राजस्थान-अजमेर रेप कांड के 6 दोषियों को आजीवन कारावास और 5-5 लाख का जुर्माना

अजमेर.

देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल और राजस्थान के अजमेर के ब्लैकमेल कांड के बाकी बचे 7 में से 6 आरोपियों (नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहिल गणी, सैयद जमीर हुसैन) को कोर्ट ने दोषी माना है। अजमेर की विशेष न्यायालय ने सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सभी पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

पोक्सो विशेष कोर्ट संख्या 2 ने यह फैसला सुनाया है। इससे पहले कोर्ट ने सभी 6 लोगों को दोषी माना था। साल 1992 में 100 से ज्यादा कॉलेज गर्ल्स के साथ गैंगरेप और उनकी न्यूड फोटो सर्कुलेट होने पर तहलका मच गया था। मामले में 18 आरोपी थे। 9 को सजा हुई थी। इससे पहले 6 अगस्त को फैसला आना था, लेकिन मामले की सुनवाई 20 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। अभियोजन विभाग में उपनिदेशक विक्रम सिंह राठौड़ ने बताया कि दरगाह क्षेत्र निवासी नफीस चिश्ती, सलीम चिश्ती, सौहेल गनी, जमील चिश्ती और मुंबई निवासी इकबाल भाटी और इलाहाबाद निवासी नसीम उर्फ टार्जन के विरुद्ध पॉक्सो प्रकरण की विशिष्ट न्यायालय संख्या 2 में चल रहे मुकदमे में फैसला आया है। 1992 में अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड के मामले में अनवर चिश्ती, फारूख चिश्ती, परवेज अंसारी, मोइनुल्ला उर्फ पुत्तन इलाहाबादी, इशरत उर्फ लल्ली, कैलाश सोनी, महेश लुधानी, शमशु चिश्ती उर्फ मेंराडोना और नसीम उर्फ टार्जन को गिरफ्तार किया था।
जमानत मिलने के बाद टार्जन फरार हो गया था। इसके बाद इलाहाबाद के एक प्रकरण में गिरफ्तार होने पर उसके खिलाफ अलग से सुनवाई हुई थी। जबकि शेष आरोपियों को वर्ष 1998 में सेशन न्यायालय से उम्र कैद की सजा हो गई थी। जिसकी अपील करने पर हाईकोर्ट ने चार आरोपियों की सजा घटकर 10 वर्ष कर दी थी। जबकि अन्य चार आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था। इस आदेश की सुप्रीम कोर्ट में अपील होने पर अदालत ने आरोपियों की भुगती हुई सजा छोड़ने का निर्णय लिया था। अजमेर में यूथ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष फारुख चिश्ती, उसका साथी नफीस चिश्ती और उसके गुर्गे स्कूल और कॉलेज की लड़कियों को शिकार बनाते थे। फार्महाउस और रेस्टोरेंट में पार्टियों के नाम पर छात्राओं को बुलाकर उन्हें नशीला पदार्थ पिलाकर सामूहिक दुराचार किया जाता और उनके अश्लील फोटो खींच लिए जाते। इन अश्लील फोटो के आधार पर लड़कियों से अन्य लड़कियों को लाने के लिए मजबूर किया जाता। यानी एक शिकार से दूसरे शिकार को फंसाया जाता था। प्रकरण दर्ज होने से पहले कुछ लड़कियां हिम्मत कर बयान देने पुलिस के पास भी गई थी, लेकिन पुलिस ने उन पीड़िताओं के सिर्फ बयान लेकर चलता कर दिया था। बाद में उन पीड़िताओं को धमकियां मिलती रहीं। लिहाजा वे दोबारा पुलिस के सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं। इसके बाद लोक लज्जा के डर से कोई सामने आकर पुलिस में शिकायत करने को तैयार नहीं थी। बाद में 18 पीड़िताओं ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में बयान दिए। सन 1992 में अजमेर के एक कलर लैब से कुछ अश्लील फोटो लीक हो गए थे और शहर में चर्चित हो गए। तब पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अश्लील फोटो की जांच की। तब इस घिनौने अपराध और षड्यंत्र का भांडा फूट गया। अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ। आरोपियों की गुंडागर्दी और ऊंचे ताल्लुकात की वजह से प्रकरण दर्ज होने के बाद भी किसी भी लड़की ने सामने आने की हिम्मत नहीं दिखाई। तब पुलिस ने फोटो के आधार पर पीड़िताओं को खोजना शुरू किया।

दुष्कर्म और ब्लैकमेल का शिकार हुई कुछ लड़कियों ने आत्महत्या कर ली। वहीं कुछ ने चुप्पी साधते हुए शहर ही छोड़ दियाय़ पुलिस ने मशक्कत करके कुछ पीड़िताओं के बयान दर्ज करवाए और मामले में चार्जशीट कोर्ट में पेश की। अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड उस दौर में सामने आया, जब अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर देशभर में सियासत गर्म थी। साम्प्रदायिक माहौल बना हुआ था। तब दंगे की आशंका के मद्देनजर भी अजमेर पुलिस ने मामले को लंबित रखा। तत्कालीन समय भैरू सिंह शेखावत सरकार ने मामले की जांच सीआईडी सीबी को सौंपने का निर्णय लिया। तब इस मामले में पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button