द इनसाइडर्स: निवेश के महाकुंभ में रिश्वत की डुबकी, कलेक्टर मैडम हिल स्टेशन से चला रही हैं जिला, मंत्री ने 4100 रुपए की शराब पकड़वाई
द इनसाइडर्स में इस बार पढ़िए महाआयोजन की आड़ में अफसरों के बल्ले-बल्ले के किस्से

कुलदीप सिंगोरिया@9926510865
भोपाल | गतांक से आगे…पिछले अंक में हमने सत्यमेव जयते (IPS) की बात की थी। निष्कर्ष यह था कि समाज और थाने के बीच जो वैचारिक और व्यवहारिक अंतर है, उसे भरने का कार्य IPS और SPS ही करते हैं। वरना, आम जनता के बीच थाने की छवि बेहद खराब बनी रहती है। कहा भी जाता है कि आदमी मजबूरी में ही अस्पताल, श्मशान और थाने जाता है, और वहां कभी प्रसन्न नहीं रहता। खैर, अब आगे की हकीकत बताते हैं। एक मां (UPSC) के दो बेटे हैं— एक “योगः कर्मसु कौशलम” IAS और दूसरा “सत्यमेव जयते” IPS (कुछ अंकों से चूक जाने के कारण)। दोनों की जिंदगी का पहला पड़ाव फील्ड पोस्टिंग का होता है, जो लगभग 10 से 12 वर्षों तक कलेक्टर और SP के रूप में रहता है। मजेदार बात यह है कि इस दौरान छोटा बेटा SP जनता और समाज से जल्दी और बेहतर संवाद स्थापित कर लेता है।
कोई भी कलेक्टरी बिना अच्छे लॉ एंड ऑर्डर के सफल नहीं मानी जाती, इसलिए कलेक्टर साहब को SP को विश्वास में लेना ही पड़ता है। कमजोर कलेक्टर भी दमदार SP के साथ अच्छा समय निकाल लेते हैं, लेकिन इसका उल्टा संभव नहीं। अक्सर जिलों में कलेक्टर के बराबर ही SP साहब का भी नाम होता है, और कहीं-कहीं तो उससे भी ज्यादा। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब पोस्टिंग का स्तर जिलों से ऊपर उठता है।
तब IAS तमाम विभागों (व्यंजनों) का स्वाद लेते हैं, लेकिन छोटे बेटे IPS के जीवन में वर्दीधारी एकरसता बनी रहती है। एक ही मां UPSC की संतान होने के बावजूद IAS को विविधता प्राप्त होती है, जबकि IPS को बौद्धिक के बजाय शारीरिक क्षमताओं वाले कार्य ही मिलते हैं। SAF, नार्को, CBI, SSB, RAW, स्पोर्ट्स, परिवहन आदि—बस इतनी ही विविधता, जबकि IAS के लिए तो आकाश ही सीमा होती है। इस पड़ाव पर फिल्म दीवार के प्रसिद्ध दृश्य जैसी स्थिति बन जाती है—
बड़ा भाई (IAS): “मेरे पास यह विभाग है, वह विभाग है, यहां तक कि तेरा विभाग भी है। तेरे पास क्या है?”
छोटा भाई (IPS): “मेरे पास मां (वर्दी) है, जो तेरे पास नहीं है।”
यहीं से IPS के मन में एक कभी न खत्म होने वाली टीस जन्म लेती है। अगर इतने मोनोटोनस (एकरस) कार्य ही देने थे, तो IPS का चयन SSB/NDA की तरह “शारीरिक + मनोवैज्ञानिक + बौद्धिक” परीक्षा के माध्यम से होना चाहिए था, न कि सिर्फ बौद्धिक परीक्षा के आधार पर। और फिर अफसोस रह जाता है कि काश कुछ नंबर और आ गए होते तो…? IPS अधिकारियों के मन में जीवन भर बनी रहने वाली इस कसक को यह शेर बखूबी बयां करता है—
“तवारीख की नजर ने एक ऐसा भी दौर देखा है…
कि लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सज़ा पाई…”
इस पड़ाव पर सत्यमेव जयते के वरिष्ठ अधिकारी तीन श्रेणियों में बंट जाते हैं। इस पर हम अगले अंक में चर्चा करेंगे…। अब शुरू करते हैं सत्ता के गलियारों की चुटीली गपशप वाला आज का हमारा कॉलम “द इनसाइडर्स”…
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GIS में इंजीनियरों ने मैडम की कमजोरी का उठाया फायदा
प्रदेश में निवेश का महाकुंभ (GIS) सज चुका है। इसकी तैयारियों के लिए सरकार ने पानी की तरह पैसा बहाया, जिससे अफसरों और इंजीनियरों की पौ बारह हो गई। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़ी एक महिला अफसर ने हाल ही में यहां आमद दी। उनके आते ही GIS की तैयारियां तेज हो गईं। लिहाजा, उन्होंने बिना जांच-पड़ताल के कई कार्यों को मंजूरी दे दी। इंजीनियरों ने इस कमजोरी का फायदा उठाते हुए जमकर माल कूटा। हद तो यह हो गई कि ठेकेदार नामक संस्था को बाहर कर खुद ही काम करा लिया। यानी ठेकेदार की बचत भी इंजीनियर की जेब में चली गई। कुछ इंजीनियरों ने फर्जी बिल लगाकर पेमेंट भी निकाल लिए। बता दें कि मैडम के पति को भी हाल ही में राजधानी के पड़ोसी जिले में कलेक्टरी मिली है।
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मंत्री के निर्देश पर मात्र ₹4100 की शराब जब्त
राजधानी से सटे एक जिले में मंत्री जी अपने विरोधियों को निपटाना चाहते थे। लिहाजा, उन्होंने आबकारी विभाग को नाम-पते देकर कार्रवाई के लिए रवाना कर दिया। टीम ने जी-तोड़ मेहनत की, लेकिन परिणाम? सिर्फ ₹4100 की शराब बरामद हो पाई! अब मंत्री जी न निगल पा रहे हैं, न उगल पा रहे हैं। वहीं, इलाके में उनकी किरकिरी हो रही है। मंत्री जी के बारे में बता दें कि पहली बार विधायक बनने पर ही उन्हें यह पद मिल गया था, और इनके बेटे ने राजधानी में खुलेआम पुलिसकर्मी को पीट दिया था।
मंत्री के PS बनते ही खनिज माफिया खुश
एक IAS अफसर हाल ही में डेप्युटेशन पर केंद्रीय मंत्री के PS (प्राइवेट सेक्रेटरी) बने हैं। आदेश जारी होते ही खनिज माफिया सक्रिय हो गया और उनसे गलबहियां करने लगा। अफसर के यहां खनिज से जुड़े लोगों की अचानक भीड़ बढ़ गई। यह तो ठीक है, लेकिन ज्यादा गलबहियां की तो बाजार में कई तरह की चर्चाएं गर्म हो जाएंगी। सावधान रहिएगा, PS साहब!
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पूर्व बड़े साहब सुरक्षित, लेकिन प्यादों पर आफत
द इनसाइडर्स की पांचवीं श्रेणी वाले अधिकारियों में एक और नाम जुड़ गया है। यह पूर्व में बड़े साहब रह चुके हैं। इन्होंने चीफ सेक्रेटरी रहते हुए बड़ी कंपनियों के लिए नीतियों में बदलाव कर जमकर खेल किया। इससे अर्जित कमाई को उन्होंने ऐसे किले में छुपाया कि जांच एजेंसियों को कोई सुराग ही नहीं मिला। परंतु, एजेंसियों ने उनके प्यादों को घेर लिया है। एक प्यादे पर इनकम टैक्स की रेड हुई, जिससे बड़े तालाब के किनारे की जमीनों का बड़ा घोटाला उजागर हुआ। दूसरा प्यादा अब EOW (इकोनॉमिक ऑफेंसेज विंग) की जद में आ गया है। अब EOW ने FIR दर्ज कर ली है और उसी IAS की रिपोर्ट को आधार बनाया है, जिसे पूर्व बड़े साहब ने जमकर प्रताड़ित किया था। दिलचस्प बात यह है कि अब वही IAS कलेक्टर बन चुकी हैं।
कहते हैं न— भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। एक-एक कर सबका हिसाब हो रहा है!
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हिल स्टेशन से जिला चला रही थीं “नर्मदा तट वासिनी”
सत्ता (हित) के आनंद में डूबीं एक जिला हुकुम इतनी मदहोश हो गईं कि वह जिला मुख्यालय छोड़ हिल स्टेशन से प्रशासन चलाने लगीं। पूर्व में भी विवादों में रह चुकीं मैडम CM के करीबी अफसर को हटाने का क्रेडिट लेने के लिए चर्चित रही थीं। हिल स्टेशन छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थीं, लेकिन सीनियर अफसरों के समझाने के बाद अब नर्मदा तट पर लौट आई हैं।