मध्यप्रदेश के तालाबों में अब उगेगा ‘सोना’, नर्मदा घाटी में मखाने की दस्तक, जानें सब कुछ
मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले में पहली बार मखाने की खेती का प्रयोग शुरू हुआ है। तालाबों में उगाई जाने वाली इस फसल से किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिलेगी। शासन सब्सिडी देगा और प्रशिक्षण दरभंगा से मिलेगा।

नर्मदापुरम से रिपोर्ट | अब मखाने (Makhana) की खेती सिर्फ बिहार के दरभंगा या मिथिलांचल तक सीमित नहीं रहेगी। मध्यप्रदेश का नर्मदापुरम जिला भी इस सुपरफूड की खेती में उतर चुका है। गेहूं, चना और धान के साथ अब मखाना भी जिले की खेतिहर तस्वीर में अपनी जगह बनाने जा रहा है। उद्यानिकी विभाग ने कमर कस ली है और किसानों को सब्सिडी से लेकर ट्रेनिंग तक का वादा किया है। पहले चरण में लगभग 50 हेक्टेयर में मखाना बोने की योजना है, और अब तक 150 किसानों ने रुचि दिखाई है।
तालाब में उगने वाला सोना!
सबसे खास बात ये है कि मखाना खेत में नहीं, तालाब में उगाया जाता है। इसके फायदे को देखते हुए इसे तालाबों में उगने वाला सोना भी कहा जाता है। सिंघाड़ा की तर्ज पर यह फसल लगाई जाती है। किसानों को दरभंगा भेजकर विशेष प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, ताकि वे इस नई खेती की तकनीकी बारीकियों को समझ सकें। इसी सिलसिले में उद्यानिकी विभाग के अफसरों की एक टीम भी दरभंगा रवाना की जाएगी। इसमें ज़मीन की खेती से अलग, किसान अब अपने जलस्त्रोतों से भी आमदनी कर पाएंगे।
बाजार में भारी मांग, कीमत करीब ₹2000 प्रति क्विंटल
मखाना एक बहुमूल्य और महंगी फसल है, जिसकी बाजार में कीमत 2000 रुपए प्रति क्विंटल तक होती है। इसके चलते किसानों को आम फसलों की तुलना में बेहतर मुनाफा मिलने की संभावना है। विभाग इसे अतिरिक्त आमदनी का साधन मान रहा है।
शासन देगा सब्सिडी, नीति का इंतजार
राज्य शासन ने किसानों को आर्थिक सहायता (सब्सिडी) देने का निर्णय लिया है, हालांकि कितनी राशि मिलेगी, इसका निर्धारण नीति बनते ही होगा। प्रस्तावित योजना को अंतिम रूप मिलने के बाद ही जिलेभर में बड़े पैमाने पर मखाना खेती शुरू की जाएगी।
“जिले में पहली बार मखाने की खेती का प्रयोग हो रहा है। किसानों और अधिकारियों दोनों को दरभंगा में प्रशिक्षित किया जाएगा।”
— रीता उइके, उप संचालक, उद्यानिकी विभाग, नर्मदापुरम
मखाना क्यों है “सुपरफूड”? जानिए इसके चमत्कारी फायदे
“अलसी, चिया और मखाना — तीनों छोटे दाने बड़े काम के।”
1. वज़न कम करने में मददगार:
मखाना लो-कैलोरी, हाई-फाइबर होता है। इसे भूनकर खाने से पेट भरा रहता है और बार-बार भूख नहीं लगती।
2. दिल के लिए बेहतरीन:
इसमें मौजूद मैग्नीशियम और पोटैशियम हृदय को स्वस्थ रखते हैं और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करते हैं।
3. डायबिटीज के लिए वरदान:
ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने से यह ब्लड शुगर स्पाइक्स से बचाता है। डायबिटिक मरीज़ इसे स्नैक के रूप में ले सकते हैं।
4. एंटी-एजिंग गुणों से भरपूर:
मखाना में फ्लेवोनॉइड्स होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स को खत्म करते हैं और त्वचा को जवां बनाए रखते हैं।
5. प्रोटीन से भरपूर:
शाकाहारी लोगों के लिए यह प्रोटीन का उम्दा स्रोत है, खासकर व्रत-उपवास के दौरान।
6. नींद में सुधार:
इसमें मौजूद अमीनो एसिड ‘tryptophan’ मेलाटोनिन को उत्तेजित करता है, जिससे अच्छी नींद आती है।
7. गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद:
आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्व मखाना को गर्भावस्था के दौरान भी उपयोगी बनाते हैं।
मखाना: परंपरा से आधुनिकता की ओर
जहां बिहार में मखाना सदियों से लोकसंस्कृति का हिस्सा रहा है, वहीं अब मध्यप्रदेश इसे आधुनिक उद्यानिकी और रोजगार के मॉडल में बदलने जा रहा है। यदि यह प्रयोग सफल हुआ तो नर्मदापुरम मखाना उत्पादन का नया केंद्र बन सकता है — और “मखाने का मिथिला” अब “मालवा-नर्मदा बेल्ट” में भी गूंजेगा।