सीनियर आईएएस की महिला मित्र ने नहीं चुकाया रिसॉर्ट का 32 लाख का बिल, टीआई ने बटोरा माल पर विधायक को फूटी कौड़ी नहीं दी

द इनसाइडर्स आपके लिए लाया है सत्ता के गलियारों की वो चटपटी खबरें जो बताएंगी इसके किरदारों के असल चेहरे...

कुलदीप सिंगोरिया |
“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
हिंदी सदा विजयी रहे, हिंदी रहे सजीव।
हिंदी का गौरव सदा, दुनिया में हो अतीव।।
भारत की हिंदी रहे, भारत का अभिमान।
हिंदी भाषा के बिना, नहीं हमें पहचान।।
आओ मिलकर करें प्रण, हिंदी का आदर हो।
हिंदी से सब काम हो, हिंदी से घर भर हो।।”
विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाओं के साथ कवि सोहनलाल द्विवेदी की यह कविता आप सभी सुधि पाठकों को समर्पित करता हूं। और शुरू करते हैं आज का द इनसाइडडर्स…
रिसॉर्ट पॉलिटिक्स से आप सभी बखूबी परिचित होंगे। कभी यह रिसॉर्ट सरकारें बचाने के काम आते हैं तो कभी गिराने के। अब इनमें क्या होता है, यह तो यहां रूकने वाले जाने। द इनसाइडर्स में रिसॉर्ट प्रेमी रसूखदारों की कुछ खबरें यहीं से निकल रही है। पढ़िए इन किस्सों को चटखारे वाले अंदाज में…

सीनियर आईएएस अफसर के रंगीन किस्सों का पिटारा
पानी से जुड़े एक विभाग में पदस्थ सीनियर आईएएस अफसर के रंगीन किस्सों का पिटारा धीरे-धीरे खुलने लगा है। यह साहब जब रोजगार देने वाली संस्था से जुड़े तब यहां पदस्थ महिला अफसर से दोस्ती परवान पर थी। दोस्ती इतनी पक्की थी कि राजधानी के केरवा वाले इलाके में अक्सर एक रिसॉर्ट में रात साथ बिताते थे। रिसॉर्ट मालिक ने पहले तो बहुत दरियादिली दिखाई लेकिन जब बात बिगड़ गई तो 32 लाख रुपए का बिल थमा दिया। अफसर कभी बिल चुकाते हैं क्या? बस फिर रिसॉर्ट मालिक ने पोटली खोल दी और इसके बाद की कहानी आप जानते ही हैं।

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नर्मदा किनारे रिसॉर्ट में रात बिताने का राज
हवाई जहाज से नौकरी के लिए अप-डाउन करने वाले एक साहब का किस्सा आपने द इनसाइडर के पिछले अंक में पढ़ा था। अब इन साहब के बारे में नया खुलासा हुआ है। साहब पहले नर्मदा किनारे मां अहिल्या बाई के शहर में पदस्थ थे तो वहां के कमिश्नर साहब को अपने रिसॉर्ट में ठहराते थे। रिसॉर्ट नर्मदा नदी के किनारे बना है। इस आलीशान रिसॉर्ट में कमिश्नर साहब और खुद के लिए वे विपरीत लिंग के प्राणी की भी व्यवस्था करते थे।

कामचोर आईएएस से अहम विभाग छिनेगा
कामचोर और आलसी प्रमुख सचिव से सरकार इतनी नाराज है कि उनसे प्रदेश में कर से संबंधित वाला विभाग वापस लिया जाएगा। इसके बाद उनके पास लूप लाइन वाला एक छोटा सा विभाग रह जाएगा। सरकार में उच्च पद पर पदस्थ एक इनसाइडर ने कहा कि कामचोर अफसर छोटे विभाग के लायक ही हैं। बता दें कि इन साहब को कुछ दिन पहले एक और बड़ा विभाग दिया जा रहा था लेकिन उन्होंने काम के डर से मना कर दिया। इससे सरकार की वक्रदृष्टि इन पर पड़ गई है। यह भी बता दें कि साहब हमेशा से ही आरामजीवी रहे हैं। जब यह जवानी के दिनों में थे, तब भी ऑफिस 12 बजे से पहले नहीं आते थे।

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काम ऐसा मिले जिससे डीजीपी बनने की राह आसान हो
एक सीनियर आईपीएस इन दिनों ऐसी मलाईदार पोस्टिंग चाहते हैं, जिसमें वे सरकार से अपने संबंध और प्रगाढ़ कर सकें। फिर इन्हीं संबंधों के जरिए प्रमोशन के तौर पर डीजीपी बन सके। ऐसी कौनसी मलाईदार पोस्ट है, यह तो वहीं जानें। हम तो इतना ही कहेंगे कि कभी-कभी ज्यादा मलाईदार पोस्ट नुकसान भी पहुंचा देती है। फटाफट आपको इनके बारे में कुछ और भी बता देते हैं। इनके भाई मध्यप्रदेश के बड़े कारोबारी के पार्टनर है और दूसरे भाई पूर्व आईपीएस हैं।

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गुप्ता जी जाएंगे, गुप्ता जी आएंगे!
प्रदेश के नए परिवहन आयुक्त बनने के लिए दो गुप्ताओं की चर्चा है। वर्तमान परिवहन आयुक्त भी गुप्ता हैं। इनसाइड सूचना के मुताबिक सरकार डीपी गुप्ता की जगह दूसरे आईपीएस की पदस्थापना कर सकती है। लिहाजा, दौड़ में कई दावेदारों के नाम सामने आए हैं। इनमें प्रमुख दो नाम है – रवि गुप्ता और राकेश गुप्ता। यदि इन दोनों में से किसी को भी टीसी बनाया गया तो मतलब हुआ कि गुप्ता जी जाएंगे, गुप्ता जी आएंगे!

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यादव जी ने करवाई जांच एजेंसियों में उठापठक
प्रदेश की दोनों जांच एजेंसियों में हाल ही में काफी उठापठक हुई। कुछ आए, कुछ गए और कुछ को लूप लाइन मिली। इन पटकथाओं के पीछे राज्य पुलिस सेवा के एक यादव जी की भूमिका बताई जा रही है। साहब बड़े तालाब स्थित बोट क्लब के पास वाले एक भवन में पदस्थ हैं। उन्होंने एक साहब को ऐसा उखाड़ा कि वो विंध्य प्रदेश में जाकर गिरे।

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टीआई ने विधायक के नाम पर की लाखों की वसूली
राजधानी में डेम के नाम वाले थाने में पदस्थ एक टीआई साहब ने अजब-गजब खेल दिखाया। उन्होंने स्थानीय विधायक के नाम से करीब 80 लाख रुपए की वसूली कर डाली। इसमें से फूटी कौड़ी भी विधायक महोदय को नहीं दी और इस वसूली के बारे में बताया भी नहीं। यहां तक तो ठीक है लेकिन विधायक जी की पूछ परख भी नहीं की। विधायक को यह बात नागवार गुजरी तो उन्होंने सिंगल नाम वाला तबादला आदेश जारी करवा दिया। हालांकि नए वाले टीआई ने भी आते ही जोरदार बैटिंग शुरू कर दी है। इसलिए उनकी भी रवानगी जल्द ही होने वाली है।

दिन दहाड़े ‘कारोबार’
तू डाल-डाल तो मैं पात-पात….यही किया है हमारे संविदाधारी कृष्ण उर्फ पानी से जुड़े विभाग के बड़के इंजीनियर ने। दो हफ्ते पहले हमने उनके C type बंगले पर थैले लेकर मिलने वाले जिला अधिकारियों का वर्णन किया तो संविदा के रणछोड़दास ने कलेक्शन की राजधानी ही बदल दी। अब मथुरा(बंगले) की जगह द्वारका(ऑफिस) को राजधानी बना लिया। अब सुबह 10 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक एक काले शीशे वाली कार कार्यालय से थोड़ी दूर खड़ी रहती है। और कृष्ण का एक मातहत उस कार में जाकर कलेक्शन कर लेता है। इस प्रक्रिया से जिले के अधिकारी प्रसन्न हैं क्योंकि पहले संविदा इंजीनियर कई बार एडवांस लेकर भूल जाते थे। अब मातहत बकायदा आबंटन आदेश बनाकर रख देता है। इससे पैसों की गफलत नहीं होती है। वहीं, साहब अपने कक्ष में CCTV से पूरी गतिविधियों पर नजर रखते हैं। एक और बात यह है कि पिछले दिनों जांच एजेंसियों की ट्रैपिंग की गतिविधियों से संविदाधारी के मातहत “खरे” अंदर ही अंदर घबराये हुए हैं। लेकिन मना करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। क्योंकि साहब के प्रिय ठेकेदार के कारण पहले भी उसे मलाईदार पोस्ट से हटाया जा चुका है। दूसरी बार ऐसी स्थिति न हो अतः संविदाधारी का आदेश निभा रहा है। इस तरह 16 कलाओं में प्रवीण संविदा कृष्ण दिन दहाड़े कार में कार…ओ…बार कर रहे हैं।

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उम्मीद से कम मिला
रिटायर्ड हो चुके एक सीनियर आईएएस ऑफिसर ने पुनर्वास के लिए नागपुर के बहुत चक्कर लगाए। अपने लेखन से अपनी वफादारी जताई। आखिरकार उन पर नजर गई और पूरे तीन साल बाद साहब का पुनर्वास हुआ। अब मंत्रालय के दिलजले अफसर कह रहे हैं कि उनके साथ सरकार ने सांप भी मर गया और लाठी भी न टूटी वाला व्यवहार किया है। मतलब कि सरकार ने साहब की हैसियत और काबिलियत के हिसाब से पुनर्वास भी नहीं किया और जता भी दिया कि उनके साथ न्याय किया।

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आईएफएस साहब मोबाइल खरीदी में कर रहे खेल
अब खबर जंगल महकमे की। यहां एक आईएफएस साहब बड़ा खेल करने में जुटे हैं। वे विभाग में वन रक्षकों को दिए जाने वाले मोबाइल फोन्स की खरीदी से जुड़े हुए हैं। साहब ने अपनी मनपसंद फर्म को टेंडर देने के लिए बार-बार संशोधन जारी किए। फिर साहब ने इंदौर की एक फर्म को ठेका भी दे दिया। पूर्व में इस फर्म ने 2500 मोबाइल फोन सप्लाई किए थे, जिनमें ज्यादा कीमत की वजह से सरकार को राजस्व की हानि हुई थी। यह फर्म पुलिस मुख्यालय में भी दखल रखती है। इसलिए, सब जगह उसकी तूती बोल रही है।

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विपक्ष के निशाने पर आई मैडमजी
अपने अड़ियल रवैए और शिकायती लहजे वाली युवा महिला कलेक्टर अब विपक्ष के सबसे बड़े नेता के निशाने पर आ गई हैं। विपक्षी नेता मैडम के कलेक्टरी वाले जिले में किसानों के हक के लिए सड़क पर उतरे थे। उन्होंने कहा कि यहां की कलेक्टर ने पैसे देकर पोस्टिंग पाई है। उनकी बात में पता नहीं कितनी सच्चाई है लेकिन मैडम के रिटायर्ड आईएएस पिता जरूर लॉबिंग करते रहते हैं।
हट सकते हैं 8 से 10 कलेक्टर
जो अभी कलेक्टर नहीं बने हैं या पदस्थापना के लिए इंतजार में है, उनके लिए खुशखबर है। जल्द ही सरकार 8 से 10 कलेक्टर्स को हटा सकती है और उनके स्थान पर नए लोगों को कलेक्टरी दी जा सकती है। जिन कलेक्टरों को हटाया जाना है, उनका बीते 6 महीने के प्रदर्शन का आंकलन किया गया है। इसमें कुछ ऐसे नाम भी हैं, जिनका प्रदर्शन अच्छा है, लेकिन एक ही जिले में तीन साल होने की वजह से उन्हें दूसरे जिले में भी भेजा जा सकता है।

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