शादी के भोज के लिए आईएएस अफसर ने पंचायतों से वसूला चंदा, बड़ी मैडम के कथित दलाल पर आई नई आफत
द इनसाइडर्स में इस बार पढ़िए ब्यूरोक्रेसी के रिश्वत लेने के नए किस्से दिलचस्प अंदाज में…
कुलदीप सिंगोरिया | द इनसाइडर्स के इस अंक में फिर लौटते हैं ‘बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया’ पर। क्या करें, रुपए की महिमा ही ऐसी है। हमारे रसूखदारों की सुबह हो या शाम, रिश्वत के बगैर अधूरी रहती है। अब जब, प्रदेश में मानसून मेहरबान है और झमाझम बारिश हो रही है तो रसूखदारों पर मूसलाधार पैसा क्यों न बरसे? इसके लिए टेंडरों में जुगाड़ से लेकर शादी के भोज तक के लिए पंचायत सचिवों तक से उगाही की जा रही है। चटपटे अंदाज में पढ़िए इस अंक में लक्ष्मी कृपा वाले किस्से…
आईएएस ने लिया शादी के भोज के लिए पंचायत सचिवों से चंदा
नर्मदा नदी के मध्य क्षेत्र वाले एक जिले के जिला पंचायत सीईओ की शादी के चर्चे राजधानी तक पहुंचने लगे हैं। कुछ समय पहले राजधानी की आलीशान होटल में हुए रिसेप्शन में जिले के सभी ठेकेदारों को बुलाया गया। सभी को ताकीद दी गई कि महंगा गिफ्ट लाया जाए। इस फेर में भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि शादी समारोह में अव्यवस्था फैल गई। यही नहीं, शादी के खर्च के लिए हर पंचायत से सचिवों के माध्यम से वसूली की गई। खैर, शादी के लिए इतना हक तो हमारे अफसर का बनता ही है!
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खनिज कारोबारी के साथ आईएएस के बेटे की पार्टनरशिप
पूर्व वन मंत्री नागर सिंह चौहान की एक नोटशीट खूब चर्चा में रही है। इसमें वे कटनी के कारोबारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पैरवी न करने की बात लिख रहे हैं। कथित तौर पर कहा गया कि इसी वजह से उनसे वन विभाग छीना गया है। हालांकि मंत्री से पहले यहां पदस्थ एक आईएएस अफसर को भी हटाया गया था। यही अफसर असल में व्यापारी की मदद कर रहा थे। डीएफओ पर भी खूब दबाव बनाया गया था। अब पता चला है कि कारोबारी ने अफसर के बेटे को फर्म में हिस्सेदारी दी है। हालांकि, मंत्री और अफसर के हटने से कारोबारी की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
महिला प्रेमी सचिव जी के हर टेंडर पर वारे-न्यारे
सचिव के पद पदस्थ पर एक आईएएस के जमकर वारे-न्यारे हो रहे हैं। साहब के पास ऐसा निगम है जहां से सभी विभाग खरीदी करते हैं। इस बात का फायदा उठाकर सचिव जी टेक से संबंधित सामानों को 5 गुना महंगे दाम में खरीद रहे हैं। इसका खुलासा फिर कभी। फिलहाल, जिस विभाग के यह सचिव हैं, वहां भी जमीन आवंटन में खेल कर रहे हैं। इसके लिए वेबसाइट से छेड़छाड़ की जा रही थी। सरकार को इसकी भनक लगने पर जमीन आवंटन रद्द कर दिए गए हैं। साथ ही, साहब से दो अन्य एजेंसियों के प्रभार भी वापस लिए गए हैं। हालांकि, खरीदी वाला निगम साहब के पास ही है, इसलिए बैंटिंग चालू है। बता दें कि यह अधिकारी जब खरगोन में पदस्थ थे, तब महिलाओं से संबंधित विभाग की एक अधिकारी से मित्रता के चर्चे थे। यह महिला अधिकारी अब देवास में पदस्थ हैं।
क्या बड़ी मैडम के अरमानों पर पानी फिर जाएगा?
द इनसाइडर्स के एक अंक में हमने बताया था कि शिक्षा से संबंधित विभाग में मुख्यमंत्री की फ्लैग शिप योजना के तहत इंटरैक्टिव पैनल खरीदी में करीब 300 करोड़ रुपए के घोटाले की तैयारी है। इसमें बड़ी मैडम का कथित दलाल भी शामिल है। उसकी चहेती दक्षिण कोरियाई कंपनी को काम भी मिल गया। इस बीच कंपनी ने अपने साथ जुड़े सबलेट वाले ठेकेदारों को चीट करना शुरू कर दिया। इससे खफा ठेकेदारों ने पूरे मामले का भंडाफोड़ कर दिया। उन्होंने उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे को पूरा मामला बता दिया। कटारे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया। अब देखने वाली बात होगी कि बड़ी मैडम टेंडर बचाने में सफल होंगी या नहीं!
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सचिव को प्रभारी प्रमुख सचिव बोलने या लिखने से संविदा ईएनसी नाराज
द इनसाइडर्स में आपने पिछले अंक में संविदा पर पदस्थ ईएनसी का किस्सा पढ़ा होगा। इन्हें खुद को संविदा ईएनसी लिखवाना या सुनना पसंद नहीं है। लेकिन विभाग के सचिव जो कि प्रमुख सचिव के तौर पर पदस्थ हैं, उन्हें प्रभारी प्रमुख सचिव या प्रमुख सचिव बोलने पर ऐतराज है। हाल ही में हुई एक मीटिंग में उन्होंने एक नहीं तीन-तीन बार सचिव महोदय बोला। यही नहीं, अपने अधीनस्थों को भी निर्देश दे दिए कि सचिव महोदय को प्रभारी प्रमुख सचिव या प्रमुख सचिव न तो बोला जाए और न लिखा जाए। गौरतलब है कि सचिव महोदय जब भी दौरे पर जाते हैं तो सभी उन्हें प्रमुख सचिव ही संबोधित करते हैं। बता दें कि संविदा वाले ईएनसी का एक एससीएस से बहुत याराना है। पूर्व में यह एसीएस इसी विभाग में पदस्थ थे। तब संविदा ईएनसी की उन्होंने बहुत मदद की थी। इसलिए जब कभी वीसी होती है तो संविदा ईएनसी उन्हें पूरे सम्मान के साथ अपर मुख्य सचिव महोदय का संबोधन करते हैं।
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मंत्री ने दिखाया दम, पीएस को हटवाया
निर्माण से संबंधित विभाग के मंत्री जी बोलते कम हैं, इसलिए कुछ लोग उनको हल्के में ले लेते हैं। विभाग के प्रमुख सचिव ने भी यही गलती कर दी। मंत्री से उलझना उन्हें भारी पड़ गया। पीएस मंत्री के लीगल कामों में भी अड़ंगा लगा रहे थे। पीएस को ऐसा न करने हिदायत भी दी गई। न मानें तो मंत्री ने अपना दम दिखाया और पीएस का बोरिया बिस्तर समेटवा दिया। इन्हीं पीएस से जुड़े मुख्य अभियंता स्तर के इंजीनियर भी मंत्री की नहीं सुन रहे थे। अब विभाग में चर्चा है कि इंजीनियर अब भी नहीं सुधरा तो उसका भी बोरिया-बिस्तर समेटवा दिया जाएगा।
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मेयर को फार्म हाउस गिफ्ट कर निगम की मलाई सूत रहा अफसर
प्रदेश के दूसरे नंबर के नगर निगम में पदस्थ अपर आयुक्त की मलाई खाने के किस्से मशहूर हैं। फिर भी इन पर कोई हाथ नहीं डालता है। लोकसभा चुनाव के वक्त इन्हें हटाया गया था लेकिन बाद में वरिष्ठ अफसरों को चढ़ावा देकर वापसी कर ली। इसके बाद से साहब बेखौफ होकर ठेकेदारों से माल कूट रहे हैं। कुछ ने नेताओं को सहारा लिया तो पता चला कि मेयर के रिश्तेदारों को इन्होंने फार्म हाउस गिफ्ट किया है। यह फार्म हाउस अफसर ने अपने बेटे के नाम से खरीदा था।
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मंत्री जी खुश क्यों हैं?
पहली बार चुनाव जीतकर मंत्री बने आजकल ज्यादा ही खुश हैं। इनकी एक खुशी की वजह यह है कि मंत्री पद जाने का खतरा टल गया है। दूसरी वजह उनके ससुर साहब का जन्मदिन। मंत्रालय में ससुर साहब के जन्मदिन का निमंत्रण पत्र देखकर ही लोग भौंचक रह गए। किसी बड़े गिफ्ट के आकार जैसे कार्ड में विदेशी चाकलेट आदि भी रखी गई। लोग यहां तक कह रहे हैं कि जब निमंत्रण-पत्र इतना महंगा है तो फिर समारोह कितना भव्य होगा? इनसाइडर यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि मंत्री जी पर किस ठेकेदार की कृपा बरस रही है? बता दें कि मंत्री जी पूर्व में अपने बेटे के लिए पुलिस थाने पहुंचकर हंगामा मचा चुके हैं।
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टॉकीज के नामांतरण पर 50 लाख की रिश्वत
राजधानी के कमर्शियल इलाके में एक पुरानी टॉकीज को जमींदोज कर उसके स्थान भव्य निर्माण कार्य किया जा रहा है। इसे जिसने खरीदा है, उस पर हाल ही में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है। यह निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और डिजाइन के लिए कार्यरत एक कंसल्टेंसी कंपनी का मालिक है। कंपनी पीडब्ल्यूडी और अन्य विभागों में ठेके लेती है। कंपनी और उसके मालिक पर कार्रवाई न हो, इसके लिए ईओडब्ल्यू और पीडब्ल्यूडी आमने-सामने आ चुके हैं। खैर, यह बात तो आपको पता ही है। इससे आगे की बात यह है कि संबंधित व्यक्ति ने टॉकीज तोड़कर दूसरे उपयोग का नामांतरण करवाने के लिए बीडीए में रहे एक उच्च अधिकारी को 50 लाख की रिश्वत दी थी। अधिकारी रिश्वत लेकर बाद में बीडीए से निकल गया लेकिन बेचारे बाबुओं को ठेंगा मिला।
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