द इनसाइडर्स: रातें रंगीन करने वाला बना मंत्री का सहायक, विभाग का लेनदेन करने वाला हुआ गुमशुदा, टेरर टैक्स वसूल रहा मंत्री पुत्र

द इनसाइडर्स के इस अंक में पढ़िए मंत्रियों और उनसे जुड़े कारिंदों के कारनामों के किस्से...

कुलदीप सिंगोरिया@9926510865
भोपाल | आजाद भारत के नए लाट साहबों का नया दौर यानी C Sat के बाद के अफसरों की दास्तान योग: कर्मशु कौशलम् श्रृंखला में गतांक से आगे… सीसैट वाले नए जहांपनाह अपने IIT/आईआईएम के दोस्तों की तरह पार्टी करने के शौक में भूल जाते हैं कि वो एक लोक सेवक हैं और उन्हें 24 घण्टे तत्पर रहना होता है (न कि नशे में..)। इनकी ग्रामों के बारे में समझ TV /फ़िल्म/पत्रकार/NGO पर आधारित होती है। ये अपेक्षाकृत कम संवेदनशील होते हैं और जनता और अधीनस्थ मूर्ख लगते हैं। ये उनपर राज करने के लिए बने हैं, ऐसा मनोभाव होता है।
दरअसल, इनकी बुध्दि का लॉजिकल सर्किट सिर्फ “ऑन-ऑफ कंट्रोल” समझता है ..ये जब डराते हैं तो बहुत ज्यादा …और यदि सामने वाला भारी हो तो डरते हैं.. वो भी अतिरेक..(कारण चरित्र का अभाव)। डरने और डराने के बीच की स्थिति इन्हें कम ही समझ आती है…इनमें स्थान, काल, वर्ण और आश्रम के अनुरूप सहज व्यवहार करने की समझ कम ही दिखाई पड़ती है। ये Thumb rules से रूल करना चाहते हैं। स्थिति को सतत समझने की मेहनत से बचते हैं (हमारा ये कथन सभी के लिए नहीं पर बहुतों के लिए है)। सूर्यास्त होते ही बंगले या सर्किट हाउस में रंगीनियाँ चालू हो जाती हैं। ब्रूस ली ने कहा था… “KNOWLEDGE GIVES YOU POWER BUT CHARACTER RESPECT…” यानी ये अपनी बुद्धिमत्ता से सत्ता तो हासिल कर बैठे पर चरित्र की गहराई जो भारतीय संस्कृति से आती है वो खो बैठे। इनके लिए हमें रतन टाटा की बात याद आती है..”Slow success builds charecter, fast success egos…” और इनकी बदकिस्मती देखिए कि ज्यादातर वरिष्ठ इन्हें टोकने की बजाय अपने बुढापे के लिए सम्बन्ध बनाने में…इनकी तारीफ में लगे रहते हैं। कुछ वरिष्ठ तो इस नई पौध को बकायदा अपना टेस्टेड ओके पैंसठिया (इन्वेस्टर/ चमचा/दलाल ) भी विरासत में दे देते हैं। लेकिन इनमें भी नैसर्गिक रूप से ईमानदार अधिकारियों की पौध भी आती रही है जिन्हें अपनी “संस्कृति” पर गर्व है। इन नए कलेक्टरों की कुछ समस्यायें भी है। इन्हें इनकी जैसी हाई एटीट्यूड लड़कियां शादी के मामले में रिजेक्ट बहुत करतीं हैं..क्योंकि छोटे जिलों में मॉल जो नहीं होते …बिना मॉल के शहर में आजकल की लड़कियां रहना नहीं चाहतीं। इसीलिए अक्सर जिला हुकुम की मैडमें शुरुआती सालों में अपने मायके में ज्यादा रहतीं हैं। जब साहब की पोस्टिंग भोपाल होती है तब साथ रहना ज्यादा होता है। दूसरी समस्या खुद को फ़िल्म स्टार की तरह सेलेब्रिटी मानते हैं और अपने बैचमेट्स के दम पर पूरे हिंदुस्तान में vip रहते हैं। तो सिर्फ विदेश में ही जा कर सामान्य नागरिक महसूस कर पाते हैं इसलिए सोशल मीडिया की dp में विदेश के फोटो ही पोस्ट करना पसंद करते हैं। तीसरी समस्या कैडर की पुरानी है पर बदस्तूर जारी है। जब कैडर में आपस में विवाह होता है..तो ज्यादातर में शादी कम MOU ज्यादा होता है। अगले अंक में नज़र डालेंगे अफसरों के विभिन्न प्रकार पर…तब तक चटखारे लेकर रसूखदारों के इस हफ्ते के किस्सों का आनंद लीजिए ‘द इनसाइडर्स’ के इस अंक में …

दो शर्मा के छापों के बाद मंत्री स्टाफ से तीसरा शर्मा गायब
जिन मंत्री के राज में सौरभ शर्मा का इकबाल बुलंद हुआ, उन्हीं के पर्सनल और प्राइवेट स्टाफ से एक शर्मा गुमशुदा हो गया है। मंत्री के स्टाफ में पदस्थ यह शर्मा ही गोविंद कृपा से सारा लेनदेन देखता था। लिहाजा, सबसे ताकतवर भी था। अब विभाग के कर्मचारी, अधिकारी और ठेकेदार शर्मा जी को देश-दुनिया में खोज रहे हैं ताकि अपने काम करवा सकें। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि मलाई किसे दी जाए और मंत्री जी परिवहन के कांडों की वजह सहमे से हैं।

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मंत्री की धमकी काम आई, नर्मदा किनारे अय्याशी करने वाला बना विशेष सहायक
अपने पसंदीदा अपर मुख्य सचिव के रिटायर होते ही एक पैंसठिया नई प्रमुख सचिव मैडम के आते ही सिस्टम से बाहर हो गया था। लिहाजा, इसने जुगत लगाई और पहुंच गया दूसरे विभाग के मंत्री की शरण में। मंत्री जी को उसका संग भा गया तो सरकार को उसकी पोस्टिंग के लिए धमका दिया। धमकी ने काम किया और पैंसठिया अब मंत्री जी का विशेष सहायक बन गया है। मंत्री जी की पहचान के लिए बता दें कि वे आवाजाही और छोटे बच्चों की शिक्षा से संबंधित विभाग संभालते हैं। जबकि पैंसठिया पहले ग्रामीण विकास से संबंधित विभाग में था। ‘द इनसाइडर्स’ ने पूर्व में इसके बारे मे बताया था। यह नौकरी के लिए हवाईजहाज से अपडाउन किया करता था। यही नहीं, मालवा के नर्मदा नदी के मशहूर घाट वाले जिले में अपने आलीशान फार्महाउस पर एक सीनियर आईएएस के साथ शाम रंगीन किया करता था।

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टेरर टैक्स वसूल रहा मंत्री पुत्र
दिग्गी राजा के इलाके से आने वाले उनके विपक्षी मंत्री पुत्र का आतंक पूरे क्षेत्र में व्याप्त है। मंत्री जी को हूटर बजाने का इतना शौक है कि वह खड़ी गाड़ी में भी इसे बजवाते रहते हैं। उनके इस हूटर टेरर की तरह मंत्री पुत्र इलाके में सभी से टेरर टैक्स वसूल रहा है। इस बात से आजिज आकर जिले के पार्टी नेता ने मंत्री जी के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। वैसे हमने इस सरकार में सुना था कि मोहन का नारायण मोह लेकिन मंत्री जी के मामले में नारायण का मोहन मोह हो गया है। बता दें कि मंत्री जी के पुत्र के नाम में मोहन आता है।
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सूची ने सांसों को अटकाया
बहुप्रतिक्षित तबादला सूची है कि जारी होने का नाम ही नहीं ले रही है। खैर, हमारे इनसाइडर बता रहे हैं कि बड़े साहब और डॉक्टर साहब इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। लिहाजा, मामा की तरह काफी सोच-विचार चल रहा है। कयास यह भी हैं कि रविवार तक सूची नहीं जारी हुई तो फिर 26 जनवरी तक इस पर होल्ड लगाया जाएगा। खैर, यह सरकार का काम है कि अफसरों का तबादला हो या नहीं। लेकिन इस चक्कर में कुछ अफसरों ने काम करना बंद कर दिया है तो कुछ आखिरी ओवरों की तरह धुआंधार बैटिंग कर रहे हैं। कुछ की धुकधुकी बंधी हुई तो कुछ की सांसें अटकी हुई हैं। हम तो इतना ही कहना चाहते हैं मलाइयों के चक्कर में सांसों की चाल काहे बिगाड़ रहे हैं साहब!
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50 फाइलों की नई खेप में भाई ने किया बड़ा खेल
हमने पिछले हफ्ते ही बताया था कि जमीन के नक्शों का पास करने वाले एक डायरेक्टोरेट के मुखिया दबे व सधे अंदाज में बढ़िया बैटिंग करते हैं। उनका पैंसठिया यानी उगाहीकर्ता उनका भाई ही है। इस भाई ने आर्थिक राजधानी में धारा 16 से संबंधित 50 फाइलों की नई खेप तैयार कर ली है। लेकिन दिक्कत यह है कि मुखिया का ट्रांसफर हो गया तो फाइलें अटक जाएंगी। लिहाजा, ऐसी भी खबर है कि ट्रांसफर की अटकल सही हुई तो मुखिया मसूरी की ट्रेनिंग अधूरी छोड़ वापस आ जाएंगे और फाइलों में रखे नोट अपनी दक्षिण भारत वाली तिजोरी में भेज देंगे।
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बड़े कप्तान की तिरछी नजरों से चाल हुई नाकाम
हमने पूर्व में ही बड़े कप्तान साहब की ईमानदारी के बारे में बता दिया था। लेकिन कुछ को यह बात समझ में न आई थी। इसलिए वे बेखौफ बैटिंग कर रहे थे। दूरसंचार से सबंधित एक शाखा में एक साहब ने अपने दो मातहतों के जरिए करीब 20 करोड़ रुपए के टेंडर में बड़े घपले के करीब-करीब अंजाम तक पहुंचा ही दिया था। लेकिन यहां के 100 प्रतिशत ईमानदार मुखिया को द इनसाइडर्स ने बताया तो उन्होंने टेंडर को रद्द कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि इस टेंडर में सिर्फ कमीशन के ही 5 करोड़ रुपए मिलने वाले थे।

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ट्रांसफर की भनक हुई तो ठेकेदारों को बुलाया
खाने-पीने के सामानों की सप्लाई करने वाले एक निगम के मुखिया यादव जी बिजनेस के पक्के हैं। चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए की तर्ज पर गाय के हर थन को दुहना जानते हैं। हाल ही में एक दिन इन्हें अपने ट्रांसफर की भनक लगी। फौरन तंत्र को एक्टिव किया और ठेकेदारों और कर्मचारियों को संदेश भेजा कि जो भी काम हो तुरंत मलाई के साथ लाया जाए, शाम तक हो जाएगा। लेकिन शाम को पता चला कि अभी ट्रांसफर होल्ड पर है तो यादव जी ने पैंतरा बदल लिया और ठेकेदारों से कहा कि अब काम तभी होगा जबकि मलाई की मात्रा बढ़ाई जाए।

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इन्वेस्टिगेटर ही असली वसूलीबाज
मालवा क्षेत्र में जमीन की प्लानिंग करने वाले कार्यालय में इन्वेस्टिगेटर्स का बोलबाला है। करीब 6 से 7 साल पहले भर्ती हुए यह इन्वेस्टिगेटर तब तक फाइल ओके नहीं करते जब तब कि मनमाफिक मलाई न मिल जाए। मानचित्रकार भी इनके आगे फेल हो चुके हैं। और साहबों ने इन्वेस्टिगेटर को ही पूरा काम सौंप दिया है। आर्थिक राजधानी में भी दो इन्वेस्टिगेटर से बिल्डर भयभीत हैं।

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फरवरी में तीन रसूखदारों के यहां गूंजेंगी शहनाईयां
मामा के यहां अगले महीने यानी फरवरी में शहनाईयां बजने वाली हैं। उनके साथ ही उनके बचपन के मित्र और प्रदेश के बड़े बिल्डर व कंस्ट्रक्शन कारोबारी के यहां भी फरवरी का मुहूर्त निकला है। बड़े ही जोर-शोर से विवाह की तैयारियां चल रही हैं। तीसरे रसूखदार नई सरकार के बहुत खास हैं। माइनिंग में खासा दखल हैं और व्यापमं कांड में चर्चित हो चुके हैं। उनके यहां भी विवाह की तैयारियों में पुरानी और नई दोनों ही सरकारों के खास रहे अफसर जुटे हैं। बहरहाल तीनों ही खासमखास को ही ‘द इनसाइडर्स’ परिवार की ओर से अग्रिम शुभकामनाएं।

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अब आपसे लेते हैं विदा और वादा करते हैं कि फिर मिलेंगे अगले शनिवार दोपहर 12 बजे हमारे अड्‌डे www.khashkhabar.com पर ‘द इनसाइडर्स’ के नए चुटीले किस्सों के साथ। इस हफ्ते के हमारे इनसाइडर्स को आभार के साथ सुधि पाठक गणों को अलविदा!

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