द इनसाइडर्स: बाबू कर रहा आईएएस को रिश्वत देने-लेने की कंसल्टेंसी, पूर्व आईपीएस की कंपनी ने किया कमाल, “संस्कृति” से रोशन हुआ कलेक्टर बंगला

द इनसाइडर्स में इस बार पढ़िए आईएएस मीट के अनसुने और रोचक किस्से

कुलदीप सिंगोरिया@9926510865
भोपाल। राजधानी में आईएएस समिट की तारीखें घोषित हो गईं हैं …20 से 22 दिसम्बर। स्थान- मिंटो हॉल, प्रशासन अकादमी और एसोसिएशन की प्राइवेट प्रॉपर्टी “अरेरा क्लब”। ये तारीखें कुछ कहतीं हैं…चीख चीख कर कह रहीं हैं कि विधानसभा का सत्र 17 या 18 को ही समाप्त हो जाएगा। वरना 20 से शुरू हो रहे जागीरदारों के कुम्भ में खलल न पड़ जाएगा और मुख्य अतिथि डॉक्टर साहब ही तो हैं। तो विधायकों का कुम्भ ठिकानेदारों के कुम्भ से पहले निपटना तय। खैर, इस बार नए बड़े साहब की आमद का फर्क दिख रहा है। ठेकेदारों को सोवेनियर में विज्ञापन देने के लिए स्वेच्छा से बाध्य किया जा रहा है..बकायदा रसीद भी दी जा रही है। वजन एक निगम पर न होकर राजधानी के सारे बड़े मंडल-निगमों पर है। हालांकि, समिट के बाद अधिकांश जागीरदार बच्चों के साथ न्यू ईयर मनाने छुट्टी पर जाएंगे तो कुछ समझदार ठिकानेदार यानी हमारे ब्यूरोक्रेट समिट की आड़ में घूमने के खर्चे का इंतजाम नकद चंदे से कर रहे हैं। जिस तरह पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए उसी तरह (चंदा) लेने वालों को लेने का बहाना चाहिए..और इसी के साथ चटखारे लेते हुए पढ़िए आज का ‘द इनसाइडर्स’…

व्यवहार से “संस्कृति” का पता चल ही जाता है..
नई पीढ़ी के एक से धुरंधर चर्चित, पार्टी प्रेमी, नशे वाले जिला हुकुमों या जिल्लेइलाहियों की हम अक्सर बात करते रहते हैं। आज इन जिल्लेइलाहियों से शुरूआत न करते हुए आपको थोड़ा निराश कर रहा हूं। लेकिन कुछ अच्छा भी होना चाहिए कि तर्ज पर एक ऐसे ठिकानेदार का किस्सा जो कि अपने व्यवहार में इस कैरेक्टर में फिट नहीं हो रहा है। तो आइए एक ऐसी जिला कलेक्टर की बात करें जो ओल्ड स्कूल ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन को आज भी फॉलो करतीं हैं। आर्मी बैक ग्राउंड के पेरेंट्स की इकलौती सन्तान, सरल, सहज, सौम्य और विलक्षण गुण ईमानदारी से परिपूरित कलेक्टर साहिबा को छपास (अखबारों में छपने ) से एलर्जी है। सरल पहनावा, नाम मात्र के जेवर में एक शालीन घरेलू स्त्री लगतीं हैं। पर जब कामचोर और भ्रष्ट पर नाराज़ होतीं हैं चंडी की तरह…। अनेकों बार पैदल ही बंगले से ऑफिस बिना गार्ड के टहलते हुए आ जातीं हैं। ग्रामीण भ्रमण के दौरान स्कूल, आंगनवाड़ी और अस्पताल में सुधार उनकी प्राथमिकता रहतीं हैं। महिलाओं और बच्चों के साथ सेल्फी लेना और ग्रामीण प्रतिभाओं को जिला मुख्यालय में बुलाकर TL में पुरस्कृत करना उनका स्वभाव हैं। सादगी की तब पराकाष्ठा हो गई जब सशस्त्र सेना दिवस के अवसर पर उन्होंने अपने पुराने SAMSUNG मोबाइल के कवर से 100 रुपए निकाल कर भरी मीटिंग में ध्वज खरीदा। नए अधिकारियों के लिए ये सीखने वाली बात है कि Great man dont do things differently but they do it simply and naturally….पहचान के लिए बता दें सीपी एंड बरार की पुरानी राजधानी के पास के जिले में पदस्थ हैं और सड़कों को दुरुस्त करवाने में विशेष काम किया है।

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रिश्वत देने के लिए कन्सलटेंसी..
अब हम अपने मूल चरित्र यानी भ्रष्टाचार उजागर अभियान पर लौटते हैं और नर्मदा तट पर बसे महानगर की कमिश्नरी में ठिकानेदार के ऑफिस में एक अजीब सा ही मंज़र बताते हैं। दरअसल यहां के साहब बहादुर की जिंदगी में जल्दी ही सेवानिवृत्ती का दशहरा आने वाला है। तो ठिकानेदार जम कर फाइलें निपटा भी रहे हैं और नए केस पैदा भी कर रहे हैं। यही नहीं, साहब की न्यूनतम फीस है एक पेटी। साहब को माने इसके लिए “अभय” वरदान मिला हुआ है। और साहब के मातहत बाबू बकायदा कन्सलटेंसी देते हैं कि 1 पेटी देने में आपका फायदा ही है। यदि साहब 2 वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोक देंगे तो जीवनकाल में 4 पेटी का नुकसान होगा। कोर्ट जाओगे तो वकील 2 पेटी खर्च करवा लेंगे। टेंशन से बीपी-शुगर बढ़ेगी तो डॉक्टर को भी पैसे देने पड़ेंगे..हो सकता है अटैक भी आ जाए..। इस तरह से अंधेरे का भय दिखा कर टॉर्च बेची जा रही है। कर्मचारी /अधिकारी कन्फुजिया अवस्था में अंटी ढीली कर जाते हैं और बाबू जी अपनी कन्सलटेंसी फीस अलग से ले लेते है। खैर क्या करें ..डॉक्टर साहब प्रदेश में उद्योग /व्यवसाय को बढ़ाना चाहते हैं तो अधिकारियों ने भी अपना व्यवसाय बढ़ा लिया है।

पूर्व आईपीएस का दूरसंचार पर कब्जा
द इनसाइडर्स के पिछले अंक में पुलिस की दूरसंचार शाखा में होने वाले एक घोटाले की तरफ इशारा किया था। अब इस घोटाले ने टेंडर रूपी बाधा को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। करीब 20 करोड़ रूपए के टेंडर के असली खिलाड़ी का नाम भी बाहर आ गया है। यह खिलाड़ी रिटायर्ड स्पेशल डीजी साहब हैं। जिनसे जुड़ी कंपनी का दूरसंचार पर कब्जा है। इसी कंपनी ने बड़ी-बड़ी कंपनियों को टेंडर की फाइनेंसियल बिड खुलने से पहले यानी टेक्निकल बिड में ही मात दे दी। अब मात कैसे दी होगी, भला यह भी कोई बताने वाली बात है। साहब के जलवे ने काम दिखाया और नामी गिरामी कंपनियों को पहले टेंडर से दूर रहने का खौफ दिखाया गया। वे न मानी तो साहब के मित्र यानी टेंडर के कर्ताधर्ता आईपीएस और उसके दो चंगु-मंगू ने बिना सिर पैर की शर्तें और मनमाने नियमों से कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि साहब मुफ्त में ही अपने रिटायर्ड पुराने बॉस की मदद नहीं कर रहे थे। उन्होंने व्यवहारिकता का तकाजा देते हुए टेंडर पास करने की मोटी फीस भी वसूल ली है।

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धंधे में बनिये पर भारी ठाकुर
श्रीमान बंटाधार के नाम से विख्यात रहे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों राजधानी से सटी एक डेम के पास की कीमती जमीन एक सेठ जी को बेच दी। इसी जमीन के सामने भी एक और पूर्व सीएम की प्रॉपर्टी भी है जिस पर उनके बेटे और बेटी के बीच जमकर झगड़ा भी हुआ है। खैर, हमारे सेठ जी नाम के डॉक्टर हैं और जन्म और कर्म से व्यापारी। सेठ जी मेडिकल कॉलेज के अलावा भी कई चीजें चलाते हैं। पर इस बार ठाकुर साहब यानी पूर्व सीएम ने व्यापारी रूपी डॉक्टर को चूना लगा दिया। दरअसल आम चुनाव में पैसे कर्ज/खर्च होने के नाम पर “सिंह” साहब ने सेठ जी को जमीन बेची। उन्हें पता था कि अब मास्टर प्लान में खेल नहीं हो पाएगा क्योंकि उनकी सरकार चली गई। और जो नए मुखिया आए हैं, वे अपनी ही पार्टी के कथित वरिष्ठों की नहीं सुन रहे तो इनकी दाल कैसे गलेगी। वहीं, सेठ जी को मामा से अपने पुराने सम्बन्धों पर भरोसा था। पर अचानक ही इस जमीन के पास टाइगर रिज़र्व होने से मुसीबत आन पड़ी है। अब सेठ जी हैरान हैं और लोग कह रहे हैं कि “सिंह” को “सिंह प्रोजेक्ट” की आहट दिल्ली से थी इसलिए ठाकुर ने सेठ को जमीन टिपा दी…अब जा कर सेठ जी को समझ आया कि नेता किसी भी जाति का हो, कोई व्यापारी या अधिकारी उसको पार नहीं पा सकता है।

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एडीजी ने रखा पुराने पैंसठिये(चमचे) का खयाल…
एडीजी रैंक के आईपीएस अधिकारी अपने मातहतों (थानेदार) पर जम के बरसे। हड़का कर बोले जो विषय न्यायालय का है उसमें आप लोग क्यों घुसते हो? हुआ यूं कि एडीजी साहब के भोपाल में जब SP थे, तब के दिनों का एक पैंसठिये (चमचे) ने पिछले दिनों जमीनों के सौदे में 55 लाख की धोखाधड़ी कर दी। थानेदार ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (पुरानी ipc 420) के तहत प्रकरण दर्ज कर पैंसठिये पर दबिश दे दी। इस दबिश का साहब को पता चला तो थानेदार पर आग बबूला हो गए। आखिर क्यों न होते …बचपन का प्यार और पहली पोस्टिंग का पैंसठिया भुलाए नहीं भूलते…

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मीटिंग अपरिहार्य कारणों से निरस्त…लेकिन कलेक्शन चालू आहे..
ट्राइबल बेल्ट के घाटों वाले जिले के जिला हुकुम का अंदाज़ अनोखा है। अल सुबह से नशे में रहने वाले हुकुम जिले में रोस्टर से मीटिंग कॉल करते हैं..औऱ सारे अधिकारियों को अंदाज़ा हो चला है कि मीटिंग की सुबह या पूर्व रात्रि में जिले के व्हाट्सएप ग्रुप में ” अपरिहार्य कारणों से मीटिंग निरस्त …अगली मीटिंग की सूचना पृथकसे दी जावेगी..” पोस्ट होना ही है। कारण वही है साहब की भरी जवानी में तबियत खराब…। मीटिंग भले ही निरस्त होती रहे पर मासिक शुल्क का रिचार्ज वो बंगले पर टाइम से वसूल लेते हैं। यहां तक कि बंगले के सारे कर्मचारियों का हफ्ता अरे माफ कीजिये महीना बंधा हुआ है। उनकी ये अदा पिछली पोस्टिंग से जारी है। हाँ आबकारी वाले को जरूर लगभग रोज़ ही बंगले पर हाज़िरी लगानी पड़ती है।

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मूंगफली वाले साहब सीएम हाउस में पोस्टिंग के लिए नकदी साथ लाए
उत्तरक्षेत्र की कमिश्नरी के ठिकानेदार साहब का मूंगफली का किस्सा आपने पिछले अंक में पढ़ा है। न पढ़ा हो तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर लीजिए। अब इनके बारे में एक और किस्सा ‘नजर ए इनायत’ करने वाला है। एक इनसाइडर ने बताया कि साहब पिछले मुख्यमंत्री के कार्यकाल में सीधे सीएम हाउस पहुंच गए थे। पहुंचना कोई बड़ी बात थोड़ी ही है। इसलिए बड़ी बात यह है कि साहब नकदी के साथ पहुंचे थे और जिद कर रहे थे कि मुझे अच्छी पोस्टिंग दे दो। उनकी इस हरकत से सीएम हाउस में हड़कंप मच गया। हम डॉक्टर साहब और उनकी टीम को भी सतर्क कर रहे हैं कि ठिकानेदार से बचकर रहिए।

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कमीशन के 8 करोड़ रूपए का आम पका
यादव जी के महाबल के आगे विपश्यना वाले साहब का पराक्रम ध्वस्त हो गया। साहब ने यादव जी के खेल में अच्छी मंशा से टंगड़ी मारी थी। लेकिन उन्हें ऊपर की हिदायत के बाद अपनी टंगड़ी को वापस लेना पड़ा। यह कैसे हुआ, इसकी शुरूआत हमने पिछले अंक में बताई। तो गतांक से आगे में खबर यह है कि जिस 8 करोड़ रूपए के कमीशन के लिए पूरा खेल रचा जा रहा था, उसे अब अंजाम तक पहुंचा दिया गया। लक्ष्मी वाले विभाग में पदस्थ विपश्यना वाले साहब की सरकारी खजाने की बचत करने वाली सीख को सरकार ने नजरअंदाज कर प्रदेश के मिलर्स को अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देने का फैसला कर लिया है। इस खेल के लिए यादव जी ने मंत्री को साधा और ऊपर भी। फिर मिलर्स को हड़ताल के लिए कहा। आखिर में हड़ताल खत्म करवाने का स्वांग करते हुए मंत्री ने कैबिनेट में प्रोत्साहन राशि देने का प्रस्ताव रख दिया। हालांकि यह बात अलग है कि अब मिलर्स को मंत्री के लिए अलग से चंदा करना पड़ेगा।

अघोषित युवराज…
कुछ अंक पहले हमने एक इनसाइडर में लिखा था “अरेरा हिल्स का काशी घाट” उसमें हमने सबसे पहले सम्भावना व्यक्त की थी कि जांच वाले इस ऑफिस में जल्द ही कोई जैन साहब पधार सकते हैं तो साहब यानी जैन साहब इस जांच एजेंसी के सर्वे सर्वा बन ही गए। आइए आज दो साल बाद की भी एक भविष्यवाणी हम कर देते हैं। दो साल बाद जब कैलाश कमंडल ले कर कैलाश को जाएंगे तब जैन साहब जो सिंहस्थ से लेकर तमाम बड़ी बड़ी जिम्मेदारी निभा चुके हैं नए “कप्तान बहादुर” बन सकते हैं। रसूखदार पारिवारिक बैक ग्राउंड, संजीदा, जहीन और अनुभव इन्हें पहले नम्बर का खिलाड़ी बनाता हैं। सच तो यह भी है कि जैन साहब अर्थ, रिश्तों और अर्थ के रिश्तों के महारथी भी हैं। पर सतर्क रहें क्योंकि… अक्सर अघोषित युवराज को राजा बनने से रोकने के लिए सारे ठिकानेदार आपसी दुश्मनी भूल कर एक हो जाते हैं। फिलहाल तो खबर यह है कि आखिरकार संस्था से एक ब्राम्हण कम हो ही गया।

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राहु काल…
पिछले हफ्ते हमने पानी वाले विभाग में 225 करोड़ के सिल्वर आयोनाइजर खरीदी की खबर क्या दी .. विभाग में हड़कम्प ही मच गया। मीटिंग्स कैंसिल कर दी गईं। बड़े साहब ने रिपोर्ट जो मांग ली थी। इसके चलते हमें भी नए नए इनसाइडर मिल गए ..और हमें मिला एक और धांसू इनसाइडर किस्सा। खबर ये है कि पूर्व अपर मुख्य सचिव जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं के कार्यकाल के दौरान उनके परिचित ठेकेदार ने सम्पर्क कर आयोनाइजर सप्लाई की इच्छा जाहिर की। तत्कालीन एसीएस ने ठेकेदार को विभाग के सबसे ‘आलोकित’ कलाकार ग्रह राहु के पास ‘समझने’ के लिए भेज दिया । “राहु” ने समझा..ही नहीं..बल्कि सप्लायर को गणित समझा दिया। और शाहरुख खान की तरह फीस न लेकर फ़िल्म प्रोडक्शन में हिस्सेदारी ले ली। मतलब “राहू” ने आयोनाइजर के धंधे में पार्टनरशिप ही कर ली। उस समय विभाग में “राहू काल” जोरों पर था। कोई भी DPR तब तक स्वीकृत नहीं होती थी, जब तक राहु की इच्छा के अनुरूप न हो। अब क्या था हर योजना में आयोनाइजर बिना इम्पैनलमेंट के घुसेड़ दिया गया। औऱ ऊपर वालों को चटनी चटाई और असली माल राहू खा गया। आजकल राहु डॉक्टर राहू की भूमिका में हैं सारे जिलाधिकारियों को पाप कर्म की कुंठा(शिकायतों) से मुक्त करने का काम कर रहे हैं। भोपाल आओ पेटी भर फीस दो और पाप मुक्ति की चिट्ठी ले जाओ।

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नोट :- आईएएस मीट के महत्वपूर्ण और प्रासंगिक विषय के चलते हमारी संपादकीय टीम ने इस बार योग: कर्मसु कौशलम् श्रृंखला को प्रकाशित नहीं किया है। लेकिन इसी श्रृंखला के साथ फिर मिलेंगे अगले शनिवार दोपहर 12 बजे आपके स्नेह और दुलार की बांट जोहते हमारे अड्‌डे यानी www.khashkhabar.com पर। तब तक के लिए आप सुधि पाठकों से लेते हैं अलविदा और हमारे इनसाइडर्स को देते हैं धन्यवाद, जिनके बताए किस्सों के बिना आप और हम चटखारे नहीं ले पाते।

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