द इनसाइडर्स: कलेक्टर मैडम का नशा छुड़वाने मां कर रही निगरानी, बिटकॉइन में चाहिए रिश्वत, मंत्री ने विदेश यात्रा के लिए डॉलर में लिया चंदा

कुलदीप सिंगोरिया@9926510865
भोपाल | योग: कर्मसु कौशलम श्रृंखला को फिर शुरू करते हैं और अर्जुन सिंह के दौर से सीधे दिग्गी राजा के वक्त में पहुंचते हैं। इस दौर “योग: कर्मसु कौशलम..” में से कुछ लोग अब “योग: प्रपंचम कौशलम” की ओर बढ़ चले थे। अफसर राजनीतिज्ञ की तरह सोचने लगे थे और मंत्री व्यापारी की तरह…। अफसर वोट बैंक व राजा साहब के विरोधियों की खोज खबर रखने लगे थे जबकि मंत्री policy अपने हिसाब से बनवाकर व्यापारियों के साथ लाभ हानि खेलने लगे थे। अविभाजित प्रदेश में 45 जिले थे। राजा साहब ने इनमें 45 जिला हुकुमों को पार्टी के जिलाध्यक्ष जैसा बना दिया था…और विपक्षी पार्टी, शुक्ला/सिंधिया गुट ही नहीं वरन अपने मंत्रियों को भी अफसरों के माध्यम से कंट्रोल करने लगे थे। विरोधी गुट के मंत्रियों के नीचे बात न मानने वाले अपने आदमी सचिव के रूप में रख दिये..अर्थात अब “कर्मसु” सामान्य कर्म न होकर “प्रपंच कर्म” बन चुका था … और IAS को कहा जाने लगा था IAMS(INDIAN ADMINISTRATIVE MANAGEMENT SERVISES)….इससे आगे का किस्सा अगले अंक में। तब तक के लिए रसूखदारों के इस हफ्ते के टॉप 10 किस्सों और उनके किरदारों की हरकतों को चटखारों के साथ पढ़िए ‘द इनसाइडर्स’ के इस अंक में…

आया छुट्टियों का मौसम..विदेश जाने के लिए चाहिए डॉलर
अंग्रेजी कलेंडर का वर्षान्त बच्चों के साथ घूमने का होता है। दरअसल ज्यादातर स्कूल या तो मिशनरी होते रहे हैं या विदेशी ब्रांड्स से जुड़े होते हैं। तो क्रिसमस से नव वर्ष की छुट्टियां मनाई जाती हैं। लिहाजा अब आया है मौसम विदेश यात्राओं का…पार्टियों का …पर्यटन का…और खर्च करने का …। जब खर्च करना हो तो साहब लोग हो या मंत्री कहां अपनी जेब से करते हैं? इसी वजह से एक रोचक किस्सा हमें एक इनसाइडर ने दिया। हुआ यूं कि एक महानगर और राजनीतिक विरासत से आने वाली मंत्राणी छुट्‌टियां मनाने विदेश यात्रा पर हैं। इसके लिए उन्होंने क्षेत्र के कुछ बिल्डर, मैरिज गार्डन संचालक आदि से डॉलर्स में चंदा मांग लिया। मंत्राणी ने कहा कि भैया विदेश जा रही हूं इसलिए 2000 डॉलर दे दीजिए। मंत्राणी ने ऐसे ही हरेक से बड़ी मात्रा में डॉलर इकट्‌ठे कर लिए हैं। जितने खर्च होंगे …होंगे…बचे वापस रुपए में कन्वर्ट कर लिए जाएंगे। इसी तरह कई अफसर और नेता भी होटल-टैक्सी आदि की फ्री जुगाड़ बैठा ही रहे हैं। इसको कहते हैं दूर की सोच…

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सीनियर आईएएस और लूप लाइन में जाएंगे, इन्हें रुपए की बजाय पसंद है डॉलर
अपनी ईमानदारी को ढोल पीटने वाले एक वरिष्ठ आईएएस अफसर लूप लाइन में जा सकते हैं। हालांकि, उनकी ईमानदारी सही काम में भी रोड़ा अटकाकर लोगों को परेशान करने की है। यानी असंवेदनशील ईमानदार। अब सरकार उनकी टांग अड़ाने की आदत से बेहद नाराज हो गई है। इसलिए कभी भी उनकी रवानगी तय है। वैसे हमारे इनसाइडर्स ने उनकी खबर ली तो पता चला कि वे ऑफिस नहीं जाते हैं बल्कि फोन पर ही काम निपटाते हैं। वे जब से नौकरी में आए हैं तब से ट्रेडिंग में व्यस्त रहते हैं। यानी काम की जगह व्यापार पर ध्यान देते हैं। इसी ट्रेडिंग के जरिए उनका करोड़ों रुपए का पोर्टफोलियो खड़ा हो चुका है। वे डॉलर प्रेमी है यानी उन्हें रुपए नहीं चाहिए होते हैं। यह ईमानदार अधिकारी डॉलर में रिश्वत लेते हैं या नहीं, यह हम उन पर और आप सुधि पाठकों की समझ पर छोड़ते हैं।

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पीएस के साथ विदेश में फोटो खिंचवाई, धरा गया दलाल
दलाल तंत्र सत्ता पर किस कदर हावी है, इसका एक उदाहरण दुबई माइनिंग समिट में देखने को मिला। यहां रेत के कारोबारी की जगह इसकी चोरी करने वाले पहुंच गए। वो भी समिट में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में। यहां उन्होंने प्रमुख सचिव महोदय के साथ जमकर फोटो खिंचवाई। लौटने के बाद उनके रसूख से चिढ़कर प्रशासन ने एक कार्रवाई में दबोच लिया। और मीडिया में खबर भी लीक कर दी। लेकिन दलालों का रसूख इतना ज्यादा था कि उनका मुचलका भरवाने के लिए एक एएसआई जिले से राजधानी की मोटेल शिराज आया। जब इसकी पोल खुली तो गुप्तचर विभाग के मुखिया एसपी साहब पर बेहद नाराज हुए। कलेक्टर साहब को भी जमकर फटकार पड़ी। हालांकि, कलेक्टर और एसपी दोनों ही सफाई दे रहे हैं कि इन दलालों को किसने आगे बढ़ाया और यह किसके लिए काम करते थे? जो इनकी पैरवी करते थे वह अब क्यों शांत है? बताया जाता की है कि इन दलालों और रेत चोरों पर दो-तीन सीनियर आईएएस अफसर का हाथ है और इसी आड़ में वह जमकर खेल कर रहे थे।

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रंगीले राहू को बिट कॉइन में चाहिए रिश्वत
बैलगाड़ी के नीचे चलने वाले श्वान को ये लगता है कि बैलगाड़ी वही चला रहा है। कुछ इसी तरह का मिज़ाज और रहन-सहन है खुद को IAS से कमतर न समझने वाले एक इंजीनियर का। कई वरिष्ठों के बावजूद बरसों से प्रभारी अधीक्षण यंत्री का पद। ठसक ऐसी कि कार और चैम्बर E in C और सचिव के समकक्ष के हैं। शौक यह कि PSC से आने वाली सबसे नव यौवना अधिकारी उनके अधीन होनी चाहिए, जिसे वो वक्त वे वक्त ‘आलोकित’ कर सकें।  शातिर इतना कि IAS की तर्ज पर बिना दस्तखत फंसाये करोड़ों कमाए (18 K करोड़ की DPR मंजूर कीं)। कुल मिलाकर “राहु” साहब के पानी वाले विभाग में जलवे हैं। कभी फील्ड में सफल नहीं रहे पर 225 करोड़ के आयोनाइजर घोटाले से लेकर सिंगल टेंडर पर 150 करोड़ का PMU घोटाला ..सब इनकी ही देन। पर सबसे मजेदार ये है कि दिन भर इनके केबिन में संविदा वाले काम करते हैं और ये एन्टी चैम्बर में BITCOIN में लेनदेन करते हैं। इसके बाद यह क्या करते हैं, वह अगले अंक में…

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65 साल में भी नौकरी के मोह ने करवा दी किरकिरी
जनता के लिए निर्माण करने वाले विभाग के एक निगम में 65 साल की उम्र में एक अधिकारी का नौकरी से मोह नहीं छूट रहा है। उन्होंने एक बार फिर संविदा का आदेश 1 साल के लिए बढ़वा लिया। इस पर जब हंगामा हुआ तो आदेश को संशोधित किया गया और अगली बोर्ड बैठक तक उनकी नियुक्ति की गई। अब बोर्ड मीटिंग में तय होगा कि उन्हें और आगे कब तक नौकरी में संविदा के आधार पर रखा जाना है। बताया जाता है कि मंत्री भी इस आदेश के खिलाफ थे। हालांकि बता दे इन अधिकारी की एक पूर्व बड़े साहब से बेहद करीबी रही है। पूर्व बड़े साहब कॉलेज में इनके जूनियर थे। और इसी वजह से वह विभाग में लंबे समय तक enc बने रहे और कई बड़े घोटालों को अंजाम दिया है। बड़े साहब के बारे में आप नीचे दिया गया किस्सा भी पढ़िए।

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आयकर के छापों से द इनसाइडर्स के पूर्व बड़े साहब पर लिखे किस्से की हुई पुष्टि
राजधानी में इन दिनों सबकी जुबान पर आयकर, लोकायुक्त और ईडी का नाम चढ़ा हुआ है। एक बिल्डर और कंस्ट्रक्शन कारोबारी के यहां छापे की खबर चटखारे ले लेकर मंत्रालय में सुनाई जा रही है। यह कारोबारी और कोई नहीं, बल्कि पूर्व बड़े साहब यानी रिटायर्ड मुख्य सचिव का सबसे करीबी साथी है। हमने सबसे पहले द इनसाइडर्स में इनके किस्से साझा किए थे। तब कई अफसरों ने इस पर सवाल उठाए थे। आज छापों से हमारे किस्सों की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि अभी आयकर विभाग द्वारा चंदनपुरा की जमीनों की खोजबीन बाकी है। इनके किस्से पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें -:  द इनसाइडर्स : पूर्व आईएएस की काली कमाई हाउसिंग प्रोजेक्ट में लगेगी
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इंजीनियरों की तरह पुलिस भी खेल रही टेंडर-टेंडर
पुलिस के बड़े कप्तान साहब की ईमानदारी जगजाहिर है। लेकिन शायद उनके अधीनस्थ अफसर सत्ता में अपनी पहुंच के चलते इस बात को भूल गए हैं। इसलिए इंजीनियरों की तरह टेंडर-टेंडर खेल रहे हैं। वो टेंडरों की आग से ऐसे खेल रहे कि जैसे यह उन्हें झुलसाएगी नहीं। हालांकि नियमों को ताक पर रखकर टेंडर करने वाली दो शाखाओं की शिकायतें मुखिया तक पहुंच गई हैं। पहले क्राइम का रिकॉर्ड रखने वाली पुलिस की एक शाखा के बारे में बताते हैं। यहां के साहब एक खास कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेक्निकल कमेटी के खुद ही अध्यक्ष बन गए हैं। स्पेसिफिकेशन में भी कई बदलाव कर कंपनी से अग्रिम रिश्वत भी प्राप्त कर ली गई है। इस मामले में डीजीपी साहब को भी शिकायत हुई है। दूसरा मामला दूरसंचार का है, जिसमें भी दो कंपनियों ने डीजीपी को शिकायत की है। दोनों टेंडर करीब 45 करोड़ रुपए के हैं। और जिस तरह से शर्तें रखी गई है, उससे करीब 5 करोड़ रुपए की रिश्वत मिलना तय है। इसका जिक्र हमने द इनसाइडर्स के पिछले अंक में किया था। इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ें पूरा किस्सा -: पूर्व आईपीएस का दूरसंचार पर कब्जा

मां तो आखिर मां होती है…
कहतें हैं मां से ज्यादा सुख दुनियां में कोई नहीं दे सकता …जानते हैं क्यों…क्योंकि मां ही पूरी पृथ्वी पर एक ऐसा प्राणी होता है जो अपने मन की न करके.. अपने मन की न सुनकर सिर्फ बच्चे के मन से कर्म करती है …यही कारण है कि अक्सर बच्चों को आपदा में अपनी माँ की ही याद आती है…ठीक ऐसा ही कुछ “कलेक्टर बिटिया” की मां भी कर रही है…। जिस तरह फिल्मों की हिरोइन की मां अपनी बिटिया को हीरो और प्रोड्यूसर से बचाने के लिए उसके साथ सेट पर आउटडोर तक जाती हैं। हमारी गांजेवाली कलेक्टर मैडम की मां भी आजकल अपनी कलेक्टर बिटिया को हेरोइन/गांजे से बचाने के लिए साथ साथ घर से लेकर टूर तक जा रहीं हैं। साये की तरह बिटिया को छोड़ नहीं रहीं ताकि बिटिया रानी नशे की लत से दूर हो सकें। हम प्रार्थना करते हैं कि इस मां के प्रयास सफल हों और प्रदेश को एक काबिल अधिकारी की पुनर्प्राप्ति हो..

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C-SAT के साइड इफेक्ट्स…ग्रामीणों को पहनवाए टाई-कोट
2010 के बाद UPSC से ने CAT से प्रभावित हो C-SAT का आरंभ किया। वैकल्पिक विषय के अभाव में..प्रिलिम्स में ही हिंदी मीडियम और कस्बों/ग्रामों के प्रतियोगी महानगरों के अंग्रेजी माध्यम के प्रतिभागियों से मात खाने लगे। निश्चित रूप से सफल छात्रों के Aptitude में वृद्धि हुई पर Attitude अभिजात्य वर्गीय व महानगरीय हो गया और ग्रामीण जीवन की समझ के लिए मात्र tv और फिल्मों तक ही सीमित हो गए। ऐसा ही कुछ देखने को मिला पिछले दिनों नर्मदापुरम में आयोजित निवेश प्रोत्साहन मेले में..। जिला प्रशासन को राजनेताओं के कार्यक्रमों में किराए की भीड़ लाने की आदत तो थी ही…इस बार किराए के इन्वेस्टर भी ले आए। जिला हुकुम ने निर्देश दिए कि तमाम रोजगार सहायक और पंचायत सचिव टाई और कोट पहन कर उपस्थित रहेंगे ताकि मुख्यमंत्री जी को लगे कि बहुत सारे इन्वेस्टर आये हैं। मजबूरी में सारे तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों ने झाड़-पोंछ कर अपनी शादी के कोट निकाले और भीड़ बढ़ाई। पर समझने वाली बात ये है कि जिला हुकुम को कौन समझाए कि हर टाई वाला इन्वेस्टर नहीं होता और इन्वेस्टर धोती कुर्ता या कुर्ते पैजामे वाले भी होते हैं। भारतीय संस्कृति को वरीयता देने वाली सत्ताधारी पार्टी की सोच को C SAT वाले जाने कब समझेंगे?

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अधूरी हसरतें…
कलेक्टर बनना एक ख्वाब है जो बचपन से मां बाप और शिक्षक होनहार छात्र को परोस देते हैं। कुछ के ख्वाब पूरे होते हैं तो बहुतों के नाकाम। पर जब कश्ती किनारे पर आकर डूबती है तो दर्द तो होना ही है। ऐसा ही कुछ होने जा रहा है पुलिस से जुड़े विभाग में। यहां पदस्थ एक Ias अधिकारी 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्ती के दशहरे के उपरांत निज ‘गृह’ को प्रस्थान करेंगें। ‘जीवन’ भर के अफसोस के साथ कि किसी भी जिले के कलेक्टर अपने ‘जीवन’ में नहीं बन पाए। पर साथी समझा रहें हैं कि इस बात की खुशी मना लो कि कलेक्टरी न सही पर रिटायरमेंट के पहले कम से कम खुद की लोकायुक्त वाली फ़ाइल तो गायब करवा पाए।
हमारी ओर से शेष “जीवन” की शुभकामनाएं
इसी के साथ आज की सबको राम-राम। अगले शनिवार दोपहर 12 बजे द इनसाइडर्स के नए अंक में नए किस्सों के साथ फिर मिलेंगे हमारे अड्‌डे www.khashkhabar.com पर। तब तक के लिए आप सुधि पाठकों से लेते हैं अलविदा और हमारे इनसाइडर्स को देते हैं धन्यवाद, जिनके बताए किस्सों के बिना आप और हम चटखारे नहीं ले पाते।

 

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