सेमीकंडक्टर विवाद: इस देश ने लिया चीन की बड़ी चिप कंपनी का नियंत्रण

एम्स्टर्डम

वैश्विक व्यापार युद्ध के बीच नीदरलैंड्स सरकार ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए चीन की विंगटेक टेक्नोलॉजी के स्वामित्व वाली डच चिपमेकर कंपनी नेक्स्पेरिया का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। यह कदम डच आर्थिक मामलों के मंत्रालय द्वारा “गुड्स अवेलेबिलिटी एक्ट के तहत उठाया गया है, ताकि देश में आवश्यक चिप्स की सप्लाई और तकनीकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि नेक्स्पेरिया में “गंभीर प्रशासनिक खामियों के हालिया और तात्कालिक संकेत” मिले हैं, जो नीदरलैंड्स और यूरोप की तकनीकी क्षमताओं के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। बयान में कहा गया कि “इन क्षमताओं का नुकसान डच और यूरोपीय आर्थिक सुरक्षा के लिए जोखिम साबित हो सकता है,” विशेष रूप से ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए, जो चिप्स पर भारी निर्भर करता है।

चिप उद्योग में रणनीतिक हस्तक्षेप
नीजमेगन में मुख्यालय वाली नेक्स्पेरिया दुनिया की प्रमुख चिप निर्माता कंपनियों में से एक है, जो मुख्यतः सरल कंप्यूटर चिप्स (जैसे डायोड और ट्रांजिस्टर) बनाती है। साथ ही यह कंपनी “वाइड गैप” सेमीकंडक्टर तकनीक पर भी काम करती है, जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, चार्जिंग सिस्टम्स और एआई डेटा सेंटर्स में होता है।

नीदरलैंड्स सरकार का कहना है कि यह हस्तक्षेप “अत्यंत असाधारण” स्थिति में किया गया है, ताकि आपातकालीन परिस्थितियों में चिप आपूर्ति में किसी तरह की बाधा न आए। यह निर्णय सितंबर में लागू किया गया था, लेकिन इसकी औपचारिक घोषणा अब की गई है।

अमेरिका-चीन तनाव की पृष्ठभूमि में निर्णय
यह कदम ऐसे समय आया है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के निर्यात पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी।

हालांकि डच आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने अमेरिकी दबाव से इनकार करते हुए इसे “सिर्फ एक संयोग” बताया, लेकिन यह निर्णय उस व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है जिसमें अमेरिका और नीदरलैंड्स दोनों चिप उद्योग पर निर्यात नियंत्रण को लेकर करीबी सहयोग कर रहे हैं।

उधर, बीजिंग ने हाल ही में रेयर अर्थ एलिमेंट्स और मैग्नेट्स के निर्यात पर नियंत्रण लगाया है, जो यूरोप के ऑटोमोटिव सेक्टर के लिए बेहद अहम हैं। इससे यूरोप-चीन व्यापारिक रिश्तों में और तनाव आ सकता है।

विंगटेक पहले से अमेरिकी निगरानी सूची में
गौरतलब है कि विंगटेक टेक्नोलॉजी को दिसंबर 2024 में अमेरिका ने अपनी “एंटिटी लिस्ट” में शामिल किया था। आरोप था कि कंपनी “संवेदनशील सेमीकंडक्टर निर्माण क्षमताओं वाली संस्थाओं को हासिल करने के चीन सरकार के प्रयासों में सहायता” कर रही है।

विंगटेक की तीखी प्रतिक्रिया
इस फैसले पर विंगटेक ने नाराजगी जताई है। कंपनी ने अपने अब हटाए गए वीचैट पोस्ट में डच सरकार के कदम को “भू-राजनीतिक पक्षपात से प्रेरित अत्यधिक हस्तक्षेप” बताया। विंगटेक ने कहा कि उसने 2019 में नेक्स्पेरिया के अधिग्रहण के बाद से सभी स्थानीय कानूनों का पालन किया है और उसके यूरोप में हजारों कर्मचारी कार्यरत हैं- जिनमें नीदरलैंड्स, जर्मनी और ब्रिटेन शामिल हैं।

नेक्स्पेरिया की प्रतिक्रिया और प्रभाव
नेक्स्पेरिया के प्रवक्ता ने CNBC से कहा कि कंपनी सभी नियमों का पालन कर रही है और नियमित रूप से अधिकारियों के संपर्क में है, लेकिन उन्होंने आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार किया। इस घोषणा के बाद शंघाई स्टॉक एक्सचेंज में विंगटेक के शेयर 10% की गिरावट के साथ अपने दैनिक सीमा तक लुढ़क गए। कंपनी की एक कॉर्पोरेट फाइलिंग (13 अक्टूबर) के अनुसार, अब नेक्स्पेरिया अस्थायी बाहरी प्रबंधन के अधीन है, जिसमें एक वर्ष तक कंपनी की परिसंपत्तियों, व्यवसाय या कर्मचारियों में बदलाव की अनुमति नहीं होगी।

रिपोर्ट्स के अनुसार, विंगटेक के चेयरमैन झांग शुएझेंग को नेक्स्पेरिया में उनकी सभी भूमिकाओं से निलंबित कर दिया गया है, हालांकि कंपनी के दैनिक कार्य सामान्य रूप से जारी रहेंगे।

बढ़ते यूरोप-चीन व्यापार तनाव
इससे पहले 2023 में नीदरलैंड्स सरकार ने नेक्स्पेरिया द्वारा चिप स्टार्टअप “Nowi” के अधिग्रहण की जांच की थी, जिसे बाद में मंजूरी दे दी गई थी। लेकिन अब यह नया कदम चीन-नीदरलैंड्स व्यापारिक रिश्तों को और अधिक तनावपूर्ण बना सकता है, खासकर उस पृष्ठभूमि में जब डच कंपनी ASML को चीन को उन्नत चिप-मेकिंग उपकरणों के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश दिया गया था। जैसे-जैसे वैश्विक व्यापार युद्ध और तकनीकी प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, नीदरलैंड्स सरकार का यह अभूतपूर्व कदम इस बात को रेखांकित करता है कि सेमीकंडक्टर अब केवल एक औद्योगिक उत्पाद नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा का मूल स्तंभ बन चुके हैं।

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