द इनसाइडर्स: आईएएस अफसर की मंत्री को ना, ‘मोहनी’ को हां; एसपी साहब और सीएसपी मैडम की ट्यूनिंग, सिंहस्थ में मोटी कमाई का लालच

द इनसाइडर्स में इस बार पढ़िए मोहनी संग गलबहियां कर रहे सीनियर आईएएस का रोचक किस्सा

कुलदीप सिंगोरिया | द इनसाइडर्स के इस अंक में बिना भूमिका सीधे आज की खास पेशकश से ही शुरूआत करते हैं। पढ़िए किस्सों को दिलचस्प और गुदगुदाने वाले अंदाज में…

आईएएस की चेतना में ‘मोहनी’ नाम की महिला में अटकी

महाकवि भास के नाटक “स्वप्नवासवदत्तम्” की पंक्ति पर गौर फरमाइए।
सुन्दरि, तव दृष्टिः खलु मोहिनी। यथा विष्णोरन्यथा स्वयम्॥
यानी, हे सुंदरी, तुम्हारी दृष्टि स्वयं मोहिनी है, जैसे विष्णु की माया। इसी तरह, रामधारी सिंह ‘दिनकर रश्मिरथी में लिखते हैं…
मोहिनी मूरत से हटा नहीं पाता दृष्टि।
तनिक से मनुष्य है वही, शेष उसका अस्ति॥
मतलब, मोहिनी मूरत से मनुष्य अपनी दृष्टि हटा नहीं पाता, उसकी सम्पूर्ण चेतना उसी में अटक जाती है। कुछ यही हाल प्रदेश के छोटे उद्योगों वाले विभाग के सर्वेसर्वा वरिष्ठ आईएएस का हुआ है। उनकी चेतना में ‘मोहनी’ नाम की महिला में अटक गई है। मोहनी की मदहोशी में डूबे आईएएस साहब उसके लिए कुछ भी करने को ऊतारू हैं। इसलिए, विभाग में यदि किसी को कुछ काम है तो वह मोहनी की शरण में चला जाता है। कुछ ही ऐसा ही वाक्या एक ठेकेदार के साथ हुआ। विभागीय मंत्री से कहने के बाद भी जब उसका काम नहीं हुआ तो मैडम मोहनी की सेवाएं ली गई। आप आश्चर्य करेंगे, मैडम मोहनी ने महज दो घंटे में आईएएस अफसर से फाइल क्लीयर करा दी। बता दें कि इसी विभाग की एक संस्था में पदस्थ रहीं (अब निलंबित हैं।) एक और महिला के भी कुछ वक्त पहले तक जलवे-जलाल थे। क्योंकि तब यहां पदस्थ पूर्व अफसर से उसकी नजदीकियां थीं। नए साहब ने मोहनी के लिए पहले वाले साहब की महिला मित्र का पत्ता कट कर दिया। खैर, पौराणिक पात्र मोहनी की कथा तो आप सबने सुनी ही होगी। न सुनी हो तो गूगल कर लीजिए। हम तो अफसर महोदय को आगाह कर रहे हैं कि मोहनी के चक्कर में भस्मासुर ने खुद को भस्म कर लिया था। आप किसी दिन हनी ट्रैप में फंसकर भस्म मत हो जाइएगा।

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भ्रष्ट सिविल सर्जन पर कलेक्टर की लगाम
पूर्व कृषि मंत्री के क्षेत्र वाले जिले में सिविल सर्जन बेखौफ होकर बैटिंग कर रहे हैं। मरीज हो या स्टाफ, सब उनकी वसूली से आजिज आ चुके हैं। कलेक्टर ने भी समझाइश दी। इसका असर नहीं हुआ तो कलेक्टर ने सरकार को सिविल सर्जन के तबादले का अनुरोध कर डाला है। बता दें कि यहां से पूर्व कृषि मंत्री चुनाव हार चुके हैं। लेकिन, उनके संरक्षण में नगर पालिका के सीएमओ व सिविल सर्जन समेत कई अधिकारियों ने लूट मचा रखी है।

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एसपी साहब की सीएसपी मैडम से बढ़ती नजदीकियां
प्रदेश में सीमेंट उत्पादन और चूना पत्थर की राजधानी माने वाले जिले के एसपी साहब और यहीं पदस्थ सीएसपी मैडम की नजदीकियां चर्चा में हैं। एसपी साहब मैडम के हिसाब से पूरे जिले की कानून-व्यवस्था चलाते हैं। इसलिए मैडम को अहम जिम्मेदारियां मिली हुई हैं। जबकि, बाकी काबिल लोगों को साइडलाइन किया गया है। इसी छूट का फायदा उठाकर मैडम जबरदस्त बैटिंग कर रही हैं।

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सिंहस्थ: आर्थिक उन्नति का मौका
सिंहस्थ 12 साल में एक बार आता है। इसमें कुछ को आध्यात्मिक तो कुछ को आर्थिक उन्नति दे जाता है। जिस तरह सिंह को इंसान का खून मुख में लग जाता है तो वो इंसान की तलाश में रहता है। उसी तरह जिनको सिंहस्थ की कमाई एक बार मिल गई वो बार बार तलाश करते हैं। हमारे पानी वाले विभाग में संविदा वाले बड़के इंजीनियर साहब पिछले सिंहस्थ की मोटी कमाई को अभी तक पचा नहीं पाए हैं। इन्होंने कृष्ण के ही दूसरे नाम वाले सब इंजीनियर के साथ मिलकर टेंडर में बड़े खेल किये थे। एक ठेकेदार के पास तो अपने बेटे को भी नौकरी में लगा कर रिश्वत की कमाई तनख्वाह के रूप में ली थी। ये बात अलग है कि रायता फैलने पर तत्कालीन प्रमुख सचिव को मामा ने बीच सिंहस्थ में बेइज्जती के साथ हटा दिया था। हम याद दिला दें कि रायता फैलाने वाले दोनों इंजीनियर इस बार फिर मिशन 2028 पर हैं। बड़के कृष्ण ने संविदा में रहते हुए छुटके श्याम को सिंहस्थ के काम का अतिरिक्त प्रभार दे दिया है। हमारे इनसाइडर ने बताया है कि छुटका श्याम एक ऐसा टेंडर निकाल रहा है कि संविदाधारी बड़के इंजीनियर को संविदा समाप्ति के बाद सिंहस्थ तक कंसल्टेंट के रूप में नियुक्त कर सके। इसके लिए सिंहस्थ में मुख्य अभियंता के तौर पर काम करने के अनुभव की शर्त रखी जा रही है। इस तरह संविदा कृष्ण 66 की उम्र तक पुनर्नियोजित हो जाएंगे। इनकी जुगलबन्दी के बारे में यह भी बता दें कि पिछले सिंहस्थ के माल से जो डेयरी बड़के इंजीनियर कृष्ण ने लगाई थी उसे छुटके “घनश्याम” जी ही देखते आ रहे हैं।

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कमिश्नर पर भारी महिला कलेक्टर
नर्मदा नदी के किनारे वाले एक जिले की कलेक्टर मैडम के तेवर सातवें आसमान पर हैं। पहले तो उन्होंने सीएम ऑफिस के एक सीनियर अफसर पर शक जाहिर कर अपनी उथलेपन को उजाकर किया और अब अपने कमिश्नर की बैठक में न जाकर रसूख झाड़ दिया। वाक्या कुछ यूं हैं कि कमिश्नर साहब ने अपने मातहत वाले जिलों की मीटिंग रखी थी। इसमें सभी अफसर आए। खुद मैडम के जिले के भी। वहीं, मैडम ने संदेशा भिजवाया कि उनके यहां दूसरी मीटिंग है, इसलिए वे नहीं आ सकती हैं। इनसाइडर बताते हैं कि कलेक्टर मैडम ने यह मीटिंग जानबूझकर रखी थी, ताकि कमिश्नर के यहां जाना न पड़े। बता दें कि इन कलेक्टर मैडम के लिए विपक्षी दल के अध्यक्ष ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने कलेक्टरी पैसे देकर खरीदी है। मैडम का व्यवहार ऐसा है कि कोर्ट भी उन्हें फटकार लगा चुका है। और जिले में ऐसा कोई अफसर नहीं है, जिससे यह लड़ी नहीं हैं।

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बैल का दूध दुहने वाले सिन्हा की फिर से होगी वापसी
पानी से जुड़े एक निगम जिसमें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी स्कीम का क्रियान्वयन किया जा रहा है, वहां एक सिन्हा साहब ने बैल का भी दूध दूहने का कारनामा किया है। सिन्हा साहब ठेकेदारों के अलावा एसक्यूसी, टीपीआई और पीएमसी से भी मोटा कमीशन वसूल किया है। इसलिए पानी की स्कीमों में न तो कभी सुपरविजन हुआ और मॉनीटरिंग। अब वे रिटायर हो गए हैं लेकिन नेमप्लेट नहीं हटी है। वजह है उनके आका यानी एक इंजीनियर साहब ने साफ कह दिया है कि ‘मेरा सिन्हा वापस आएगा।’ उन्होंने एक मीटिंग में कहा कि सिन्हा के आने तक उसका चार्ज किसी को न दिया जाए।  वहीं, निगम के मुखिया और आईएएस ऑफिसर ने भी नोटशीट पर लिख दिया है कि सिन्हा को वर्तमान पोस्ट पर संविदा नियुक्ति न की जाए। अब इंजीनियर साहब निगम से ऊपर विभाग के अफसरों पर डोरे डाल रहे हैं। और वे अपनी इस कोशिश में कामयाब होते नजर आ रहे हैं। यह भी बता दें कि इंजीनियर और उनका वसूली एजेंट नगर निगम भोपाल में रह चुके हैं।

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रिटायरमेंट से पहले जमकर बल्लेबाजी कर रहे साहब
एक सीनियर आईएएस का रिटायरमेंट नजदीक है। कभी मुख्य सचिव बनने की दौड़ में शामिल रहे यह साहब अब रिटायरमेंट से पहले ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर रहे हैं। जहां से भी जितना मिल सके, बटोर लो वाली नीति पर साहब चल रहे हैं। लिहाजा, ऐसे लोगों को पदस्थ किया जा रहा है, जो कि उनके लिए अमृत कलश ला सकें। वैसे, पूर्व में भी जब यह पानी से जुड़े विभाग में थे तब भी, लोग इनकी बल्लेबाजी का कौशल देख चुके हैं।

सरकार के करीबी का थानेदारों की पोस्टिंग में शामिल होने का राज
सरकार का एक करीबी आजकल इंदौर से लेकर झाबुआ तक थानों में अपने मनपसंद टीआई की पोस्टिंग करवाने में सक्रिय है। इसकी वजह है गुजरात तक जाने वाले शराब के अवैध कारोबार के रूट की सुरक्षा करना। लिहाजा, थाना प्रभारियों की पूरी पड़ताल के बाद उन्हें इस रूट और इससे जुड़े लोगों व शराब के ट्रांसपोर्ट में सुरक्षा देने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। अब करीबी कौन है, यह भी जान लीजिए। करीबी बड़े नेता का भतीजा है।

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सरकारी घर में शराब पार्टी बैन पर खुद के लिए छूट
चंबल के एक जिले के एसपी साहब का आदेश खूब वायरल हो रहा है। साहब ने अपने आदेश में ताकीद दी है कि कोई भी सरकारी घर में बाहरी व्यक्तियों को बुलाकर शराब पार्टी न करें। ऐसा करने पर आवास आवंटन रद्द कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। खास बात यह है कि साहब के बंगले पर आए दिन शराब पार्टी आयोजित होती रहती है। इसलिए लोग कह रहे हैं कि साहब अपने ऊपर क्या कार्रवाई करेंगे? खैर, ऐसे लोगों के लिए तुलसीदास जी ने कहा ही है – ‘समरथ को नहीं दोष गोसाईं।’

ट्रांसफर हुआ तो रिलीव होने के बाद भी पुराना कमीशन वसूला 

एक छोटे लेकिन समृद्ध जिले में जिला पंचायत सीईओ का ट्रांसफर हाल ही में बड़े नगरीय निकाय में हुआ। आईएएस महोदय को इसकी खुशी तो थी, लेकिन जिले की पंचायतों से वसूली अधूरी रहने का गम भी था। लिहाजा, साहब ने रिलीव होने के बाद छोटे जिले में रुकने का फैसला किया। फिर, दो दिन तक पंचायतों में फोन कर अपना बकाया कमीशन वसूल किया। यही नहीं, कई जांचे लंबित थी, उन पर भी बैक डेट में साइन कर सभी को क्लीन चिट दे दी। इसके एवज में साहब के पास अच्छी खासी रकम जमा हो गई। खैर, साहब की नई-नई शादी हुई है तो उन्हें यह रकम बड़े शहर में काम आएगी। वैसे, बता दें कि हाल ही में जब साहब की शादी हुई थी तो उसमें हर पंचायत से वसूली की गई थी। ठेकेदारों से भी महंगे गिफ्ट या वजनी लिफाफा लाने के निर्देश दिए गए थे।

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