द इनसाइडर्स : ई सिगरेट वाली कलेक्टर मैडम से नाराज हुए मंत्रीजी, एथिक्स पढ़कर अनएथिकल हुए नए अफसर, व्यापम कांड के आरोपी देंगे पर्यावरण क्लीयरेंस

द इनसाइडर्स में इस बार पढ़िए ब्यूरोक्रेसी से जुड़े रसूख और रुतबे के दिलचस्प किस्से चटखारे वाले अंदाज में…

कुलदीप सिंगोरिया | शौक बड़ी चीज है। फिर शौक सत्ता के नशे का हो या ….। तीन खाली बिंदु से आप समझ ही गए होंगे बाकी शौक कौनसे हैं। इन्हीं शौकों के चक्कर में पढ़कर आईएएस पूजा खेडकर देश भर में चर्चित हो गईं है। शायद इसका आभास यूपीएससी को पहले ही हो गया था। इसलिए नए अफसरों की पढ़ाई में एथिक्स का विषय शामिल किया गया था। लेकिन इसका असर उलटा हो गया। अब बात को ज्यादा आगे-पीछे न करके सीधे बताते हैं कि इस हफ्ते के ब्यूरोक्रेट्स के टॉप टेन किस्से…

सिर्फ 8 महीने में ही पूर्व बड़े साहब को स्टाफ भूला
मंत्रालय की कैंटीन के पास बैंक में बीते हफ्ते पूर्व बड़े साहब का आना हुआ। कभी अपने रुतबे, जलवे, ठसक और धमक के लिए मशहूर रहे साहब को देख अब लोग उनके सामने ही मुंह फेर रहे थे। कैंटीन में बैठे कर्मचारी कह रहे थे कि महज आठ महीने में साहब का नूर गायब हो गया है। वैसे, साहब ने अपने पुराने स्टाफ को भी बुलाया था, लेकिन पहुंचा कोई नहीं। आखिर में साहब बैंक का काम निपटाकर अकेले ही लौट गए। कहते हैं जलवा और रुतबा तो एक दिन जाना ही है लेकिन व्यवहार स्थाई रहता है। साहब व्यवहार रख लेते तो यूं अलग-थलग न पड़ते।

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8 साल में प्रोबेशन खत्म नहीं हुआ, जेल की हवा भी खाई, अब देंगे पर्यावरण क्लीयरेंस
प्रदेश में पर्यावरण संबंधी अनुमति देने वाली संस्था की सबसे ताकतवर समिति के सदस्य के लिए ऐसे व्यक्तियों को पात्र माना गया है जिन पर कई दाग हैं। पात्र भी पूरी छानबीन के बाद बनाया गया है। लेकिन छानबीन तो सरकारी होती है न!  इसलिए इस छानबीन की असलियत यह है कि पत्रकारिता से संबंधित यूनिवर्सिटी में पदस्थ एक प्रोफेसर साहब पिछले 8 सालों से प्रोबेशन पीरियड में भी पात्र हैं। पूर्व में वे निलंबित हो चुके हैं और जांच चल रही है। व्यापमं कांड में भी आरोपी हैं और छह महीने जेल की हवा भी खा चुके हैं। लेकिन, पैसा है तो समिति के लिए पात्र बनने से कौन रोक सकता है?

मंत्री को पसंद नहीं है मैडम का ई सिगरेट का शौक, हटाने के लिए पत्र लिखा
मालवा-निमाड़ की एक कलेक्टर साहिबा के दिलचस्प शौक आपने द इनसाइडर्स के पिछले अंकों में पढ़े होंगे। नहीं पढ़े होंगे तो नीचे लिंक पर क्लिक कर लीजिए। बहरहाल, इनके फ्लेवर्ड ई सिगरेट वाले शौक से उस क्षेत्र के व संघ के करीबी मंत्री जी खफा हैं। उन्होंने सरकार को कलेक्टर साहिबा को विदा करने का निवेदन किया है। बता दें कि कलेक्टर साहिबा बड़ी मैडम की बेहद खास हैं। वे ही बड़ी मैडम को युवा अफसरों के बारे में फीडबैक देती हैं।

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एथिक्स का सब्जेक्ट पर अनएथिकल हुए नए अफसर
आईएएस पूजा खेडकर की वजह से यूपीएससी को देश में भारी बदनामी झेलनी पड़ी है। मध्य प्रदेश में भी नए आईएएस अफसरों के पूजा खेडकर जैसे किस्से सामने आ रहे हैं। सीनियर ब्यूरोक्रेट्स का मानना है कि जब से यूपीएससी में एथिक्स का सब्जेक्ट शामिल हुआ है तब से नए अफसर और ज्यादा अनएथिकल हो गए हैं। 2010 के बाद वाले बैचेस के अफसरों में प्रोबेशन पीरियड से कमीशनखोरी की लत लग चुकी है। कलेक्टरी तक पहुंचते-पहुंचते तो सब रिकॉर्ड टूट रहे हैं। यानी एथिक्स के ज्ञान ने नए अफसरों पर उलटा असर डाल दिया है। उनके लिए एथिक्स की बातें किताबी हैं, जो उन्हें सिर्फ पढ़नी थी। अब फील्ड में एथिक्स से नौकरी करेंगे तो फिर माल कौन कमाएगा?

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आईपीएस के स्टॉफ को ऑनलाइन छुट्टी को रद्द करने में आए पसीने
सामान्य प्रशासन विभाग का एक आदेश प्रदेश के आईपीएस अफसरों का रास नहीं आ रहा है। अब उन्हें ऑनलाइन छुट्टी का आवेदन करना पड़ रहा है। ऑनलाइन के चक्कर में एक सीनियर आईपीएस अफसर फंस गए। उन्होंने जिस दिन की छुट्टी का आवेदन किया था, उसे बदलना था। लेकिन दिक्कत यह हो गई कि जब तक गृह विभाग के अफसर इसे रद्द न कर दें, तब तक नया आवेदन नहीं किया जा सकता है। एक अदद छुट्टी के लिए उन्हें कई फोन घनघनाने पड़े। कभी कोई अफसर छुट्टी पर तो कभी कोई सीट पर नहीं। तमाम दुश्वारियों के बाद उनका नया आवेदन मंजूर हुआ।

लाला लॉबी फिर सक्रिय
आईएएस अफसरों में लॉबी! अब यह शब्द फिर चर्चा में है। मंत्रालय में अफसर ठाकुर लॉबी, लाला लॉबी, दक्षिण भारतीय लॉबी, अस्सी-तुस्सी लॉबी (पंजाब-हरियाणा), एससी लॉबी आदि के बीच पावर वॉर चलता रहता है। काफी वक्त बाद लाला लॉबी के फिर से सक्रिय होने की खबर है। इसमें उन्हें बड़ी मैडम से मदद मिल रही है। एक प्रमुख सचिव भी इसमें खासे सक्रिय हैं। यह साहब जब भोपाल कलेक्टर थे, तब उन्हें यह पद लाला लॉबी की वजह से मिला था।

बड़ी मैडम के कथित दलाल ने वसूली के लिए धमकाया
बड़ी मैडम शांति के साथ रिटायरमेंट की तैयारी कर रही हैं। लेकिन उनका कथित दलाल इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है। सूबे में कलेक्टर-एसपी समेत कई अफसरों के ट्रांसफर होने हैं। जिन अफसरों का नाम अच्छी पोस्टिंग में है, उनके नाम यह दलाल पता कर लेता है। फिर, इन अफसरों को पैसे नहीं देने पर पोस्टिंग रद्द करवाने की धमकी देता है। द इनसाइडर्स को पता चला है कि एक अफसर ने दलाल की खबर ऊपर तक पहुंचा दी। वहां से निर्देश आया है कि दलाल की बातों में न आया जाए। पोस्टिंग में उसकी कोई भूमिका नहीं है। लिहाजा, अफसर ने उस दलाल को चमकाकर भगा दिया।

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संविदा ईएनसी लिख कर मजे ले रहे हैं इंजीनियर
पानी से संबंधित विभाग का बड़ा ही रोचक किस्सा है। यहां पहले से दो बिल्लयों की लड़ाई में एक बंदर के मजे हो रहे थे। अब दो बिल्लियां इस कदर दुश्मनी पर उतर आई हैं कि एक दूसरे को फाइलों में भी नीचा दिखाने लगी हैं। दो बिल्लियों का मतलब इंजीनियरिंग की सबसे बड़ी पोस्ट के लिए लड़ रहे दो इंजीनियरों से है। दूसरे वाले इंजीनियर ने पहले वाले को हटाकर कुर्सी हासिल कर ली थी। फिर एक महीने पहले ही इसी इंजीनियर ने रिटायरमेंट के बाद संविदा पर ईएनसी का कार्यकाल एक साल बढ़वा लिया। इससे तिलमिला कर पहले वाले इंजीनियर ने फाइलों पर संविदा ईएनसी लिखना शुरू कर दिया। दूसरे को यह अच्छा नहीं लगा। उसने फाइल में एक स्लिप चिपकाकर लिखा कि संविदा न लिखा जाए। पहले वाले इंजीनियर को भी जवाब दिया कि नोटशीट पर स्पष्ट किया जाए कि उनके आदेश में संविदा नहीं लिखा गया। उनका यह भी तर्क है कि जैसे मशीन मैकनिक समेत कई पोस्ट में कार्यभारित, संविदा आदि लिखा होता है, वैसे ही ईएनसी यदि संविदा पर है तो संविदा ही लिखा जाएगा। अब दूसरे वाले इंजीनियर को जवाब देते नहीं बन रहा है। इसलिए फाइलें गोल-गोल घूम रही हैं।

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जिम्मेदारी तय करने की बजाय भाषणबाजी में मग्न कलेक्टर साहब

बुंदेलखंड के एक कलेक्टर साहब ज्ञान देने में यह भी भूल जाते हैं कि उनकी खुद की जिम्मेदारी क्या है? ऐसा ही एक वाक्या हाल ही में घटित हुआ। हुआ यूं कि जिले में एक मेडिकल कैंप में गर्भवती महिलाएं जमीन पर लेटी हुई थीं। इस तरह की अव्यवस्था पर डॉक्टरों पर कार्रवाई करने की बजाय कलेक्टर साहब मीडिया में भाषणबाजी करने लगे। लोग भी कहने लगे कि जब कलेक्टर इस तरह की बातें करने लगेंगे तो फिर जनता अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए किसके पास जाएंगी? और ये जो कह रहे है कि हमंा प्रशासन करने का कोई हक़ नहीं है, तो यह ख़ुद क्या कर रहे हैं। ऐसे तो हर बार कोई घटना होगी और कलेक्टर इसी तरह की भाषणबाज़ी करते रहेंगे।

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एक और आईएएस जाएंगे केंद्रीय मंत्री के स्टॉफ में
मध्य प्रदेश के मध्य क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर का कलेक्टरी से मन ऊब गया है। इसलिए वे दिल्ली जाएंगे। उन्हें भाजपा के तीसरे ताकतवर नेता और केंद्रीय मंत्री के स्टाफ में पदस्थापना का ऑफर आया है। सरकार ने भी हरी झंडी दे दी है। हालांकि, इनसाइडर बताते हैं कि कलेक्टरी खतरे में देख उन्होंने यह कदम उठाया है।

 

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