16 कलाओं में प्रवीण कृष्ण ने मंत्राणी को दी मात, कलेक्टर को ब्रांडिंग उलटी पड़ी; पूर्व बड़े साहब के यहां सब्जी पहुंचाने का मिला इनाम

द इनसाइडर्स आपके लिए लाया है सत्ता के गलियारों की वो चटपटी खबरें जो बताएंगी इसके किरदारों के असल चेहरे...

कुलदीप सिंगोरिया | ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’, श्रीमद भगवत गीता का यह श्लोक हमारी संस्कृति और दर्शन का आधार है। लेकिन सत्ता या पावर कॉरिडोर में मदमदस्त अफसर और नेता इस श्लोक का अर्थ ही उलट देते हैं। वे फल के रूप में रिश्वत पहले पाते हैं, फिर कर्म के रूप में जमीन खरीदने से लेकर तमाम शौक पूरा करते हैं। तो आज फल और कर्म से जुड़े किस्सों को पढ़िए चटखारे वाले अंदाज में…

सब्जी पहुंचाने का फल…
गीता के श्लोक की बात चल रही है तो हम भी फल से शुरुआत करते हैं। भोपाल विकास प्राधिकरण के बाबू मोशाय दास साहब की संपत्तियों की जानकारियां मीडिया आप तक पहुंचा रहा है। लोकायुक्त के इनसाइडर की मानें तो दास की संपत्ति करीब 50 करोड़ रुपए तक हो सकती है। आखिर यह अर्जित कैसे कीं? इससे जुड़ा एक छोटा सा राज हम उजागर कर देते हैं। दास साहब इसलिए भी पावरफुल थे क्योंकि वे पूर्व बड़े साहब के यहां सब्जी पहुंचाया करते थे। अफसर हो या नेता, हरेक के घर के कामों से लेकर बाहर तक हर जगह दास ही दास होते थे। खैर, यहीं से जुड़ी एक और खबर यह है कि दास जिनकी सरपरस्ती में थे, वे रमैया वस्तावैया वाली मैडम लंबी छुट्‌टी पर जा रही हैं। कलेक्ट्रेट में भी उनकी जांच शुरू हो चुकी है। हालांकि, बीडीए के मुखिया अभी इस जांच से बचे हुए हैं। जबकि लोकायुक्त में जिस शिकायतकर्ता ने आवेदन दिया था, उसने इन ज्ञानवान मुखिया से भी कई बार दास की शिकायत की थी। लेकिन साहब ने कार्रवाई करने की बजाय उलटा शिकायतकर्ता को ज्ञान की घुट्‌टी पिलाकर चुप करा दिया था।
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जैन साहब ने बनवाया था आईएएस का बंगला
लोकायुक्त का राजधानी में एक और छापा चर्चा में है। यह छापा स्मार्ट सिटी के मुख्य अभियंता जैन साहब पर पड़ा था। द इनसाइडर्स ने पहले ही बताया था कि छापे से एक आईएएस की टेंशन बढ़ गई है। प्रदेश के पूर्व कद्दावर मंत्री के यह दामाद हैं। खबर यह है कि बड़े तालाब के कैचमेंट में दामाद साहब ने एक बंगला बनवाया है। कथित तौर पर बताया जाता है कि बंगले के लिए खर्चा इन्हीं जैन साहब ने किया है। ठेकेदारों पर दबाव डालकर उनसे माले ए मुफ्त की सेवाएं ली गई। हालांकि, जैन साहब से प्रसाद लेने वाले एक और आईएएस भी अभी तनाव में हैं। वे अभी पानी वाले एक निगम में हैं। उनके किस्से फिर कभी…
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रेस्क्यू वाहन से दूध दुहेंगे डीजी साहब
प्रदेश की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले मुख्यालय में पदस्थ एक साहब के वारे-न्यारे होने वाले हैं। डीजी स्तर के यह अधिकारी रेस्क्यू वाहन खरीदना चाहते हैं। इसके लिए देश की नामी और पुरानी कंपनी से डील भी हो गई है। मामला कुछ 9 करोड़ रुपए का है। कंपनी के लिए क्या शर्तें शिथिल की गई हैं और कैसे सेटिंग हुई, यह आपको जल्द ही बताएंगे।

केंद्रीय मंत्री के नए रिश्तेदार दिखाने लगे वजनदारी
प्रदेश के बड़े नेता, लाड़लियों के चेहते व केंद्रीय मंत्री के नए रिश्तेदार भी सत्ता की धमक और रसूख के नशे में चूर होने लगे हैं। हाल ही में राजधानी के एक एसडीएम ऑफिस में उन्होंने अपना रसूख दिखाया। जमीनों के काम के लिए कार्यालय के कर्मचारियों को जमकर धमकाया भी। खैर, हमारी तो यही सलाह है कि अभी तो रिश्ता पूरी तरह से पक्का भी नहीं हुआ है। ऐसे में ज्यादा ताव दिखाना नुकसानदायक भी हो सकता है।
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माफियाओं का काल है यह आईएएस… 
नर्मदा किनारे वाले एक जिले की कलेक्टर साहिबा के पिछले किस्सों से आप वाकिफ हैं। न हो तो गूगल कर लीजिए, इनके कारनामों की फेहरिस्त मिल जाएगी। खैर, कोर्ट से लेकर मीडिया में हो रही किरकिरी को देख मैडम जी को अपनी ब्रांडिंग की सूझी। स्थानीय मीडिया मैडम के व्यवहार और मनमानी से खफा था, इसलिए यहां कोई तवज्जो नहीं मिली। फिर भोपाल की ओर रुख किया तो यहां उनके किस्से पहले से ही सबको पता थे। लिहाजा, दिल्ली में अपने एक कॉन्टेक्ट के जरिए बड़े मीडिया हाउस में खबर छपवाई। हैडिंग थी, ‘माफियाओं का काल है आईएएस…, यूपीएससी में थी इतनी रैंकिंग’। सोशल मीडिया में जैसे ही खबर आई तो लोगों ने चटखारे वाले कमेंट लिख दिए। लोगों ने मैडम के पूर्व जिले से लेकर अब तक के कार्यकाल में बताया कि उनके वक्त में किस तरह रेत माफिया और भ्रष्टाचार हावी रहा। मैडम की वजह से मीडिया हाउस की किरकिरी होने लगी तो फिर हैडिंग और खबर दोनों को बदला दिया। जो नई खबर लिखी गई उसमें मैडम के कोर्ट वाले किस्सों को भी लिखा गया।
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बड़ी मैडम का कलेक्टर प्रेम
हाल ही में बड़ी मैडम ने प्रदेश की कलेक्टरों की वीडियो कांफ्रेंसिंग से मीटिंग ली। मीटिंग प्रधानमंत्री की आदिवासियों की सेहत को लेकर चल रही योजनाओं की समीक्षा पर थीं। एक-एक कर सारे जिलों की समीझा की गई। इनमें जो जिले फिसड्‌डी थे, उनके तर्कों को सुनकर प्रदर्शन सुधारने की हिदायत मीठी भाषा में दी गई। वहीं, एक जिला जो कि प्रदेश के पूरब में है और प्रदेश की एनर्जी कैपिटल कहलाता है, वहां का प्रदर्शन ठीक-ठाक था। इसके बाद भी बड़ी मैडम ने कलेक्टर साहब को जमकर फटकार लगा दी। बाकी कलेक्टर्स के बीच चर्चा है कि वहां के कलेक्टर ने बड़ी मैडम का कौनसा काम नहीं किया जो इतनी फटकार खाना पड़ा। जबकि फटकार तो खराब प्रदर्शन वालों को लगना थी। वैसे, इसी जिले में पैसा बहुत है। इसलिए यहां एक खदान के लिए पूर्व बड़े साहब के किसी शर्मा जी ने भी एक कंपनी से 50 लाख रुपए डकार लिए थे।
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जनपद पंचायत से हर महीने चाहिए 60 हजार रुपए की रिश्वत
राजधानी से सटे एक जिले की जिला पंचायत सीईओ को हर जनपद पंचायत से 60 हजार रुपए महीने की रिश्वत चाहिए। एक जनपद पंचायत की अधिकारी ने इसमें असमर्थता जताई तो सीईओ साहिबा ने उनके स्टाफ व पंचायत सचिवों से काम रुकवा दिए। उन्हें हड़ताल पर भिजवा दिया। फिर अखबारों में खबरें छपवाई की 70 पंचायतों में काम ठप हैं। इसी खबर के आधार पर ईमानदार जनपद पंचायत अधिकारी को हटा दिया गया। जिला पंचायत सीईओ साहिबा राजधानी के विकास प्राधिकरण में रह चुकी हैं। तब उनके क्रेशर संचालक पति ही ठेकेदारों से डील करते थे। हमारे इनसाइडर ने बताया है कि यहां भी उनके पति वसूली अभियान में लगे हुए हैं। हाल ही में झंडे खरीदी में भी उन्होंने आधे ही सप्लाई करवाए और बाकी का पैसा डकार लिया। इसी तरह के कई कांड वे करते हैं जिससे पंचायत सचिवों तक को भ्रष्टाचार को मौका मिल जाता है। जिले की पहचान के लिए बता दें कि यहां के कलेक्टर साहब को तीन साल पूरे हो चुके हैं।
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द इनसाइडर्स का असर: मृत्यु प्रमाण पत्र पर रिश्वत लेने वाले पंडित जी की हुई विदाई
मौत के प्रमाण पत्र के लिए 1100 रुपए का प्रसाद मांगने वाले पंडित जी की विदाई हो गई है। द इनसाइडर्स ने पिछले अंक में आपको इसके बारे में बताया था। नगर निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण ने इनसाइडर पर भरोसा कर पंडित जी को हटा दिया है। वहीं, नगरीय प्रशासन कमिश्नर भरत यादव ने भी पंडित जी के प्रमोशन की तीन सदस्यीय जांच बैठा दी है। द इनसाइडर्स दोनों ही आदेशों के लिए शहर सरकार और शासन का गरीबी से जूझते लोगों की पुकार सुनने के लिए धन्यवाद अदा करता है।
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B टाइप बनाम C टाइप बंगला
श्री मद भगवद गीता के श्लोक से हमने शुरूआत की थी तो अंत भी आज के कृष्ण नाम वाले यानी संविदाधारी प्रमुख इंजीनियर से करते हैं। राजधानी की मुख्य लिंक रोड पर बड़े बड़े सरकारी बंगले बने हैं, जिनमें ज्यादातर मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री और विभागाध्यक्ष का निवास है। यहीं पर पानी से संबंधित विभाग के संविदा पर रखे गए प्रमुख इंजीनियर भी रहते हैं (हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि संविदा के अधिकारी को C TYPE के बंगले की पात्रता किस नियम के तहत है)। इसी विभाग की मंत्राणी भी रोड के दूसरी तरफ B TYPE के बंगले में निवासरत हैं। बंगले की बात खत्म कर असल खबर पर आते हैं। सविंदा धारी ने अपने पूर्ववर्ती प्रमुख अभियंता के प्रिय लोगों को लूप लाइन में पदस्थ करने और अपने लाडले बिठाने के लिए शासन के माध्यम से ट्रांसफर प्रस्ताव मंत्री जी के बंगले को भेजा था। मंत्री जी के बंगले का तंत्र तुरन्त एक्टिव हुआ और तत्काल मलाइधारी पदों के मालिकों को फोन किया गया कि.. आ जाओ। सूचना मिलते ही जिलों के अधिकारी कलश ले ले कर बंगले में देवी पूजन हेतु उपस्थित हो गए। और देवी माँ से आशीर्वाद प्राप्त कर आश्वस्त होकर जिलों की ओर प्रस्थान कर गए। खबर में यही से ट्विस्ट है। संविदा के कृष्ण 16 कलाओं में प्रवीण हैं। मंत्री बंगले में कृष्ण ने गुप्तचर तंत्र एक्टिव कर रखा है जिसमें एक शिव को हरने वाले  सरनेम के एक ठेकेदार और एक प्रभारी कार्यपालन यंत्री हैं। कार्यपालन यंत्री महोदय राजधानी की शहर सरकार में मलाईदर वाले ट्रांसपोर्ट के सर्वेसर्वा थे। इन गुप्तचरों ने इस घटना की सूचना संविदाधारी को तुरन्त दे दी। फिर क्या था… संविदा कृष्ण तत्काल प्रकट हुए और जाने कौन सी घुट्टी पिलाई कि जिले के अधिकारियों की पूजा व्यर्थ हो गई। फिर मंत्री को कृष्ण इच्छा अनुसार ही फाइल अनुमोदित करनी पड़ी। इस वाकये से प्रदेश में संविदाधारी कृष्ण की धाक और बढ़ गई। लिहाजा, अब रोज सुबह 10 बजे के पहले और शाम 7 बजे के बाद ट्रांसफर चाहने वाले और न चाहने वाले C टाइप के बाहर थैला लिए देखे जाते हैं। वहीं, B टाइप में सन्नाटा पसरा रहता है…अर्थात संविदा का इंजीनियर मंत्री पर भी है भारी…
इंजीनियर साहब के कारनामे जानने के लिए इन लिंक्स को क्लिक कीजिए : 1. कृष्ण के पार्थ की अथ श्री महाभ्रष्ट कथा

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