द इनसाइडर्स: मंत्री को हुआ गृह क्लेश, धुंधकारी इंजीनियर का नया कारनामा, अफसर का कोलार में बन रहा महल
द इनसाइडर्स में इस बार पढ़ें -राजनीति व प्रशासनिक महाभारत के गुदगुदाने वाले किस्से

कुलदीप सिंगोरिया@9926510865
भोपाल | सर्वविदित है कि अगली जनगणना जातीय आधार पर होगी। लेकिन हम यहाँ एक ऐसी जन्म-गणना की बात कर रहे हैं, जिसमें भारत की सबसे छोटी और सबसे प्रभावशाली जाति उभरी है। इनकी कुल संख्या अधिकतम 11,913 होगी, और यह जाति है ‘आधुनिक भारत के राजपूत’ या राजपुत्र। आप समझ ही गए होंगे कि हम 6,858 ‘योग: कर्मसु कौशलम’ (IAS) और 5,055 ‘सत्यमेव जयते’ (IPS) की बात कर रहे हैं। आज़ाद भारत में भले ही जनप्रतिनिधि या नेता आते-जाते ‘राजा’ हों, लेकिन असली राजपुत्र तो ये UPSC वाले ही हैं। और जैसा कि सब जानते हैं, बाप बनकर ऐश नहीं मिलती। इसलिए ये राजपुत्र बनकर ही मेवे का आनंद लेते हैं।
हालाँकि, आजकल जुमला चल रहा है कि ‘धर्म बदल सकते हो, पर जाति नहीं।’ लेकिन UPSC की सफलता एक ऐसी रबर है, जो जाति के भेद को मिटा देती है। मसूरी और हैदराबाद में ज्यादातर विवाह के MOU साइन हो जाते हैं, और अगर वहाँ नहीं हुए, तो फील्ड में आकर हो ही जाते हैं। यहाँ प्रचलित वर्ण व्यवस्था शून्य हो जाती है, और एक नई कुलीन जाति का जन्म होता है, जहाँ न कोई सामान्य है, न कोई आरक्षित। यह विवाह परंपरा यहीं नहीं रुकती; ये अपनी संतानों का विवाह भी UPSC-जनित जाति में ही करते हैं, तथाकथित आरक्षित-अनारक्षित के भेद को भुलाकर।
मध्यकाल में क्षत्रिय समाज में कुलीनता की भावना पैदा करने के लिए राजपूत उपजाति का उदय हुआ। बाद में अन्य क्षत्रिय समुदायों, जैसे समथर के गुर्जर, भरतपुर व धौलपुर के जाट, जयपुर के आसपास के मीणा, गोंडवाना के गोंड, और मराठवाड़ा के मराठा आदि ने भी राजत्व हासिल किया। लेकिन इन्हें राजपूत या राजपुत्र नहीं माना गया, या यों कहें कि पूर्व के कुलीनों ने इन्हें स्वीकार नहीं किया। ठीक उसी तरह, UPSC वालों ने प्रमोटी IAS या IPS को अपने कुल में शामिल होने के बावजूद बराबरी का दर्जा नहीं दिया। यही कारण है कि IAS/IPS ग्रेडेशन लिस्ट में भले ही सामान्य, OBC, SC, और ST का भेद मिटा दिया गया हो, लेकिन RR (Regular Recruit) और SCS/SPS (State Civil/Police Service) का उल्लेख कर भेद बनाए रखा जाता है। इससे रक्त शुद्धता के आधार पर ‘बड़े साहब’ पोस्टिंग में खयाल रख सकें। खैर, इंसान अपनी दोनों मूलभूत आवश्यकताएँ पूरी होने के बाद भी श्रेष्ठता साबित करने की लड़ाई आदि काल से लड़ता आ रहा है। तो फिर UPSC वाले खुद को राजपूत या राजपुत्र क्यों न मानें? चलिए, अब चलते हैं ‘द इनसाइडर्स’ के नए अंक की ओर, जहाँ बड़े साहबों के ढेर सारे किस्से आपको गुदगुदाने के लिए तैयार हैं।
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धंधे में हिस्सेदारी की वजह से मंत्री का परिवार बँटा, OSD की बलि चढ़ी
एक मंत्री गृह क्लेश में फँस गए हैं। उनके बंगले में रोज़ाना महाभारत का युद्ध छिड़ता है। लेकिन यह युद्ध पारिवारिक नहीं, बल्कि बंगले में चलने वाले धंधे में हिस्सेदारी को लेकर है। दरअसल, मंत्री जी की दूसरी पत्नी ने अपना सजातीय OSD नियुक्त किया है, जबकि पहली पत्नी के बेटे-बेटियों के अलग OSD और PA हैं। धंधे को लेकर इन OSD और PA में ‘बॉर्डर’ फिल्म जैसी लड़ाई छिड़ी थी। नतीजतन, छोटे बेटे ने किचन से जुड़े सजातीय OSD की बलि चढ़ा दी। इससे मंत्री की पत्नी भड़क गई, और रायता बंगले से बाहर तक फैल गया। देखना है कि यह रायता कौन समेटेगा? मंत्री जी ग्वालियर-चंबल इलाके से आते हैं और पूर्व में विपक्षी पार्टी में रहे हैं।
इंजीनियर का रूप धर धुंधकारी लौटा
आपने गुरुड़ पुराण में धुंधकारी की कथा सुनी या पढ़ी होगी। वहीं कथा जिसमें धुंधकारी अपने पापकर्म से प्रेत बन जाता है। धुंधकारी के चरित्र वाला एक इंजीनियर आजकल पानी से जुड़े विभाग में इंजीनियरों का मुखिया बन बैठा है। उसके कई कारनामे हैं, लेकिन ताज़ा किस्सा इस हफ्ते का है। धुंधकारी ने एक कार्यपालन यंत्री को बहाल करवाया है। आप पूछेंगे, इसमें क्या बड़ी बात है? लेकिन जिन गंभीर आरोपों में उसे निलंबित किया गया था, उनके लिए न तो आरोप पत्र जारी हुआ, न ही जाँच हुई। इनसाइडर्स की खोजबीन में पता चला कि इस इंजीनियर और धुंधकारी का खास याराना है। जब यह इंजीनियर शिवपुरी में था, तब धुंधकारी उनके घर पर रुककर ‘खास तरह की सेवा’ लेते थे। बताया जाता है कि इस कारनामे की सीडी भी बनी है। यह वजह है कि धुंधकारी जब मुखिया बन गया तो उसने अपने याराना वाले इंजीनियर का सबके तारणहार हरि यानी प्रमुख सचिव से बहाली का आदेश करवा दिया।
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परिवहन नाकों की जाँच से हुई बल्ले-बल्ले
सौरभ शर्मा जी को आप भूले नहीं होंगे। उनकी वजह से एक जाँच एजेंसी के इंस्पेक्टर साहब के वारे-न्यारे हो गए। इंस्पेक्टर साहब ने जाँच के नाम पर बैरियर पर तैनात कई कर्मचारियों को बिना किसी भूमिका के नोटिस जारी कर दिए और फिर तगड़ी वसूली की। अब कोलार के पॉश इलाके में उनका शानदार महल बन रहा है। जब भी महल के लिए और पैसे की ज़रूरत पड़ती है, वे नया नोटिस जारी कर नया ‘मुर्गा’ फँसा लेते हैं।
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कप्तान साहब को हल्के में ले रहा है स्टाफ
एक जिले के नए कप्तान को स्टाफ हल्के में ले रहा है। स्टाफ का कहना है कि कप्तान साहब बड़े-बड़े शहरों की बातें करते हैं, लेकिन जमीन पर उनकी पकड़ नहीं है। इसका सबूत यह है कि उनके बंगले के पास ही नशे का कारोबार फल-फूल रहा है, और उन्हें इसकी भनक तक नहीं। क्या वाकई में उन्हें भनक नहीं, या वे सीधेपन की एक्टिंग कर रहे हैं? इसका खुलासा जल्द हो सकता है, लेकिन तब तक स्टाफ की बल्ले-बल्ले है।
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एक और अफसर का सपना टूटा
IPS का तमगा हासिल करने के लिए राज्य पुलिस सेवा के लोग सारी उम्र भागदौड़ करते हैं। लेकिन एक अफसर जाति प्रमाण पत्र की जाँच के कारण बाहर हो सकते हैं। वे सूची में दूसरे नंबर पर थे, जबकि पहले नंबर वाला अफसर पहले ही दूसरी जाँच में बाहर हो चुका है। इसका फायदा छठे और सातवें नंबर के अफसरों को मिलेगा, जिन्हें इसी साल IPS अवार्ड हो सकता है।
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घेराबंदी के लिए नए कलेक्टर को कमान
खनिज से मालामाल एक सत्ताधारी विधायक पर शनि की साढ़े साती चल रही है। ‘मी लॉर्ड’ ने आदेश में ही उनके फोन करने की बात लिख दी। अब डॉक्टर साहब और बड़े साहब ने न जाने क्या सोचकर यहाँ नए कलेक्टर की तैनाती कर दी। नए कलेक्टर पहले बड़े साहब के मातहत काम कर चुके हैं और काम की बारीकियाँ जानते हैं। अगर यही बारीकी खदानों की जाँच में उतर आई, तो विधायक की साढ़े साती खत्म होने से रही।
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हम्माल सेवा का हक मारा
राज्य प्रशासनिक सेवा, यानी हमारी भाषा में ‘हम्माल सेवा’, का जन्म ही IAS की सेवा के लिए हुआ था। फिर भी, सरकारों ने इसके लिए विकास प्राधिकरण और नगर निगम में CEO व आयुक्त जैसे कुछ पद छोड़े थे। लेकिन अब बड़े साहब ने इनसे सिर्फ हम्माल गिरी ही करवाने की ठान ली है। भोपाल के बाद अब इंदौर विकास प्राधिकरण का पद भी RR को चला गया। नगर निगमों में भी प्रमोटी की जगह RR तैनात हो रहे हैं। जिला पंचायत CEO के हाल भी कुछ ऐसे ही हैं। पहले ये पद प्रमोटी IAS या राज्य प्रशासनिक सेवा के लिए आरक्षित थे।
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नए नवेले अफसर के सीधेपन का उठाया फायदा
धार्मिक नगरी में नए अफसरों की आमद हो रही है। इन्हीं में से एक हैं नगर निगम के कमिश्नर साहब। कमिश्नर साहब मेहनत भी कर रहे हैं, लेकिन एक घाघ अपर आयुक्त ने उनके सीधेपन का फायदा उठाकर मौके पर चौका मार दिया। अपर आयुक्त ‘पवन’ की गति से वसूली में जुट गया है। वह अपने लिए 2 प्रतिशत की अतिरिक्त वसूली कर रहा है। इससे ठेकेदारों में खौफ का माहौल है।
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रंगीन मिजाज़ इंजीनियर की कव्वाली
निर्माण विभाग में एक रंगीन मिजाज़ चीफ इंजीनियर की महिला मित्र को ठेके देने के चर्चे उनके कव्वाली वाले शौक की तरह मशहूर हैं। ताज़ा खबर है कि साहब ने ठेकेदारों को मस्का लगाकर राजधानी के एक तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे मॉल में पब खोल लिया है। इसी पब में वे अपनी महिला मित्र के साथ कव्वाली का आयोजन करते देखे गए। लोग पूछ रहे हैं कि इतनी बड़ी रकम कव्वाली के लिए कहाँ से जुटाई? वैसे, ये वही अफसर हैं, जिन्होंने घर पर सत्यनारायण की कथा करवाई और अफसरों-कर्मचारियों को शामिल होने के लिए नोटशीट तक चलाई थी।
नोट: हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं है। जातीय संदर्भ सिर्फ़ व्यंग्य के लिए उपयोग किए गए हैं। फिर भी, यदि किसी की भावनाएँ आहत हुई हों, तो हम क्षमाप्रार्थी हैं।