द इनसाइडर्स: बड़े साहब को नजर नहीं आया कुशासन, एसपी साहब ‘ख्याति’ में मस्त, पार्टी के शौकीन सीईओ साहब

द इनसाइडर्स में इस बार पढ़िए अफसरों के पांचवें प्रकार के सबसे भ्रष्टों के कारनामें...

कुलदीप सिंगोरिया@9926510865
भोपाल | योग: कर्मसु कौशलम आखिरी कड़ी का समापन अफसरों की भी आखिरी श्रेणी कनिष्ठा अर्थात कानी अंगुली से करते हैं। इस प्रजाति के अधिकारी अक्सर तर्जनी वाले अधिकारियों वाला स्वांग रचते हैं। अर्थात कट्टर ईमानदारी की एक्टिंग और अंदर से कट्टर बेईमान। ऐसे अधिकारियों को हम नाम देते हैं “रंगा सियार।” बदतमीजी, कठोरता, फाइलों में पेंच फंसाना और अपनी ईमानदारी के किस्से जबरन झिलाना। शेष सभी को भ्रष्ट कहना..। पर ये लोग बड़े जादूगर (चोर) होते हैं। ये प्रचलित तरीकों से पैसा नहीं कमाते..सीधे जनता से जुड़े मसलों में तो कभी नहीं। यदि जनता से कमा भी लिया तो मैनजमेंट पर खर्च कर देते हैं। ये पूरा नया खेल रचते हैं ई टेंडर, टेंडर शर्तों से खिलवाड़, टेक्निकल में फेल-पास करना, मास्टर प्लान, सॉफ्टवेयर/एप डेवलपमेन्ट और पालिसी में परिवर्तन….आदि-आदि। कलम भी नहीं फंसती ..बदनामी भी नहीं होती और रंग चोखा। सौ सुनार की जगह एक लोहार की हो जाती है। वैसे व्यवहार में हाथ की ये कानी अंगुली ज्यादा काम नहीं आती.. सिवाय टॉयलेट के इशारे के…बाकी आप समझदार हैं ही।
इसी के साथ, योग: कर्मसु कौशलम की इस श्रृंखला का हम यहां तात्कालिक समापन करते हैं। वैसे, इस श्रृंखला का उद्देश्य निंदा करने का कदापि नहीं था। हम समालोचना करते हुए अवमूल्यन की कहानी को सामने लाना चाहते थे। नई पौध विशेष रूप से C SAT के बाद के अधिकारियों के लिए। इतिहास हमेशा इसलिए पढ़ाया जाता है कि पूर्व की गलतियों की पुनरावृत्ति न हो। नई पौध के लिए इस अंधी दौड़ में एक चिंतन प्रस्तुत करना था (जो काम उनके वरिष्ठ लगभग छोड़ चुके हैं)। समालोचना है… तो सुझाव भी देना भी हमारा कर्तव्य है। कहने को बहुत कुछ है पर ज्यादा कुछ न कहते हुए सिर्फ दो सुझाव। (विशेष रूप से नई पौध को देना चाहते हैं Although… knowledge speaks..But wisdom listens..):
1) जिस तरह हम हफ्ते में एक दिन का उपवास रखते हैं, कुछ डॉक्टर हफ्ते में एक दिन फ्री मरीज देखते हैं..सम्भव हो तो एक दिन शुद्ध HUMAN BEING बनें, विशेष रूप से “मंगलवार की जन सुनवाई वाले दिन”। लियो टॉलस्टॉय ने कहा था ” If you feel pain, You are alive, but if you feel pain of others you are human”
2) पूर्व जन्मों के कर्मों से, माता पिता के आशीर्वाद से, आपकी इस जन्म की लगन व मेहनत से आप इस लोकतंत्र के राजा हैं। कृपया अपने सार्वजनिक जीवन में शुचिता बरतें। ताकि दूसरे अभिभावक भी अपने बच्चों को भविष्य में कलेक्टर बनाना चाहें। व्यक्तिगत जीवन में जो चाहे करें .. पर्दे के पीछे करें और उसे सोशल मीडिया से दूर रखें। पुराने रजवाड़े भी ऐब करते थे पर खबर बाहर नहीं आने देते थे। और जिस जिस रजवाड़े की खबरें बाहर आईं, वे बर्बाद हो गए (हालांकि इससे ‘द इनसाइडर’ का नुकसान होने की संभावना है..)। अगले हफ्ते सत्यमेव जयते (IPS) पर चर्चा करेंगे..बस आखिरी बात…
अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः।
ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्माऽपि तं नरं न रञ्जयति ।।
(अर्थ : ‘अज्ञ’ को समझाना सम्भव है ‘विशेषज्ञ’ को समझाना भी सम्भव है पर ‘अल्पज्ञ’ जो खुद को विशेषज्ञ माने ,को ब्रम्हा भी नहीं समझा सकते..)
इसी के साथ शुरू करते हैं द इनसाइडर्स का आज का अंक। पढ़िए इस हफ्ते के टॉप टेन चुटीले किस्से मजेदार अंदाज में…

बड़े साहब के सामने ही सुशासन में कुशासन
चार इमली को बहुत लोग जानते हैं वीवीआईपी एरिया है पर इसका इतिहास बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल चार इमली में जहां आजकल पानी की टंकी है, वहां कुछ इमली के पेड़ थे। यह एरिया वीरान हुआ करता था। पुराने जमाने में कुछ चोर अपने चोरी का हिस्सा बंटवारा “इमली” के पेड़ के नीचे करते थे। तो ये इलाका “चोर इमली” कहलाता था। कालांतर में यहां VVIP बंगले बने और बसाहट हुई तो इसका नाम करण “चोर इमली” से “चार ईमली” किया गया। शायद यह बात पुराने चावल होने के कारण “बड़े साहब” को मालूम है, इसलिए उन्होंने अपना बसेरा भीड़ भाड़ से दूर… बड़े तालाब के पास “सुशासन से संबंधित एक संस्थान” में चुना। पर साहब ये क्या? यहां तो दिया तले अंधेरा हो गया। जहां आप रहते हैं उस संस्थान को कभी सीनियर आईएएस माने लोग चलाते थे। अब एक प्रमोटी डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार मिलकर मजे कर रहे हैं। विशेषज्ञों की छुट्टी की जा रही है, हर प्रेजेंटेशन टूर पर ये दोनों ही जायेंगे, रिसर्च वर्क करने में अड़चनें लगाना और खरीदी में जमकर कमीशन खाना। और मौके बे मौके बड़े साहब की जी हुजूरी कर आना। इनकी कारगुजारियों का खुलासा हम अगले अंक में करेंगे और उम्मीद करेंगे कि तब तक बड़े साहब भी इन उठाईगीरों को रिमांड पर ले ही लेंगे। वरना दिया तले अंधेरा कायम तो है ही…।

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एसपी साहब को ज्योति मौर्य वाली ‘ख्याति’ पसंद
यूपी में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ने अपनी पत्नी ज्योति मौर्य को पढ़ाकर पीसीएस अफसर बना दिया। लेकिन पीसीएस अफसर बनते ही पत्नी को पति की औकात अपने से बहुत नीचे नजर आई तो छोड़ दिया। कुछ ऐसा ही एक जिले की सीएसपी मैडम के साथ है। जिस पति ने उन्हें पढ़ाकर एसपीएस बनाया, उसी नायाब तहसीलदार पति को छोड़कर वे एसपी साहब के साथ व्यस्त हैं। पति बुंदेलखंड के एक जिले में पदस्थ है, जबकि पत्नी महाकौशल में। पति कुछ न कहे इसलिए उसके अफसरों से शिकायत कर उसे उलझाए रखती हैं। वहीं, यह भी पता चला है एसपी साहब की ‘ख्याति’ भोपाल तक पहुंच चुकी हैं। लचर कानून व्यवस्था पर विधायक ने हाल ही में इनके खिलाफ मोर्चा खोला था तो महोदय उनके घर मामले को मैनेज करने के लिए पहुंच गए थे।

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पार्टी वाले सीईओ साहब
कहतें हैं जैसा समाज होता है वैसे ही अधिकारी निकलते हैं। अब सोशल मीडिया का जमाना है …खाना खाने से पहले खाने की फोटो अपलोड करना जरूरी है। मतलब पहले तो खाना आते ही टूट पड़ते थे, अब दूसरों को फोटो भेज कर जलाया और दिखाया जाता है कि हम फलां जगह पर फलां चीज खा रहे हैं। ये चलन है …इस बात पर C SAT के बाद के अधिकारी कंट्रोल नहीं कर पाते। बुन्देलखण्ड के महानगर के CEO हैं आये दिन अपने सोशल मीडिया पर पार्टियों के फोटो अपलोड करते रहते हैं। कोई बुजुर्ग आगे आए और समझाए कि गांव की एक पुरानी कहावत है ” धन, स्त्री और भोजन हमेशा पर्दे में रखना चाहिए”। कम से कम लोक सेवक को व्यक्तिगत जीवन का सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।

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जो न माने बुजुर्गों की सीख, ले खपड़िया मांगे भीख
हर घर की कहानी है और हर समय का दस्तूर है ,हर नई पीढ़ी (विशेष रूप से नवयुवकों ) को पुरानी पीढ़ी के फण्डे आउटडेटेड लगते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ C SAT के बाद के एक अधिकारी के साथ…झांसी कनेक्शन से अपेक्षाकृत रूप से जल्दी नगर निगम की कमिश्नरी मिल गई वो भी पैतृक स्थान से मात्र दो घण्टे की दूरी पर। जानने वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने DOs और DONTs का पाठ पढ़ाया। नवयुवक ने गुरु को विश्वास दिलाया कि आपके सिखाए अनुसार ही चलूंगा। पर महाराज के इलाके के बड़े शहरी निकाय की कुर्सी मिलते ही पैंसठियों ने घेर लिया। अब नवयुवक उल्टा चलने लगा। DON’Ts को ही DOs मानने लगा। सबसे पहले अपने प्रतिशत में वृध्दि कर ली। फिर क्या हुआ? पुरजोर बदनामी हुई। और अल्पावधि में ही मलाईदार पोस्ट से विदाई हो गई। किसी ने सही कहा है “जो न माने बुजुर्गों की सीख,ले खपड़िया(खपरैल) मांगे भीख..”। अब देखना ये है कि प्रदेश के सुदूर कोने में बैठकर नवयुवक गुरु की सीखों को याद कर रहा है या फिर पैंसठियों का हिसाब।

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रिटायर होने के बाद भी सेवा कर रहे हैं मंत्री के सहायक
धन आदि का हिसाब किताब रखने वाले मंत्रीजी का नाम यूं तो परिवहन में भी खूब उछला था। और सेंट्रल पार्क में भी। लेकिन यहां पर उनकी चर्चा एक विशेष सहायक की वजह से हो रही है। यह सहायक पिछले साल ही रिटायर हो गया था लेकिन अब भी लेन-देन भी संभाल रहा है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार के साथ होने वाली सबसे अहम मीटिंग में वह केंद्रीय मंत्रियों के नजर आया। ऐसे ही चलता रहा तो कभी शाहनामा भी आ सकता है। लिहाजा, हम तो मंत्री जी को यही कहेंगे किसी भी आपदा से बचने के लिए ओम जय ‘जगदीश’ हरे की आरती रोज कर लिया करें।

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30 टके के कमीशनखोर ऋषि
एक बार बीरबल को दरबारियों के षड्यंत्र के कारण अकबर ने लहर गिनने के काम में लगा दिया था लेकिन बीरबल ने वहां भी दुकानदारी जमा ली थी । बहुत कम लोग जानते हैं कि बीरबल का असली नाम पं महेश दास ब्रम्हभट्ट था और वो मध्यप्रदेश के सीधी से थे। प्रदेश में ऐसे ही एक और बीरबल ऋषि हैं जिन्होंने छोटे से जिले की अपनी पहली कलेक्टरी में इतना तांडव किया, इतने पटाखे फोड़े ..कि फिर उन्हें दूसरी कलेक्टरी नसीब नहीं हुई। एक लूप लाइन से दूसरी लूप लाइन में पहुंच गए। पर बीरबल की तरह इन्होंने भी बुद्धि लगाई और उनके अधिकार क्षेत्र में आठ अंको का छोटा फण्ड है जो जिलों को जारी होता है…तो साधु साहब ने 30 टका fgst (fund grant service टैक्स) लगा दिया। इससे कुछ हद तक एनुअल कोटे की भरपाई तो हो ही जाएगी। फिर भले ही लोग “30 टका के बीरबल ऋषि” के रूप में कुख्यात क्यों न कर दें।

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आम के आम गुठलियों के भी दाम
धार्मिक नगरी में कालों के देवता के मंदिर में गुजरात के श्रद्धालुओं से दर्शन के लिए पैसे लेने का जो प्रपंच हुआ, उसका खमियाजा जिला हुकुम को ट्रांसफर के साथ भुगतने की चर्चा थी। लिस्ट आई पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। शायद देवता की कृपा है। हो भी क्यों न? जैसे श्रावण मास में देवता की सवारी प्रत्येक सोमवार को अवंतिका के हालचाल लेने निकलते हैं .. उसी से प्रेरणा ले कर जिला हुकुम प्रतिदिन नगर भ्रमण करते हैं। नियमित रूप से सुबह 7 बजे मंदिर दर्शन करते हैं। फिर, पैदल डेढ़ घण्टे भ्रमण और फिर 9 बजे ऑफिस में प्रतिदिन 12 साल में आने वाले मेले के कामों की समीक्षा। शायद यही बात जनता के मुंह से डॉक्टर साहब के कानों तक भी पहुंची और जिला हुकुम का नाम सूची में नहीं आया। वैसे यह काम है बड़े चातुर्य का। लोग WALK करने जिम जाते हैं ..या पार्क..पर जिला हुकुम रोज की अपनी मॉर्निंग वॉक भ्रमण के जरिए पूरी कर लेते हैं और काम भी हो जाता है। हम तो कहेंगे आम तो आम गुठलियों के भी दाम…

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केबिनेट के…अमर अकबर एंथोनी…
मंत्रिमंडल में आजकल बहुत उठापटक जारी है। एक तो बड़े महकमों को डॉक्टर साहब ने अपने पास रखा है। दूजा ट्रांसफर का फ्री हैंड नहीं है। तीजा जो खुद को पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री के समकक्ष मान बैठे थे उनका बधियाकरण करके उन्हें एक-एक विभाग तक सीमित कर दिया गया है। कुलमिलाकर कसमसाहट ही कसमसाहट है। अब डॉक्टर साहब से कुड़ने में नुकसान होने की संभावना है तो आजकल सभी मंत्रियों का टारगेट हैं अमर अकबर एंथोनी..। ये तीन मंत्री महाराज के साथ कांग्रेस से आये थे और अलग अलग क्षेत्र के हैं। इन तीनों के काम फटाफट हो रहे हैं वहीं दूसरों के फंस रहे हैं। तो सबको ऐतराज ये है कि हम तो जन्मजात भाजपाई हैं हमारी ज्यादा सुनी जानी चाहिए। अब इन्हें कौन समझाए कि मिलावट वाले जेवर ही शो रूम में रखे जाते हैं शुध्द सोने की किस्मत में तो बंद तिजोरियां (संगठन)ही होती हैं। बहरहाल देखें अब ये कसमसाहट किस मोड़ तक जाती है।

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सबको घी हज़म नहीं होता
कमल हसन की एक साइलेंट फ़िल्म थी “पुष्पक”..इसमें एक शोर शराबे की चाल में रहने वाले हीरो को 5 स्टार में रुकने का मौका मिलता है तो उसे नींद नहीं आती…फिर वो शोर शराबे की रिकॉर्डिंग करके होटल में ले जाकर सुनता है तो नींद आती है। कुछ इस तरह का वाकया हुआ प्रदेश के दक्षिण के ट्राइबल जिले में ..अपनी “संस्कृति” के लिए डॉक्टर साहब से तारीफ पा चुकी पहली बार की महिला जिला हुक़ूम के नवाचार में। 26 जनवरी के बाद जिला हुकुम ने अपने सरकारी आवास पर जिला अधिकारियों को स्वयं के व्यय पर …हाई टी पर आमंत्रित किया (इस निर्देश के साथ कि खबरदार! कोई फ्लॉवर या गिफ्ट भी ले कर तो भगा दिया जाएगा)। हाई टी में सहज सत्कार सभी को मिला। अब दिक्कत तो जिला अधिकारियों को हो गई। सामान्यतया जिला हुकुम से गाली खाने के आदी हो चुके इन अधिकारियों को इतना अच्छा नाश्ता और सत्कार मिला वो उनको पच नहीं रहा है। वो आपस में कह रहे हैं कि… मैडम को ज्यादा दिन नहीं रहना चाहिए वरना हमारी आदत बिगड़ जाएगी…और इनके बाद फिर कोई खड़ूस आ गया तो…मुश्किल हो जाएगी।

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इन्हीं चुटीले किस्सों के साथ इस हफ्ते के लिए लेते हैं आपसे विदा। यदि आपको हमारी योग: कर्मसु कौशलम सीरिज पसंद आई है तो काल कीजिए 9926510865 पर। अगले शनिवार दोपहर 12 बजे फिर मिलेंगे नए किस्सों, नए कारनामों और सत्यमेव जयते की नई सीरिज के साथ हमारे अड्‌डे www.khashkhabar.com पर।

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