संजय राउत ने कहा लोग अराजक थे, ऐसा व्यवहार कर रहे थे कि आपातकाल लगाना जरूरी हो गया था : शहजाद पूनावाला

नई दिल्ली
भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत के आपातकाल को लेकर दिए गए बयान की कड़ी आलोचना करते हुए इसे आपातकालीन मानसिकता का प्रतीक करार दिया है। शहजाद पूनावाला ने कहा कि उद्धव सेना और इंडी गठबंधन के बड़े नेता संजय राउत कांग्रेस नेता भूपेश बघेल की भाषा बोलकर आपातकाल को जायज ठहरा रहे हैं। संजय राउत यह कह रहे हैं कि लोग अराजक थे, ऐसा व्यवहार कर रहे थे कि आपातकाल लगाना जरूरी हो गया था।

अगर कोई और नेता पीएम होते तो वो भी आपातकाल लगाते। वे आपातकाल का दोष लोगों पर डाल रहे हैं। भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता ने सपा, राजद और डीएमके सहित अन्य कई विपक्षी दलों से सवाल पूछा कि क्या आपातकाल में जेल में ठूंसे जाने वाले डेढ़ लाख लोग अराजक थे ? क्या जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, मुलायम सिंह यादव, लालू यादव जिन्होंने अपनी बेटी का नाम मीसा रखा, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और डीएमके के बड़े नेता अराजक थे।

क्या ये दल संजय राउत के बयान से सहमत है ? उन्होंने कहा कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन का लगातार यह कहना है कि संविधान हत्या दिवस नहीं मनाना चाहिए क्योंकि कांग्रेस ने तो अपनी गलती को स्वीकार कर लिया था, माफी मांग चुके हैं और उसके बाद चुनाव भी जीते हैं। लेकिन ये बयान इनकी आपातकालीन मानसिकता को दिखा रहा है, ये आपातकाल को जायज ठहरा रहे हैं। इसलिए 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना जरूरी है। उन्हें लोगों को बताना चाहिए कि संविधान का असली रक्षक कौन है और संविधान के हत्यारे कौन हैं?

जदयू ने संविधान हत्या दिवस मनाए जाने के अमित शाह के फैसले का किया स्वागत

 जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के महासचिव केसी त्यागी ने 1975 के आपातकाल की याद काे संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाए जाने के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फैसले का स्वागत किया है। उधर कांग्रेस ने इस पर पलटवार किया है।

 यहां मीडिया से बातचीत में जदयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा, 1975 के आपातकाल की याद काे संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाए जाने के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फैसले का जदयू स्वागत करता है। उन्हाेंने कहा कि आपातकाल काे वही लाेग भूल गए हैं, जिन्हाेंने आपातकाल लगाया था।

उन्हाेंने आगे कहा कि 25 जून, 1975 भारत के इतिहास में एक काला दिन है और हमें खुशी है कि इसे संविधान हत्या दिवस के रूप में याद किया जा रहा है। जब जयराम रमेश व उनकी पार्टी जश्न मना रही थी, तब हम सभी सलाखों के पीछे थे और उन्हें दर्द के बारे में पता नहीं है। जिन लाेगाें ने आपातकाल काे झेला है, उन्हें वे बुरे दिन आज भी याद हैं।

 

 

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