द इनसाइडर्स: फ्लाइट से नौकरी पर आते-जाते थे साहब, सीनियर आईएएस के साथ वायरल चैट वाली महिला मित्र हुई सस्पेंड
द इनसाइडर्स आपके लिए लाया है सत्ता के गलियारों की वो चटपटी खबरें जो बताएंगी इसके किरदारों के असल चेहरे...
कुलदीप सिंगोरिया | गोस्वामी तुलसीदास जी कवितावली में लिखते हैं…हित अनहित कुछ जानत नाहीं। जानत सब होत यथाही। तुलसी ठग बड़ाई लौं, छूटत नाहीं ठगाही।।
इसी तरह पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की एक कविता है…. स्नेह निर्झर बह गया है, रेत ज्यों तन रह गया है, शुष्क नभ है, शांत धर है। दोनों ही महाकवियों की पंक्तियां नाते-रिश्तेदारियों के स्याह पक्ष पर हैं। फिर भी, इस सत्य को नकार सत्ता शीर्ष पर बैठे लोग इन्हीं के साथ दलाली में लग जाते हैं। कभी इस नातेदार को ठेका तो कभी उस रिश्तेदार को अवैध वसूली की खुली छूट देना। ‘द इनसाइडर्स’ यह बात इसलिए भी बता रहा है क्योंकि पिछली बार दो मंत्री अपने पुत्रमोह और रिश्तेदारी में चुनाव हार गए थे। तो आज रिश्तेदारियों से जुड़े किस्सों को पढ़िए चटखारे वाले अंदाज में…
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बहनोई की वजह से बन गए ईएनसी
शहरी विकास से संबंधित एक एजेंसी में ईएनसी पद के लिए भीषण संग्राम हुआ। महज तीन महीने में ही एक ईएनसी साहब की विदाई हो गई। उनके स्थान पर जो आए, वे प्रदेश के रईस विधायक के बहनोई हैं। अपने इन्हीं संबंधों को फायदा उठाकर साहब सीनियरटी में भी आगे निकल गए हैं। सीनियरटी के लिए उन्होंने नियमित होने से पहले का कार्यकाल भी जुड़वा लिया। यह और बात है कि यही क्राइटएरिया दूसरे इंजीनियर को नहीं मिल पाया। यदि मिल जाता तो वे ही ईएनसी बनने के लिए सबसे सीनियर होते। खैर, नए साहब ने यहां आमद देते ही मातहतों को साफ कर दिया है कि कमीशन वसूली सख्ती से की जाए। यह भी पढ़ें – द इनसाइडर्स: डेढ़ लाख की साड़ी पहनती हैं डॉक्टर साहिबा
मंत्राणी के बहनोई कर रहे नशे का कारोबार
राजनीति में फ्रेश चेहरों की डिमांड बढ़ गई है। इसलिए सत्ता पक्ष ने पहली बार की युवा विधायक को मंत्री बना दिया। मैडम हैं भी बहुत स्मार्ट। लेकिन उनके बहनोई साहब ने किरकिरी करा दी। मैडम की सगी बहन के पति देव नशीली दवाओं के व्यापार में लिप्त पाए गए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मैडम को एफआईआर होने तक इसकी भनक तक नहीं लग पाईं। जबकि कार्रवाई के वक्त वे क्षेत्र में ही थीं। मैडम शहरों के विकास से संबंधित कामों वाले विभाग से हैं।
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सीनियर आईएएस नहीं बचा पाए महिला मित्र को
रोजगार से संबंधित एक संस्था में एक मैडम को सस्पेंड कर दिया गया। यह पहली बार है कि मैडम को कार्रवाई की मार झेलनी पड़ी। तीखे नैन नक्स वाली मैडम कुछ महीने पहले भी चर्चा में आई थी। तब एक सीनियर आईएएस अफसर के साथ इनकी व्हाट्सएप चैट वायरल हो गई थी। देश के प्रतिष्ठित अखबार के डिजिटल प्लेटफार्म पर खबर आई तो साहब ने फौरन ‘जनसंपर्क’ के जमाने वाले संबंधों को याद किया और खबर हटवा दी। फिर सभी जगह खबर न लगाने का अनुरोध भी कर डाला। पहले साहब भी इस विभाग में थे, तब मैडम के साथ ‘पहचान कायमी’ हुई थी। वैसे, मैडम का संस्था में जबरदस्त रूतबा था। पैसे मनमाने चाहिए होते थे और वो भी पूरी ठसक के साथ। लोग चटखारे लेकर यह भी बता रहे हैं कि मैडम के विभाग के नए साहब भी विपरीत लिंग के प्रति ज्यादा आकर्षित हो जाते हैं। लेकिन मैडम ने पहले वाले के प्रति वफादारी रखी तो नए साहब की वक्र दृष्टि उन पर पड़ गई। खैर, जो भी हो, हम तो इतना ही कहेंगे कि प्रोफेशनल लाइफ में पर्सनल लाइफ घुसेड़ेंगे तो काना-फूसी होगी ही। यह भी पढ़ें : नई गाड़ी के शौकीन पीएस के चक्कर में अफसर की लॉटरी लगी
मंत्रालय की सीढ़िया चढ़ रही मैडम
हनी ट्रैप की जांच से जुड़ी एक सीनियर आईपीएस मैडम आजकल मंत्रालय की सीढ़ियां खूब चढ़ रही हैं। जबकि उनके बारे में कहा जाता था कि वे मंत्रालय नहीं जाती हैं। उनसे पूछो तो बोलती हैं कि मीटिंग है। जबकि, क्रास चेक करने पर पता चलता है कि मीटिंग नहीं है बल्कि वे पीआर बढ़ा रही हैं। यह भी पता चला है कि मैडम भोपाल पुलिस कमिश्नर की पोस्ट के लिए जोर लगा रही हैं।
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फ्लाईट से आते- जाते हैं साहब
ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े विभाग में एक साहब के जलवे हैं। साहब कोई आईएएस या एसएएस नहीं हैं, लेकिन शौक वैसे ही हैं। साहब का एक ऑर्डर हाल ही में निकला है, जिसमें उन्हें आर्थिक राजधानी के साथ ही स्टेट कैपिटल में विभाग के मुख्यालय में भी जीवकोपार्जन से संबंधित जिम्मेदारी दी गई है। साहब इससे पहले भी दो अलग-अलग शहर में प्रभारी थे। एक बार जब उनसे वरिष्ठ अधिकारियों ने दोनों जगह अटेंडेंस का राज पूछा तो पता चला कि साहब फ्लाइट से आते-जाते हैं। बार-बार फ्लाइट का खर्च कहां से आता है, यह बताने की जरूरत तो हैं नहीं? यह भी पढ़ें : बिजली गुल ने कराया कलेक्टर के शीशमहल का पर्दाफाश, पूर्व बड़े साहब नहीं लौटा रहे 50 लाख रुपए
साप्ताहिक चातुर्मास विश्राम..
सभी जानते हैं अभी चातुर्मास चल रहा है। देवशयनी से देवउठनी तक 4 महीने भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं। विष्णु के द्वापर नाम के व पानी से संबंधित विभाग में पदस्थ एक संविदा इंजीनियर का चातुर्मास विश्राम प्रत्येक सप्ताह आता है। वो प्रत्येक सप्ताह शुक्रवार को राजधानी से रथ (ये वाहन ठेकेदार के नाम पर क्रय किये गए हैं) पर सवार होकर आर्थिक राजधानी में विश्राम के लिए पहुंच जाते हैं और सोमवार को राजधानी में आ कर पुनः साढ़े चार दिन की दुकान संभाल लेते हैं। ये क्रम लंबे समय से चल रहा है। राजधानी के सबसे बड़े मंदिर से आशीर्वाद प्राप्त इस संविदा अधिकारी से कोई वरिष्ठ अधिकारी कुछ नहीं कह पाता। ज्यादा से ज्यादा इतना कह देते हैं कि.. भाई! तुम इंदौर जा ही रहे हो तो उस जिले की बैठक ले कर उसे 100% पूर्ण की श्रेणी में ले आओ। पर संविदा अधिकारी को इंदौर में पुत्र की फैक्ट्री का हिसाब-किताब देखने से फुर्सत मिले तब ना। वो ढाई- तीन दिन तन्मयता से काला सफेद करते रहते हैं…और तनख्वाह पूरी पाते हैं। खैर हमारे इंसाइडर ने बताया कि लंबे समय से इंदौर जिला 90% पर टिका है और 100% इसलिए नहीं हो पा रहा क्योंकि संविदा अधिकारी की बहन के बेटे ने ठेका ले रखा है। वो न तो जिले के अधिकारी के “अनुरूप” काम कर पा रहा है और न ही जिले के अधिकारी “अनुरूप” के “अनुरूप” के काम कर पा रहे हैं। सुना है कि इसलिए जिले के अधिकारी का ट्रांसफर प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
मतलब…
“घर को आग लग गई घर के ही चिराग से…”
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जिले की बजाय जांच एजेंसी क्यों गए आईपीएस साहब
जांच करने वाली एक एजेंसी में एसपी के पद पर अमूमन एडिशनल एसपी की पोस्ट वाले अफसर ही पदस्थ होते रहे हैं। लेकिन हाल ही में इस पद पर एक प्रमोटी आईपीएस की पदस्थापना हुई है। उनके बारे में कहा जा रहा है कि साहब चाहते तो कोई भी जिला मिल जाता, फिर यहां आने की वजह क्या है। बता दें कि पूर्व में कमलनाथ सरकार में वे जब यहां थे, तब उनका नाम इनकम टैक्स के छापों में आया था। उन पर आरोप लगा था कि वे वसूली कर पैसे कांग्रेस मुख्यालय भेज रहे थे।
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मीटिंग अवारा पशुओं पर, बात 41 मर्डर वाले कैदी की
मीटिंग्स में क्या होता है, यह आप भली-भांति परिचित हैं। न हो तो फिर यू ट्यूब पर जाईए और जसपाल भट्टी के फ्लॉप शो का मीटिंग वाला एपिसोड नंबर 6 देख लीजिए। फिलहाल तो हाईलेवल मीटिंग का किस्सा पढ़िए। हुआ यूं कि मंत्रालय में सीनियर आईएएस अफसरों की सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं के बारे में मीटिंग हुई। लेकिन एक दिन पहले ही बड़े साहब बनने की आशा रखने वाले आईएएस भोपाल की एक जेल का भ्रमण कर लौटे थे। यहां कैदियों से बातचीत में उन्हें कई संस्मरण मिले। लिहाजा, वे आवारा पशुओं के साथ ही इन संस्मरणों को बताने लगे। उन्होंने बताया कि एक कैदी ने बोला- मुझे हरियाली दिखा दो। कोर्डवर्ड में हरियाली का मतलब नोटो की गड्डी के लिए होता है। साहब अचकचा गए तो पूछा कैसी हरियाली? तब कैदी ने बोला कि लंबे अरसे से पेड़-पौधे, खेत खलिहान आदि नहीं देखे हैं। तब सह्दयी साहब ने कैदी को तत्काल हरियाली दिखाने के निर्देश दिए। एक कैदी ऐसा भी मिला जिसने 41 मर्डर किए थे। साहब ने कौतुहल में पूछा कि इतने मर्डर के बाद भी पकड़ा क्यों नहीं गया। लोगों ने बताया जो भी गवाही देता वह 42 वां हो जाता न। साहब ने इस तरह की बातें कर मीटिंग को बोझिल होने से बचा लिया और बाकी आईएएस भी तनाव रहित हो गए।
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पुराने वाले का नाम सुनकर भड़क जाते हैं साहब
प्रदेश की दूसरे नंबर में आने वाली शहर सरकार के प्रशासनिक मुखिया चुनचुनकर पुराने वाले साहब के लोगों को निपटा रहे हैं। यही नहीं, एक ठेकेदार ने गलती से पुराने वाले का नाम ले लिया तो साहब उस पर भड़क गए। ऐसी ही खुन्नस वित्त अधिकारी पर निकालते हैं। दरअसल साहब को लगता है कि वे जब पहले यहां थे, तब उन्हें इनकम टैक्स से मिले नोटिस के जिम्मेदार पुराने वाले थे। यहां बता दें कि पुराने साहब यहां तीन साल से ज्यादा समय तक पदस्थ रहे थे। उन पर पूर्व बड़े साहब की विशेष कृपा थी।