मंत्रालय में बायोमैट्रिक मशीन की दरकार…

 भोपाल

जो लोग दूसरों में गलतियां ढूंढते है वह लोग अपने में कोई खामी नहीं खोज पाते हैं। यह बात इंसानों पर ही नहीं बल्कि शासकीय संस्थाओं पर भी पूरी तरह से लागू होती है। जीं हां …हम बात कर रहे है राजधानी स्थित वल्लभ भवन की।

जहां से समूचा प्रदेश संचालित होता है। वहीं पर ही नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती है। आज प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा सरकारी कार्यालय हो जहां पर बायोमैट्रिक मशीन न लगी हो। लेकिन प्रदेश का वल्लभ भवन जहां सीएम से लेकर सीएस तक का कार्यालय है । लेकिन यहां पर बायोमैट्रिक मशीन का नहीं होना अपने आप में चौंकाने वाला है। यहां बायोमैट्रिक मशीन नहीं होने से सबसे ज्यादा अगर किसी के मौज हैं तो वह है अधिकारियों और कर्मचारियों की। मशीन नहीं होने से अधिकारियों और कर्मचारियों के आने – जाने का कोई तय समय नहीं है। सभी लोग अपने मन के मालिक है। मंत्रालय से जुड़े कर्मचारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दस साल पहले यहां मशीन लगाई गयी थी। लेकिन कुछ समय के बाद कर्मचारियों ने ही मशीन में रेत डालकर मशीन खराब कर दी।

नयी सरकार से लोगों में बंधी उम्मीदें
प्रदेश में नयी सरकार का गठन होने में भले ही एक पखवाड़े से कम का समय बचा हो। लेकिन नयी सरकार के गठन होने के बाद  यहां पर सेवा देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों में नयी सरकार को लेकर बहुत सी उम्मीदे जुड़ी हुई है। कर्मचारियों की माने तो अगर प्रदेश में नयी सत्ताधारी पार्टी अगर सरकार में आती है तो वल्लभ भवन में चल रहे नियमों में काफी फेरबदल देखने को मिलेगा।  वहीं वल्लभ भवन के दूसरे गलियारें में यह भी चर्चा जोरों पर है कि अगर पुरानी सरकार दुबारा सत्ता में आती है जैसा पहले सब कुछ कूल ढंग से चल रहा है वैसा ही आगे भी जारी रहेगा।

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