हाथियों से होने वाले नुकसान पर लगेगा ब्रेक, गज रक्षक ऐप से होगा रियल टाइम ट्रैकिंग

उमरिया
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बाघों का गढ़ तो है ही, लेकिन पिछले कुछ सालों से ये हाथियों का भी गढ़ बन चुका है. हाथियों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है. हाथियों ने बांधवगढ़ को अपना स्थाई अड्डा बना लिया है. लगभग पूरे शहडोल संभाग में हाथियों की मूवमेंट देखने को मिलती है. साल भर वे धमाचौकड़ी मचाते नजर आते हैं. शहडोल, अनूपपुर, उमरिया सभी जिले हाथियों से प्रभावित हैं.
हाथियों के मूवमेंट के दौरान अक्सर ही हाथी-मानव द्वंद की स्थिति बनती है. ऐसे में हाथियों के हर एक मूवमेंट के बारे में जानकारी के लिए अब इनकी निगरानी भी हाईटेक होने जा रही है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इसकी तैयारी भी शुरू हो चुकी है, गज रक्षक अब हाथियों से करेगा रक्षा. इस पहल से हाथी-मानव संघर्ष को रोकने में मदद मिलेगी.
क्या है गज रक्षक ऐप?
गज रक्षक ऐप, जैसा नाम वैसा काम. हाथियों से रक्षा के लिए ये ऐप तैयार किया गया है. वैसे तो इस ऐप की लॉन्चिंग विश्व बाघ दिवस 29 अगस्त को भोपाल में मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा की गई थी. इस मोबाइल एप्लिकेशन को वन विभाग मध्य प्रदेश, वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट और कल्पवैग कंपनी के सहयोग से तैयार किया गया है. बांधवगढ़ में 26 से 29 सितंबर तक इस ऐप की ट्रेनिंग वनकर्मियों को दी जा चुकी है.
गज रक्षक ऐप के फायदे
गज रक्षक ऐप के फायदों के बारे में बताते हुए बांधवगढ़ के डायरेक्टर अनुपम सहाय ने कहा, "इस ऐप के माध्यम से हाथियों की रियल टाइम लोकेशन की जानकारी लगेगी. उनके मूवमेंट और व्यवहार की जानकारी भी ये ऐप उपलब्ध कराएगा. गांव के नजदीक हाथियों के आते ही इसके माध्यम से समय रहते अलर्ट मिल जाएगा, जिससे हाथी मानव द्वंद को रोकने में सहायता मिलेगी. इससे हाथियों की मॉनिटरिंग आसान होगी."
मूवमेंट ट्रैक किया जा सकेगा
खेतों में लगी फसल की जानकारी से लेकर हाथी जिन जगहों पर लगातार मूवमेंट करते हैं. उनके रोजमर्रा के स्थलों और विद्युत लाइन की जानकारी इकट्ठा करके रियल टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी. जिससे हाथी-मानव द्वंद को कम किया जा सकेगा. इसके अलावा हाथियों की करेंट लोकेशन मिलते ही स्थानीय जनसमुदाय को व्हाट्सएप के माध्यम से सूचना देकर उन्हें सतर्क किया जा सकेगा.
हाथियों के लिए हाईटेक ऐप
गज रक्षक एक हाईटेक ऐप है, जिससे हाथियों की निगरानी डिजिटल तरीके से की जा सकेगी. इसमें एसएमएस अलर्ट, वॉइस कॉल, पुश नोटिफिकेशन, सायरन, और ऑफलाइन मोड जैसी सुविधाएं भी दी गई है, जो हाथियों की निगरानी में बहुत कारगर साबित हो सकती हैं. ऐप से हाथियों पर निगरानी रखने वाला व्यक्ति उनकी यथास्थिति के बारे में जानकारी साझा करेगा. साथ ही हाथियों की फोटो खींचकर और करंट लोकेशन ऐप पर अपलोड करेगा. साथ ही बताएगा कि हाथी अकेला विचरण कर रहा है या फिर झुंड में है. यह जानकारी हाथियों की करंट लोकेशन से 10 किलोमीटर के दायरे में ऐप यूजर्स को मिल जाएगी. इससे हाथी-मानव द्वंद को कम करने और हाथियों के संरक्षण में सहयोग मिलेगा.
बांधवगढ़ सहित अन्य जिलों के वन स्टाफ को ट्रेनिंग
गज रक्षक ऐप को लेकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ट्रेनिंग जारी है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के आसपास के कई जिलों के कर्मियों को ट्रेंड किया जा रहा है. खासकर उन इलाके के वनकर्मियों को जहां हाथियों का मूवमेंट अधिक रहता है. जैसे बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, संजय दुबरी टाइगर रिजर्व, नॉर्थ शहडोल, साउथ शहडोल, अनुपपुर, सीधी, सिंगरौली, सतना, उमरिया, डिंडोरी के वन कर्मचारियों को इस ऐप की ट्रेनिंग दी जाएगी.
बांधवगढ़ में कितने हाथी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वर्तमान में काफी संख्या में हाथी है. वैसे तो यहां पहले भी हाथी आते थे, लेकिन अब हाथियों ने इसे अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है. साल 2018 में 40 हाथियों का एक झुंड आया था फिर वो वापस नहीं गया. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में स्थायी रूप से रहने लगा है. इन हाथियों की संख्या अब लगभग 60 से 65 तक पहुंच गई है, जो लगातार बढ़ती ही जा रही है. फसलों के समय में ये हाथी ग्रामीण इलाकों में भी कभी-कभी मूव करते हैं.
हाथियों को बांधवगढ़ क्यों पसंद आया
एक्सपर्ट बताते हैं "हाथी या फिर कोई भी वन्य प्राणी हो, वह वहीं रुकेगा जहां उसे पीने के लिए पर्याप्त पानी, खाने को भोजन मिले और रहने को सुरक्षित आवास मिले. जहां ये सुविधाएं मौजूद होती है, जंगली जानवर अपना बसेरा बना लेते हैं. हाथियों के लिए ये तीनों ही चीजें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में आसानी से मिल रही है. इसलिए हाथियों के लिए यह जगह फेवरेट हो गई है. इसके अलावा वे वहां सुरक्षित भी महसूस करते हैं. "
हाथियों का गढ़ बना शहडोल
शहडोल संभाग जो आदिवासी बाहुल्य है. इसमें शहडोल, अनूपपुर, उमरिया सहित तीन जिले आते हैं. यहां जंगल बहुत घना है और प्राकृतिक संपदा से भरपूर है. यही वजह है कि इस इलाके में तरह-तरह के वन्य प्राणी और दुर्लभ पक्षी रहते हैं. फिलहाल ये तीनों जिले हाथियों के गढ़ बन चुके हैं. यहां साल भर हाथियों का मूवमेंट रहता है. ये जिले छत्तीसगढ़ राज्य से सटे हुए हैं. इस कारण वहां से भी हाथियों की मूवमेंट होती रहती है.