द इनसाइडर्स: मंत्री जी का रेशमी रिश्ता, सुनहरी कॉलोनी में रेत माफिया बनवा रहा साहब का महल, संवेदनशील अफसर की हुई विदाई

द इनसाइडर्स में इस बार पढ़िए महिला दिवस पर महिला ब्यूरोक्रेट के चटपटे किस्से।

कुलदीप सिंगोरिया@9926510865
भोपाल| आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। इसलिए सत्यमेव जयते श्रृंखला को इस बार के लिए अल्पविराम देते हुए आप सभी सुधि पाठकों को महिला दिवस की शुभकामनाएँ।
ब्यूरोक्रेसी या पॉवर कॉरिडोर में नारी शक्ति का बढ़ता प्रभाव एक सुखद संकेत है। इसी के साथ, पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों के प्रशासनिक कौशल की चुनौतियाँ और शोषण की नई-नई कहानियाँ भी सामने आई हैं। कार्यक्षेत्र में उन्हें ताकती निगाहों, भद्दे कमेंट्स और मासिक पीड़ा का समान रूप से सामना करना पड़ता है। इसकी वजह भी वही पुरानी है, जिसे पहचानकर पश्चिमी दार्शनिक और नारीवादी विचारक सीमोन द बोउवार (Simone de Beauvoir) अपनी प्रसिद्ध किताब द सेकेंड सेक्स (The Second Sex) में लिखती हैं— “स्त्री पैदा नहीं होती, उसे बनाया जाता है।” यानी दिक्कत हमारे विचारों में ही है, और इसलिए हमें महिला दिवस मनाना पड़ रहा है।
यह तब हो रहा है, जबकि हम उस संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहाँ “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः” जैसी बातें सदियों पहले कही गई हैं। प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव भी इस मौके पर “नारी अस्य समाजस्य कुशलवास्तुकारा अस्ति” का उल्लेख कर रहे हैं। एक और अहम बात यह है कि सभी कामकाजी स्त्रियाँ हाउस हेल्प के बावजूद कम से कम डेढ़ से दो गुनी ड्यूटी करती हैं। क्योंकि ईश्वर ने सृजन का अधिकार पुरुष को नहीं दिया है। मातृत्व, वात्सल्य और घर को मानसिक दृढ़ता पुरुष कभी भी नहीं दे पाता। लिहाजा, नौकरी के अतिरिक्त उन्हें यह अहम जिम्मेदारी भी निभानी होती है। अतः स्त्री शक्ति, जो ईमानदारी से नौकरी भी करती हैं और घर भी संभालती हैं, को सादर नमन।
लेकिन पिछले कुछ सालों में हमने पाया है कि भले ही नौकरी में स्त्रियों की संख्या 33% न हो, परंतु लोकायुक्त आदि के ट्रैप में उनकी भागीदारी एक-तिहाई से अधिक हो रही है। कारण स्पष्ट है— स्त्रियाँ सामान्यतः भावुक होती हैं और तर्क की बजाय भावनाओं से निर्णय लेती हैं। ईमानदार हों तो कट्टर ईमानदार, और बेईमान हों तो वे भी कट्टर। स्त्रियाँ मध्यम मार्ग पर नहीं रह पातीं, और यही उनके पतन का कारण बनता है। जिस दिन वे संकोच छोड़ देती हैं, फिर कोई पुरुष उनका सामना नहीं कर सकता।
और अंत में, एक गूढ़ सत्य— स्त्रियाँ कभी भी बुद्ध और महावीर की तरह सोते हुए बच्चे को छोड़कर आध्यात्मिकता के लिए पलायन नहीं करतीं। वे सदा कर्म और भक्ति मार्ग अपनाती हैं। तमाम कष्ट सहकर भी वे कर्म नहीं छोड़तीं, यही उनकी आध्यात्मिकता है। जबकि पुरुष अपेक्षाकृत रूप से पलायनवादी होता है। यही कारण है कि शक्ति के स्वरूप में स्त्री विग्रह की पूजा होती है, न कि पुरुष विग्रह की।
(हमारा यह आलेख नारीवाद के नाम पर स्वेच्छाचारी और कामचोर महिलाओं के लिए नहीं है।)
अब किस्सागोई के अंदाज़ में सत्ता की आंतों में फँसे हुए सच को बाहर लाया है ‘द इनसाइडर्स’ का यह अंक…

भूगर्भ के खजांची गोल्डन वाली कॉलोनी में बना रहे सपनों का महल

प्रदेश की भूगर्भ संपदा के खजांची ने राजधानी में सुनहरी छटा बिखेरने के लिए प्रसिद्ध कॉलोनी में पाँच करोड़ रुपये का बंगला खरीदा है। फिर इस अच्छे-खासे बंगले को ध्वस्त कर दिया गया और अब उसमें अपने सपनों का नया महल बनवाया जा रहा है। महल बनाने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन इसके लिए सामग्री की व्यवस्था रेत माफिया द्वारा की जा रही है। यही नहीं, खजांची महोदय के पास श्रम शक्ति भी है, जिससे मजदूर और कारीगर बिना किसी अतिरिक्त खर्च के मिल रहे हैं। कुल मिलाकर, पोस्टिंग का सही फायदा उठाते हुए रिटायरमेंट से पहले ही साहब अपना महल खड़ा कर लेंगे। वैसे, इसकी आड़ में डायरेक्टोरेट के उन अधिकारियों की भी मौज हो गई है, जो इस काम में संलग्न हैं। वे जमकर लाभ कमा रहे हैं।

पिछला अंक भी पढ़ें : द इनसाइडर्स: कलेक्टर बेटी के ब्याह के लिए सर्किट हाउस में पूजा कर रही मां, दुशासन का कुशासन राज, सुलेमानी ताकत से छिटकने लगे पैंसेठिए

बाबा भारती की कहानी भूल गए साहब

लेआउट पास करने वाले संचालनालय में धारा 16 “कामधेनु गाय” बन गई है। जब इच्छा हो, तब धारा 16 खोलकर वसूली कर लो और जब मन करे, तब बंद कर दो। डेवेलपर्स भी संशय में रहते हैं, इसलिए जैसे ही माँग आती है, वे तुरंत आपूर्ति कर देते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में करीब 250 फाइलों को यहाँ के मुखिया ने “ऊपर के निर्देशों” का हवाला देते हुए रोक दिया है। यह तो फिर भी ठीक था, लेकिन जब डेवलपर्स एडवांस राशि वापस माँग रहे हैं, तो उन्हें जवाब दिया जा रहा है कि “एक बार पैसा निकल गया, तो वह लौटता नहीं है।” हमारी तो यही सलाह है कि साहब, यह धंधा भरोसे की बुनियाद पर टिका है। बाबा भारती की कहानी याद कीजिए और डेवलपर्स की मेहनत की कमाई वापस कर दीजिए, कहीं ऐसा न हो कि दाँव उलटा पड़ जाए और आपको ही रुखसत कर दिया जाए।

यह अंक जरूर पढ़ें : द इनसाइडर्स: निवेश के महाकुंभ में रिश्वत की डुबकी, कलेक्टर मैडम हिल स्टेशन से चला रही हैं जिला, मंत्री ने 4100 रुपए की शराब पकड़वा

अमृत की तलाश में मंत्री और ईएनसी

केंद्र सरकार की एक योजना “अमृत” है, जिसमें करोड़ों का खेल चल रहा है। इसकी मलाई खाने के लिए मंत्री से लेकर इंजीनियर तक बेचैन हैं। इसी के चलते आर्थिक राजधानी में इससे संबंधित टेंडर पर बड़ा बवाल हुआ। यहाँ मंत्री की प्रिय कंपनी को 30% अधिक कीमत पर टेंडर दे दिया गया था, जिससे ईएनसी भी प्रसन्न थे। लेकिन सरकार के हस्तक्षेप के कारण यह टेंडर रद्द करना पड़ा। दोबारा हुए टेंडर में दूसरी कंपनी के रेट 5% कम आ गए। अब मंत्री समेत सभी की चिंता बढ़ गई है कि इतने कम दाम में अधिक लाभ कैसे मिलेगा?

यह अंक भी पढ़ें :  द इनसाइडर्स: सीएम के सचिव को हटवाने का क्रेडिट ले रही कलेक्टर मैडम, सिक्स पैक एब्स दिखाने के लिए आईपीएस मीट में हनुमानजी का लिया सहारा

पर्यटन डिप्लोमेसी या रेशमी डोर के रिश्ते?

नर्मदा तटवाले जिले की जिला अधिकारी का व्यवहार उन्हें लगातार चर्चा में बनाए रखता है। उनके साथ आनंद लेने वालों में अब एक नए नाम का इजाफा हो गया है—एक मंत्री जी, जो आए दिन जिले के पाँच मढ़ियों वाले पर्यटन स्थल या जंगल सफारी पर समय बिताने चले आते हैं। इस जिले में पर्यटन क्षेत्र विस्तृत है, इसलिए प्रमोशन की जरूरत भी पड़ती है। लेकिन मंत्रीजी के माध्यम से क्षेत्र का नहीं, बल्कि मैडम का प्रमोशन बड़े जिले में होने की संभावना है। खास बात यह है कि मंत्री जी, मैडम के पुराने कार्यस्थल वाले जिले से हैं, इसलिए उनके आपसी संबंधों की “रेशमी डोर” को लोग साफ देख पा रहे हैं। पूरे मध्यप्रदेश को छोड़कर मंत्रीजी को यही पर रेशम क्यों नजर आ रहा है?

यह अंक भी पढ़ें : द इनसाइडर्स: बड़े साहब को नजर नहीं आया कुशासन, एसपी साहब ‘ख्याति’ में मस्त, पार्टी के शौकीन सीईओ साहब

संवेदनशील अफसर की विदाई

भोपाल विकास से जुड़े एक अफसर की विदाई हो गई है। जब तक वे यहाँ रहे, उनकी संवेदनशीलता की चर्चा होती रही। लोगों की परेशानियाँ देखकर उनका हृदय द्रवित हो जाता था। हर फोन अटेंड करना या कॉल बैक करना उनकी आदत में शुमार था। कुछ उपद्रवियों के कारण उनका संस्थान से मोहभंग हो गया। अमूमन अफसर तबादले में और अच्छी पोस्टिंग चाहते हैं, लेकिन इसके विपरीत, उन्होंने मन की शांति और परिवार को समय देने के लिए लूपलाइन का रास्ता चुना।

यह भी पढ़ें : द इनसाइडर्स: ट्रैप होने वाली सुंदर महिलाओं के साथ आईएएस का अनूठा संयोग, रिलीव होने से पहले तीन ट्रांसफर में कमाए 25 लाख

खुद फँसे, लेकिन दामाद जी की पोस्टिंग करवा दी

“भीख” वाले बयान से चर्चित हुए मंत्री जी को कांग्रेस चारों ओर से घेर रही है, लेकिन सीनियर मंत्री के बचाव के लिए संगठन या सरकार कोई खास मदद नहीं कर रही है। संगठन और सरकार की निष्क्रियता के कई मायने हो सकते हैं। फिलहाल, मंत्री जी इतने बड़े कद के नेता हैं कि देर-सबेर इस विवाद से बाहर आ ही जाएंगे। इसलिए उन्होंने इस पर ज्यादा ध्यान न देते हुए अपने आईएएस दामाद की पोस्टिंग भोपाल विकास से संबंधित संस्थान में करवा दी है।

यह अंक भी पढ़ें : द इनसाइडर्स: अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आईएएस ने फिर की जंगली हरकतें, बड़े कप्तान ने एसपी की ली क्लास, मंत्री के एक्शन से इंजीनियर हलाल 

कुशासन में द्रौपदी का चीरहरण
महिला दिवस की बात हो रही है, लेकिन हम यहाँ एक ऐसा किस्सा बताने जा रहे हैं जिसमें द्रौपदी का चीरहरण हो गया। कुशासन संस्थान में तीन महिलाओं को दबाव बनाकर, फँसाकर और शोषण करके नौकरी से हटा दिया गया। इनमें से एक महिला का यहाँ के अधिकारी ने यौन शोषण किया। इतने से भी मन नहीं भरा तो उसे मुखिया को “परोसने” की व्यवस्था कर दी गई। इससे आजिज आकर महिला ने नौकरी छोड़ दी। दूसरी युवा महिला से भी इसी तरह की माँग की गई, तो उसने तुरंत इस्तीफा दे दिया। तीसरी महिला सीनियर थी, तो उससे दस लाख रुपये की माँग की गई। असमर्थता जताने पर उसे अंधेरे में रखकर सरकार से हटाने का आदेश जारी करा दिया गया।

यह भी पढ़ें : कलेक्टर मैडम का नशा छुड़वाने मां कर रही निगरानी, बिटकॉइन में चाहिए रिश्वत, मंत्री ने विदेश यात्रा के लिए डॉलर में लिया चंदा 

आईपीएस की बारीक जांच से उलझ रहे टेंडर
एडीजी रैंक के एक आईपीएस अधिकारी अपने काम में आमिर खान की तरह “मिस्टर परफेक्शनिस्ट” माने जाते हैं। लेकिन उनकी इस आदत से स्टाफ बहुत परेशान है। साहब फाइलों को बहुत बारीकी से देखते हैं, जिससे उनमें छुपे कई गड़बड़ियाँ सामने आ जाती हैं। इन गड़बड़ियों को ठीक करने में विभाग को पसीने छूट रहे हैं। अधिकारी कह रहे हैं कि यदि यही चलता रहा, तो टेंडर नहीं हो पाएंगे, और टेंडर न होने का मतलब ऊपर से कड़ी फटकार मिलना तय है।

यह खबर पढ़ें : द इनसाइडर्स ब्रेकिंग: ई ऑफिस में जल निगम अव्वल, उच्च शिक्षा समेत 50 से ज्यादा ऑफिसों में ऑनलाइन काम शून्य

साहब राज न उगल दें
बड़े साहब बनने की चाहत पूरी नहीं हुई, तो एक सीनियर आईएएस अधिकारी ने हाल ही में वीआरएस ले लिया। यहाँ तक तो सब ठीक था, लेकिन अब खबर आ रही है कि वे एक साल तक पीएचडी करेंगे और फिर “कूलिंग ऑफ पीरियड” खत्म होते ही देश के सबसे प्रभावशाली उद्योगपति के यहाँ नौकरी करेंगे। कुछ लोग कह रहे हैं कि वे कांग्रेस के संपर्क में भी हैं, और कुछ राज की बातें यहाँ से वहाँ हो सकती हैं।

यह अंक भी पढ़ें : द इनसाइडर्स: रातें रंगीन करने बना मंत्री का सहायक, विभाग का लेनदेन करने वाला हुआ गुमशुदा, टेरर टैक्स वसूल रहा मंत्री पुत्र

यह भी पढ़ें : गरम-नरम-बेशरम थ्योरी से पूर्व बड़े साहब ने बटोरा माल, सोने के बिस्किट की अनकही दास्तान

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button