द इनसाइडर्स: सीएम के सचिव को हटवाने का क्रेडिट ले रही कलेक्टर मैडम, सिक्स पैक एब्स दिखाने के लिए आईपीएस मीट में हनुमानजी का लिया सहारा

द इनसाइडर्स में इस बार पढ़िए योग: कर्मशु कौशलम के बाद सत्यमेव जयते की पहली कड़ी...

कुलदीप सिंगोरिया@9926510865
भोपाल | सत्यमेव जयते… साल 1948 में इम्पीरियल पुलिस से ट्रांसफॉर्म हुई IPS अर्थात भारतीय पुलिस सेवा का ध्येय वाक्य। आजादी के पहले की पुलिस और आजादी के बाद की पुलिस का ध्येय बिल्कुल अलग रहा। पहले जनता को ब्रिटिश हुकूमत के अधीन बनाये रखने का था, तो 1947 में हुए दंगों के बाद सामाजिक सौहाद्र बनाये रखने का। और दूसरा बड़ा काम सरदार पटेल के निर्देशन में भारतीय पुलिस ने किया आपरेशन पोलो के तहत हैदराबाद और अन्य भारतीय रियासतों को भारतीय गणराज्य में शामिल कराकर।
कुछ ही वर्ष में ब्रिटिश पुलिस का भाव विलीन हो गया और बिल्कुल उलट भारतीय पुलिस की एक जोरदार छवि बन गई। शायद इसीलिए हैदराबाद में IPS ट्रेनिंग सेंटर है और नाम सरदार पटेल पर ही है। सभी जानते हैं कि पहली महिला आईपीएस किरण बेदी थीं। पर बहुत कम लोग जानते हैं कि सीवी नरसिम्हन जो 1937 के ICS थे 1948 में ICS छोड़कर पहले आईपीएस बने। पदम् भूषण, आर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर से सम्मानित चक्रवर्ती नरसिम्हन ने IAS के बनिस्पत IPS को चुना था। यहीं से शुरू होती है हमारी “सत्यमेव जयते” की कथा…ALL THE IPS ARE IPS BY DESTINY BUT A FEW ARE BY CHOICE…
यूपीएससी की एक ही प्रक्रिया से IAS और IPS चयनित होते हैं। कुछ अंको से चूक जाने पर आईपीएस मिलता है। इसीलिए बहुत सारे IAS पूर्व में IPS रहे होते हैं औऱ पुनः प्रयास कर IAS बन जाते है। जो च्वाइस से IPS बनते हैं उनके लिए नहीं …पर जो IPS ही बन पाते हैं उनके लिए जिंदगी भर का दर्द ये शेर बयान करता है कि “कुछ ही गलत कदम चला था शौक ए राह में मैं ….और मंजिल तमाम उम्र मेरा पता पूछती रही..”
सत्यमेव जयते को समझने से पहले राष्ट्र भक्ति जनसेवा अर्थात मध्यप्रदेश पुलिस को समझना होगा…साल 1854 में तत्कालीन प्रांत में गठित 1861 में पुलिस अधिनियम से नियन्त्रित, फिर आईपीएस और अब भारतीय न्याय संहिता का पालन करने वाली हमारी पुलिस को पहले समझना होगा। (जब हम पुलिस की बात कह रहे हैं तो हम IPS और SPS से नीचे के अधिकारियों के समूह के बारे में कह रहे हैं ..उनमें भी NOT ALL BUT MANY..)…साहब इनके चिन्ह में दो रंग हैं लाल और गहरा नीला(मजाक में लोग कहते हैं कि थाने में हम इतना लाल कर देंगे कि घर जाके नीले पड़ जाओगे)। पुलिस की एक कहावत है कि क्राइम को समझना हो तो क्रिमिनल की तरह सोचना पड़ेगा…बल्कि उससे भी बड़ा क्रिमिनल बनके सोचोगे तो ही आप क्रिमिनल को पकड़ पाओगे। तो साहब बहुत सारे थानेदार इस कथन का पालन करते करते कब बहुत बड़े क्रिमिनल बन जाते हैं पता ही नहीं चलता। फिर पुलिस …घर में लगे उस ताले की तरह काम करती है जो शरीफों को शरीफ बनाये रखते हैं चोर तो आसानी से ताले तोड़ लेते हैं। इस प्रक्रिया से “राष्ट्रभक्ति जनसेवा” का एक बड़ा वर्ग थानेदार के नेतृत्व में वापिस इंपीरियल पुलिस वाली दुर्दांत अवस्था को प्राप्त कर लेता है। और फिर उसे वापिस भारतीय पुलिस बनाकर “जनता से संवाद बनवाने की कड़ी का महत्ती काम IPS और SPS ही करते हैं” …शेष अगले अंक में..तब तक प्रस्तुत है सत्ता के गलियारों की चटपटी खबरें…

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क्या ये द्रौपदी भी महाभारत करवाएगी…
इतिहास गवाह है कि महाभारत युध्द जिसमें 18 औक्षणी सेना आपस लड़ी और विध्वंस हुआ उसके पीछे द्रौपदी का दुर्योधन का उपहास वाला वाक्य “अंधे का पुत्र भी अंधा..” कारक बना। कुछ ऐसी ही आहट हम सत्ता के गलियारों से सुन रहे हैं। नर्मदा तट वासिनी जिला हुकुम देवी के उवाच (बोल)भी पिछले दिनों काफी उफान पर रहे। जबसे डॉक्टर साहब के प्रिय वल्लभ भवन की पांचवी मंजिल से सड़क पर आए हैं। देवीजी मानों बादलों पर चल रही हैं। और क्यों न हों उनके हित को साध कर आनंद पूरा संगठन लेता है। पिछले दिनों जिले की बैठक में शेखी बघारते हुए उन्होंने इस स्थानांतरण की क्रेडिट ले ही ली। भाजपा के स्थानीय विधायक भी उन्हें पुराने तेवर में लौटते देख सहम गए। वो समझ नहीं पा रहे हैं कि पार्टी किस ओर जा रही है…

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इन्वेस्टमेंट में हो रहा घाटा, टेंशन में आईपीएस
राजधानी में 24-25 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर समिट होने जा रही है। दुनिया भर के निवेशक आएंगे और सरकार उन्हें रिझाएगी। लेकिन हम यहां निवेशकों की अलग कैटिगिरी की बात कर रहे हैं। यह कैटिगिरी पैसे देकर पोस्टिंग में निवेश करने की। इस कला में माहिर एक आईपीएस ने आवाजाही वाले विभाग की पोस्टिंग पाने के लिए निवेश कर दिया। लेकिन बताते हैं कि कम वसूली से उनके माथे पर शिकन आ गई है। लिहाजा, वे ज्यादा वसूली के लिए नए तरीके खोज रहे हैं। वैसे, साहब की यहां पोस्टिंग करवाने में पांचवीं मंजिल वाले साहब की भी भूमिका बताई जाती है। कुछ इनसाइडर्स ने बताया कि इनसे पहले साहब यहां 38 करोड़ रुपए देकर गए थे लेकिन इससे आधी ही रकम वसूल पाए। यानी 50 प्रतिशत का घाटा हो गया।

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उत्तरायण सूर्य में दक्षिण उदय…
जुए के फड़ों का नियम है कि जो जुआ अपने अड्डे पर खिलाता है वो दो टका नाल हर फड़ पे काट लेता है। ऐसा ही हुआ योग: कर्मसु कौशलम वालों से जुड़े विभाग से जारी हुई पिछली ट्रांसफर सूची में। विभाग के सचिव महोदय ने सफलता पूर्वक 3 नाम अपनी इडली-डोसा (दक्षिण) लॉबी के जुड़वा लिए। यही नहीं, पांचवी मंजिल में खूब उथल-पुथल मची..कई योद्धा हताहत हुए पर वो अपनी लॉबी के इडली -डोसा को स्मार्टली बचा ले गए। इसको कहते हैं स्मार्ट वर्किंग…
यादव जी के शार्गिद पर गिरी गाज
खाने-पीने के सामानों की सप्लाई करने वाले निगम के मुखिाया रहे यादव जी क्या निपटे, अब उनके शागिर्द (पैंसठिए) की भी शामत आ गई। हालांकि यह शामत उसके पुराने कर्मों की वजह से आई है। दरअसल, मन के ओज वाला यह शागिर्द जब भोपाल विकास से संबंधित एक एजेंसी में था, तब उन्होंने प्राइम लोकेशन की जमीनों पर खूब खेल किए। सेटिंग से रसूखदारों को महंगे प्लॉट कम दामों में दिलवा दिए तो कहीं उनका उपयोग या स्थान परिवर्तन कर करोड़ों रुपए का फायदा दिलावा दिया। हाल ही में सरकार ने ऐसे ही एक पुराने मामले में विपक्ष के नेता पर शिंकजा कसा तो इनकी गर्दन अपने आप फंस गई। जमीन घोटाले में नेताजी समेत इस शागिर्द पर भी ईओडब्लयू ने एफआईआर दर्ज की है। अच्छा है साहब इसी जन्म में अपने कर्म का फल पा लेंगे।

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ईमानदार हिटलर…
सूचना क्रांति से जुड़े एक निगम के मुखिया शानदार ईमानदार किंतु अजीबोगरीब हिटलर हैं ।बहुत कम लोग जानते हैं कि हिटलर ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय बंदूक की नोक पर वैज्ञानिकों से अनेक अविष्कार करवाये थे। उसी तर्ज पर 500 रुपये के खर्च में शादी करने वाले ये महोदय सरकारी सिस्टम में भी अव्यवहारिक हुकुम चला रहे हैं। कोई भी लिफ्ट से नहीं जाएगा …बिजली बंद नही की तो नोटिस .. एसी नहीं चलेंगे… अरे भाई अब इस नादां को कौन समझाए कम्प्यूटर सिस्टम्स को एसी हर समय लगते हैं और आप क्रिएटिव लोगों के विभाग में हो…इस तरह के लोग अपने कंफर्ट में ही बेहतर काम कर पाएंगे। एक और हुक्मनामा कि कोई एक दिन एक मिनट भी लेट हुआ तो उस महीने कि तनख्वाह में एक दिन की तनख्वाह कम मिलेगी…। और 10 दिन भी लेट आए तो एक ही दिन का वेतन कटेगा। लिहाजा, अब लोग महीने भर ही लेट आते हैं। कुल मिलाकर ..नादां का खेलना खेल का सत्यानाश…

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फर्जी शिकायत कर आईएएस को फंसाता था अफसर
प्रताड़ना को लेकर बनाए गए तीन कानूनों का सदुपयोग ज्यादा हुआ या दुरूपयोग। ये मतांतर से विवाद का विषय है…ये तीन कानून हैं: दहेज प्रताड़ना,अजा-अजजा उत्पीड़न और महिला उत्पीड़न। लेकिन पिछले दिनों खेती-किसानी से जुड़े एक बोर्ड में महिला उत्पीड़न के कानून का दुरुपयोग तीसरे व्यक्ति ने यहां के मुखिया परेशान करने के लिए कर लिया। हुआ कुछ ऐसा नए साहब की पदस्थापना हुई। वे काम के मामले में बहुत सख्त मिजाजी हैं। उनकी सख्ती मातहतों को भारी पड़ रही थी। अचानक ही मार्केट में साहब के विरुद्ध एक महिला अधिकारी के शोषण वाले आरोप का पत्र आ गया। साहब परेशान…उन्होंने तहकीकात की तो पता चला वो महिला अधिकारी भी परेशान। क्योंकि वो फर्जी शिकायत थी। महिला अधिकारी की शादी होनी थी। यानी दोनों बदनामी से परेशान थे। साहब ने साहसपूर्वक प्रकरण अनऑफिसियल क्राइम ब्रांच को भेज दिया। जब क्राइम ब्रांच ने तहकीकात की तो विभाग का चंबल का एक वरिष्ठ अफसर महिला के नाम से फर्जी शिकायत करने वाला निकला। खास बात यह कि वह महिला का रिश्तेदार भी था, लेकिन अपनी खुन्नस निकालने के लिए उसी के नाम से फर्जी शिकायत कर दी। हम तो यही कहेंगे जमाना खराब है। समझदार पुरुष अधिकारियों को चाहिए कि महिला कर्मचारियों को चैम्बर में बुलाएं तो भृत्य को जरूर खड़ा रखें या दरवाजा खुला रखें …और भी बेहतर हो कि समक्ष की बजाय ONLINE निर्देश दें।

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कुशासन राज कायम रहेगा…
बड़े साहब चार ईमली को रूतबा छोड़कर बड़े तालाब के किनारे जिस संस्थान में रह रहे हैं, वहां की गड़बड़ियों के बारे में हमने द इनसाइडर्स के पिछले अंक में खुलासा किया था। इस संस्थान में कुशासन इतना ज्यादा हो गया है कि फिनाइल तक नकली खरीद लिया जाता है। काम नीतियां बनाने का है लेकिन यहां के राज्य प्रशासनिक सेवा से आने वाले मुखिया कुख्यात कामों में लिप्त रहते हैं। हाल ही में सरकार ने जीआईएस में अलग-अलग विषयों के जानकारों को भेजकर उद्योग और निवेश के लिए अध्ययन करने के लिए कहा। लेकिन साहब के कान में जूं तक नहीं रेंगी। उन्होंने अब तक विशेषज्ञों को निर्देश जारी नहीं किए हैं। पुराने अनुभव बताते हैं कि ज्यादा हुआ तो साहब खुद ही जीआईएस में शामिल होकर दावत उड़ा लेंगे, लेकिन नीतियां नहीं बनाएंगे।

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आईपीएस ने हनुमान जी के वेश में दिखाए सिक्स पैक
हाल ही में संपन्न हुई आईपीएस मीट में एक अफसर का नाम सबकी जुबा पर चढ़ा रहा है। अफसर की हरकतों पर कई नाराज हुए तो कई ने चुटकियां लीं। मीट में अफसर ने अपने सिक्स पैक एब्स दिखाने के लिए एक परफार्मेंस में हनुमानजी की वेशभूषा धारण की थी। सीनियर्स और महिलाएं उनके कम कपड़ों पर असहज हो गए तो आपत्ति ली गई। यही नहीं, पुलिस अफसर यह भी कह रहे हैं कि इस बार मीट में भोपाल जोन का प्रदर्शन भी इसी अफसर की वजह से बिगड़ा है।

इन्हीं चुटीले किस्सों के साथ इस हफ्ते के लिए लेते हैं आपसे विदा। यदि आपको हमारी सत्यमेव जयते की नई सीरिज पसंद आई है या कोई सुझाव हैं तो काल कीजिए 9926510865 पर। अगले शनिवार दोपहर 12 बजे फिर मिलेंगे नए किस्सों, नए कारनामों और सत्यमेव जयते की अगली कड़ी के साथ हमारे अड्‌डे www.khashkhabar.com पर।

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