कोंटा विधानसभा में नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार का असर 36 मतदान केंद्रों तक सिमटा

सुकमा

विधानसभा चुनाव के लिए कोंटा विधानसभा के कुल 233 मतदान केंद्रों में से अतिसंवेदनशील इलाकों के 36 मतदान केंद्र को सुरक्षा कारणों से नजदीकी थाना व कैंप के आस-पास स्थांतरित किए गए थे। जिसमें नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार का असर दिखा। बस्तर संभाग के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सलियों के आधार क्षेत्र का दायरा 36 मतदान केंद्रों तक सिमट कर रह गया है।

स्थांतरित किए गए 36 मतदान केंद्रों में इस बार औसत 21.57 प्रतिशत मतदान हुआ, इसमें से 7 केंद्र ऐसे थे जिनमें मतदान 1 प्रतिशत से भी कम मतदान हुआ। इनमें उरसांगल में 2 , सुरर्पनगुड़ा में 3, चिमलीपेंटा में 4, बैरपल्ली में 5, मोड़ी में 5, कामाराम में 3 एवं एलमपल्ली में 3 वोट पड़े। 5 फीसदी से कम वोटिंग वाले मतदान केंद्र में, पूवर्ती में 10, मोरपल्ली में 47, गोगुंडा में 23, नागराम में 15, पामलूर-2 में 24, करीगुंडम में 39, पेंटापाड़ में 35 व गच्चनपल्ली मतदान केंद्र में 52 वोट डाले गए। 5 मतदान केंद्र में मतदान का प्रतिशत 5 से ज्यादा और 10 प्रतिशत के भीतर था। इनमें गोंडेराम मतदान केंद्र में 56, बगड़ेगुड़ा में 63, सिंगाराम में 66, दुरमा में 24 और मेहता मतदान केंद्र में 28 मतदाताओं ने अपने अधिकार का प्रयोग किया।

नक्सलियों के बड़े लीडर और नंबर कंपनी 1 के कमाडंर माने जाने वाले नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती में भी मतदान हुआ है। नक्सलियों की ओर से चुनाव बहिष्कार का असर नक्सली कमांडर के गांव में तो दिखा, फिर भी यहां गिनती के लोगों ने ही मतदान किया। पूवर्ती गांव में कुल 649 मतदाता हैं, इनमें 353 पुरूष और 296 महिला मतदाता है। चूंकि नक्सलियों के नेता इसी गांव के रहने वाला है, ऐसे में यहां चुनाव बहिष्कार का खासा असर देखने को मिला। फिर भी गांव के 5 पुरूषों और 5 महिलाओं ने मतदान किया, यहां मतदान का प्रतिशत 1.57 रहा। कोंटा विधानसभा के कुल 233 मतदान केंद्र में इस बार मतदान का प्रतिशत वर्ष 2018 की तुलना में 8 प्रतिशत ज्यादा मतदान हुआ। निर्वाचन आयोग से मिले आकड़ों के मुताबिक इस बार 63.14 प्रतिशत मतदान हुआ, वर्ष 2018 में मतदान का प्रतिशत 55.30 था।

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