प्राध्यापकों के व्यक्तित्व एवं आचरण का अनुसरण करते हैं विद्यार्थी: उच्च शिक्षा मंत्री परमार

समाज एवं राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी नागरिक निर्माण ही मिशन ‘कर्मयोगी बने’ का संकल्प : उच्च शिक्षा मंत्री परमार

प्राध्यापकों के व्यक्तित्व एवं आचरण का अनुसरण करते हैं विद्यार्थी

प्राध्यापकों के उत्तरदायित्व की सुनिश्चितता और विद्यार्थियों में रचनात्मकता एवं विविधता विकसित करने को लेकर हुआ विस्तृत मंथन

उच्च शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रालय में मिशन ‘कर्मयोगी बने’ की "सर्वोच्च परामर्शदायी समिति" की बैठक हुई

भोपाल 

शिक्षा का मूल ध्येय, समाज एवं राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी नागरिक निर्माण करना है। हमारा विश्‍वास है कि मिशन 'कर्मयोगी बनें' के माध्‍यम से, यह संकल्‍प हम अवश्‍य पूर्ण कर पाएंगे। प्राध्यापकों के मन में अपने दायित्‍व को लेकर संवेदनशीलता का भाव विकसित करना आवश्‍यक है। उनके समक्ष समाज एवं राष्ट्र के उत्थान को लेकर संकल्पित लक्ष्य की सुनिश्चितता आवश्यक है तभी वे विद्यार्थियों के रूप में जिम्‍मेदार नागरिक तैयार कर पाएंगे। 'कर्मयोगी बनें' की अवधारणा न केवल प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों तक बल्कि धरातल पर समाजव्यापी बने, ऐसे प्रयास करने होंगें। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने बुधवार को कही। मंत्री परमार उच्च शिक्षा अंतर्गत ‘कर्मयोगी बने’ की "सर्वोच्‍च परामर्शदायी समिति" की मंत्रालय में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे।

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत मिशन "कर्मयोगी बनें" के प्रभावी क्रियान्वयन के परिप्रेक्ष्य में देश के लब्धप्रतिष्ठ विद्वतजनों की वर्चुअल उपस्थिति में "सर्वोच्च परामर्शदायी समिति" की बैठक लेकर विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की। मंत्री परमार ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा व्‍यवस्‍था में गुणवत्ता सुधार के लिए हम दृढ़ संकल्पित है। इसी परिप्रेक्ष्य में मूल्‍यांकन प्रणाली में सुधार एवं पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल मूल्‍यांकन की व्‍यवस्‍था लागू करने का प्रयास कर रहे हैं। परमार ने बताया कि प्रदेश के समस्त सार्वजनिक विश्वविद्यालय, मूल्यांकन में क्रेडिट के साथ जोड़कर भारतीय भाषाओं को सिखाने की कार्य योजना पर भी कार्य कर रहे हैं, इससे भाषाई एकात्मता का संदेश प्रदेश से देश भर में गुंजायमान होगा।

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने उच्च शिक्षा में प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर "कर्मयोगी बनें" के विज़न (दृष्टि) को रेखांकित किया। मंत्री परमार ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता एवं जवाबदेहिता के लिए, राज्य सरकार संकल्पित है। उच्च शैक्षणिक संस्थानों के परिवेश को गुणवत्तापूर्ण, सर्वसाधन सम्पन्न, विद्यार्थी अनुकूल, उत्कृष्ट एवं सकारात्मक बनाने के प्रयास लगातार जारी हैं। मंत्री परमार ने कहा कि विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए सहानुभूति एवं सख्ती दोनों के समन्वय के साथ, विद्यार्थी केंद्रित कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है। मंत्री परमार ने कहा कि प्राध्यापक के प्रति विद्यार्थी का लगाव बने और विद्यार्थी, प्राध्यापक के आचरण एवं व्यक्तित्व का अनुसरण करें, इसके लिए प्राध्यापकों को अपनी जवाबदेहिता स्वतः भी सुनिश्चित करनी होगी। प्राध्यापकों के लिए भी सहानुभूति एवं सख्ती दोनों के समन्वय के साथ, शिक्षक प्रशिक्षण के लिए कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है।

मंत्री परमार ने वर्चुअल रूप से जुडे समिति के सभी सदस्‍यों को आश्वस्त किया कि समिति द्वारा सुझाए गए विषयों पर विभाग द्वारा गंभीरतापूर्वक कार्य योजना बनाकर क्रियान्वयन किया जाएगा एवं समिति को एक रिपोर्ट प्रस्तुतीकरण के माध्‍यम से इस बारे में अवगत कराया जाएगा। मंत्री परमार ने अधिकारियों को बैठक में प्राप्त समस्त सुझावों एवं परामर्शों पर क्रियान्वयन सुनिश्चित कर, क्रियान्वयन का प्रेजेटेंशन तैयार करने के निर्देश भी दिए।

अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन ने कहा कि विद्यार्थियों की उपस्थिति को बढाने के लिए निरन्‍तर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्‍होंने बताया कि विभाग के लगातार प्रयासों के कारण प्रदेश के लगभग 4 लाख विद्यार्थी स्‍वयं पोर्टल पर पंजीयन कर चुके हैं। एसीएस राजन ने बताया कि समिति के सुझाव को देखते हुए विभाग, शिक्षकों को सम्‍मानित एवं पुरस्कृत करने की योजना बना रहा है।

आयुक्‍त उच्‍च शिक्षा प्रबल सिपाहा ने कहा कि विभाग निरन्‍तर मूल्‍यपरक एवं गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयासरत है।

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (NAAC) बेंगलुरू के अध्यक्ष प्रो. डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए तीन सप्‍ताह का विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया गया है। 9 मॉडयूल वाले इस प्रोग्राम में विद्यार्थियों को मानव मूल्‍यों की शिक्षा दी जाएगी, इसके लिए पहले शिक्षकों को ट्रेनिंग देनी होगी।

भारत सरकार अंतर्गत मिशन कर्मयोग (क्षमता निर्माण आयोग) के सदस्य (मानव संसाधन) प्रो. आर. बालासुब्रमण्यम ने कहा कि "राष्‍ट्रीय जनसेवा कर्मयोगी" कार्यक्रम के माध्‍यम से, प्रदेश के सभी शिक्ष‍कों को ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के उपाध्यक्ष प्रो. दीपक कुमार वास्तव ने शिक्षकों के लिए तैयार केपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम को ओरियंटेशन प्रोग्राम में ही शामिल करने का सुझाव दिया। प्रो. वास्तव ने प्राध्यापकों की क्षमता को कार्यात्मक एवं व्यवहारिक क्षमता के आधार पर, वर्गीकृत कर क्षमता निर्माण पर क्रियान्वयन का सुझाव दिया।

बैठक में, पूर्व बैठक में प्राप्त सुझावों पर हो रहे क्रियान्वयन की अद्यतन प्रगति की समीक्षा की गई। देश के ख्यातिलब्ध शिक्षाविदों ने वर्चुअल माध्यम से जुड़कर महत्वपूर्ण, प्रभावी एवं प्रासंगिक परामर्श दिए। प्राध्यापकों के उत्तरदायित्व की सुनिश्चितता, उनके प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन को लेकर व्यापक विचार-मंथन हुआ। विद्यार्थियों में रचनात्मकता एवं विविधता विकसित करने, संस्थान में उपस्थिति एवं उनके समग्र विकास से जुड़े विविध विषयों पर सारगर्भित विमर्श हुआ।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button