की। ऐसे ही पांचवीं मंजिल पर पदस्थ एक अधिकारी की इन्होंने उनके गर्दिश के दिनों में बहुत मदद की थी। सो पति से भी ज्यादा उगाही भी कर लेतीं हैं औऱ पति को भी अच्छी मलाईदार पोस्टिंग दिलवा देती हैं। फिलहाल, साहब स्वास्थ्य वाली पोस्टिंग में हैं। इनकी चर्चा इसलिए क्योंकि आप जानते ही हैं कि शर्मा जी के छापे की की गूंज दिल्ली तक है। खैर, उनके कृतित्व को देखते हुए कहावत यूं बन पड़ी है कि…” हर नाकामयाब पुरुष को कामयाब बनाने के पीछे एक कामयाब स्त्री का हाथ होता है..”
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आईएएस की उड़ी रातों की नींद
छापों का मौसम है। शर्मा एंड शर्मा कंपनी की विशेष कृपा से लोग तस्वीरों में सोने का भंडार देख पा रहे हैं। लेकिन एक आईएएस की नींद उड़ी हैं। साहब जब नगर निगम में थे, तबसे पूर्व मुख्य सचिव के करीबी शर्माजी के ‘विशेष’ संपर्क में थे। शर्माजी ने उन्हें सेंट्रल पार्क के अलावा कटनी और बालाघाट में भी जमीनों में निवेश करवाया। खबर यह है कि इसकी भनक आयकर विभाग को लग चुकी है। और न लगी होगी तो इस कॉलम को पढ़कर लग ही जाएगी। खैर, साहब की ‘विशेषता‘ यह है कि उनके भाई भी ‘इच्छाओं’ को गढ़ पाने में माहिर हैं और राज्य प्रशासनिक सेवा में बढ़िया बैटिंग करते हैं।
…कहीं दाग न लग जाये..
फ़टी हुई जीन्स पहनों तो कोई डर नहीं लगता कि कहीं फट न जाए। पर शानदार सूट पहनेंगे तो एतिहात तो बरतना पढ़ेगा कि कहीं कील न फस जाए कहीं दाग न लग जाए..। इसी तरह बेदाग़ छवि का भी बड़ा खयाल रखना होता है कई एतिहात बरतने होते हैं क्योंकि सबकी निगाह आप पर ही रहतीं है। इसी तरह हमारे इनसाइडर ने खबर दी है कि आज कल “बड़े साहब” से मिलने वालों में ग्वालियर रतलाम और इंदौर के लोगों की तादात कुछ तेजी से बढ़ी है। दिक्कत लोगों को ये है कि ज्यादातर “जैन समाज” के हैं। हमको कोई दिक्कत नहीं पर इतना जरूर कहेंगे कि हुजूर ज़रा सम्भल के ..कहीं दाग न लग जाए…
संवेदनशील लोकोन्मुखी प्रशासन…
महान अज्ञेय वादी विचारक रॉबर्ट ग्रीन इंगरसोल ने कहा था …”व्यवहारिक विवेक होना शिक्षित होने से हज़ार गुना बेहतर है …”….। ऐसा ही कुछ हुआ था कोविड के बाद नगर निगम भोपाल में। दरअसल कोविड के समय एक और बहुत बड़ी समस्या थी वो थी कोविड वेस्ट और कोविड से दिवंगत पार्थिव शरीर का निष्पादन। जब लोग अपने परिजनों को अग्नि देने से कतरा रहे थे तब भोपाल भदभदा विश्रामघाट के कुछ सेवा भावी उन्हें दाग दे रहे थे। लेकिन कोविड कब खत्म होगा कोई जानता न था और इन्फेक्टेड डेड बॉडीज की भीड़ लगी थी। आपात काले मर्यादा नास्ति को देखते हुए तत्कालीन नगर निगम आयुक्त ने विश्राम घाट समिति को आश्वस्त किया कि आप लोग दाह संस्कार करवाइए, खर्च का हम बाद में देख लेंगे। पर इसी बीच नगर निगम आयुक्त का स्थानांतरण हो गया और आ गए Mr clean नगर निगम आयुक्त …समिति ने पुराने साहब का प्रॉमिस बताया …पर साहब तो अव्यवहारिक रूप से ईमानदार थे ..तो कोई भी मदद नहीं की…चाहते तो गार्डन सेक्शन में पड़ी लकड़ियों से ही भरपाई हो सकती थी …पर “जाकी न फटी बिबाई वो का जाने पीर पराई”। समिति ने बर्दाश्त किया। पर दिल्ली में पदस्थ पुराने नगर निगम आयुक्त को जब पता चला …तो उन्होंने तब के परिचित ठेकेदारों से लगभग 5 लाख का चंदा समिति को दिलवा दिया। हालांकि पुराने आयुक्त की छवि भी ईमानदार है। पर हमें तो लगता है कि संवेदनहीन ईमानदार से दयालु भ्रष्ट बेहतर होता है।
ऊवर्शी के हनीट्रेप में फंसे इंजीनियर साहब
ऊवर्शी…स्वर्ग की अप्सरा। देवताओं और ऋषियों को अपने नृत्य कौशल से मोह लेने वाली। राजा पुरूरवा के साथ इनकी कहानी को आप गूगल बाबा की मदद से पढ़ लीजिए। लेकिन आज हम इसका जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि धरती लोक पर इसी नाम की एक महिला और लोक निर्माण विभाग के एक इंजीनियर के चर्चे चंहूओर गूंज रहे है। इंजीनियर साहब इनके प्यार में ट्रेप हो चुके हैं। ऊर्वशी ने पहले तो जमकर माल बटोरा लेकिन फिर इंजीनियर साहब ने हाथ खड़े कर दिए तो यह उनके घर पहुंच गई। साहब की लानत-मलानत हुई तो उन्होंने नर्मदापुरम के एक इंजीनियर को देवी ऊर्वशी के सेवा में लगा दिया। अब चर्चे यह हैं कि ऊर्वशी का प्रेम कब तक साहब पर बना रहता है या फिर अगला रिचार्ज कब होगा?
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सब मेरे गुलाम है…
अमेरिका में कभी का दास प्रथा का उन्मूलन हो चुका है। भारत में भी 800 साल पहले गुलाम वंश कब्र में दफ्न हो चुका है लेकिन एक महिला आईएफएस अभी भी उसी गुलामी के दौर में जी रही हैं। उन्हें लगता है कि उनके मातहत गुलाम ही हैं। इसलिए उन पर कोड़े बरसाना यानी बदतमीजी करना उनका व्यक्तिगत अधिकार है। अंग्रेजी संस्कार वाली यह अफसर नर्मदा किनारे वाले जिले के एक टाइगर रिजर्व में पदस्थ हैं और पद के नशे में घमंडी हो गई हैं। इन्हें आम हो या खास सबसे मिलने से परहेज है। लेकिन बैटिंग करने से कोई परहेज नहीं है। बैटिंग यानी रिश्वत के लिए भूखी बाघिन बन जाती है। इसके ठीक उलट इनकी वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी उतनी ही सौम्य, मिलनसार और व्यवहारिक है।
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ट्रांसफर की रिश्वत से बन रहा आलीशान बंगला
राजधानी के कोलार के हिल्स वाले और टाइगर मूवमेंट वाले क्षेत्र में राज्य प्रशासनिक सेवा के एक अफसर का आलीशान बंगला बन रहा है। इसमें लाखों रूपए की कीमत वाले झूमर आदि लगाए जा रहे हैं। बता दें कि यह साहब पहले भोपाल विकास प्राधिकरण में रह चुके हैं और जमीनों में जमकर खेल किए हैं। फिलहाल सरकार के पूर्व करीबी अफसर के छाया में खाने पीने की सामग्री वाले निगम में ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेला खेल रहे हैं। भैया लगे रहो बैटिंग में लेकिन छापों वाली एजेंसियों की जद में न आ जाना। नहीं तो जिंदगी भर एजेंसियों के चक्कर काटने में बीतेगी।
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…शिव का काम ही है संहार करना..
नेता और अधिकारी ,या ज्यादा पैसे कमाने वाले अक्सर ज्योतिष, टोटके और सगुन अपशगुन को बहुत मानते हैं । पर शायद कांग्रेस से बीजेपी में आए चंबल के मंत्री जी नहीं मानते…तभी तो उन्होने एक ऐसे निज सचिव को स्टॉफ में ले लिया है जो असगुनहे के नाम से मशहूर है। दरअसल ये निज सचिव पिछले तीन बार से जिस जिस मंत्रियों के स्टॉफ में रहा वो या तो विधायक का चुनाव हार गए या फिर मंत्री नहीं बन पाए। खुद ये मंत्री जी भी तब सिर्फ चंद महीनों के मंत्री बन कर रह गए थे और उपचुनाव हार गए थे। पर धंधे में मास्टर हैं ये निज सचिव। खैर शिव काम ही होता है संहार करना…अब परमात्मा मंत्री जी को बचाये। हम तो कहेंगे
जहां जहां पांव पड़े सन्तन के तहां तहां बंटाधार..
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यूट्यूब के बुखार ने किया बेकार
एक एडीजी को यूट्यूब का जमकर बुखार चढ़ा है। खुद का चैनल बनाकर अपना बखान करते रहते हैं। यह बात अलग है कि इस बुखार ने उनका काम पर से ध्यान हटा दिया है। खैर, हाल ही में भौंरी पुलिस अकादमी में गए और यहां प्रशिक्षुओं के सामने अपने यूट्यूब चैनल का बखान करने लगे। सामने एडीजी रैंक के अफसर थे, इसलिए प्रशिक्षुओं की मजबूरी ये थी कि उन्हें न चाहते हुए भी हर बात सुननी पड़ी।
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जितना गुड़ डालोगे उतना मीठा होगा…
इंदौर से सटे बड़े जिले के एसपी साहब का प्रमोशन होने वाला है। इसलिए अब उनकी यहां से विदाई तय है। लिहाजा, मलाईदार औधोगिक क्षेत्र के कारण यहां की पदस्थापना की प्रतियोगिता प्रारम्भ हो गई है। अहर्ता प्राप्त वर्दीधारियों से निविदा आमंत्रित की गईं हैं। देखें जनवरी में किसका टेंडर पास होता है। हालांकि, अन्य जिलों के लिए भी बोली लग रहीं हैं पर ये सीट कुछ खास है…
और इसी किस्से के साथ आज आपसे लेते हैं विदा। साथ ही, नए साल की आप सभी सुधि पाठकों को ‘द इनसाइडर्स’ परिवार की ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं। अगले शनिवार दोपहर 12 बजे फिर मिलेंगे अपने इसी अड्डे www.khashkhabar.com पर। तब तक के लिए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत देश दुनिया की ताजा-तरीन खबरों के लिए हमारे व्हाट्स चैनल https://whatsapp.com/channel/0029VajMXNDJ3jv4hD38uN2Q या व्हाट्सएप ग्रुप https://chat.whatsapp.com/EdVPlhhSc9b12eDmvhpcWj से जुड़ें। एक निवेदन भी। जैसे आप द इनसाइडर्स को पढ़कर आनंदित होते हैं, वैसे ही औरों तक भी इसे पहुंचाने के लिए शेयर भी जरूर करें।