10 हजार का ग्रेड-पे न मिलने से नाराज प्रोफेसर भाजपा के खिलाफ करेंगे प्रचार

भोपाल
 शिवराज सरकार में लंबे समय से अपने दस हजार के ग्रेड-पे (एजीपी) की मांग पूरी  न होने से नाराज प्रोफेसर अब भाजपा के खिलाफ चुनाव में वोटिंग करेंगे। पदोन्नत प्रोफेसरों के एजीपी बढ़ाने की फाइल मंत्रालय में लंबे समय से चल रही थी। लेकिन भाजपा शासनकाल में एजीपी को लेकर कोई आदेश जारी नहीं हो पाया। ऐसे में नाराज प्रोफेसरों ने अब भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा के वे प्रत्याशी जो कम अंतर से विधानसभा सीट जीते थे, उन सीटों परे युवाओं को अपना हथियार बनाकर भाजपा के खिलाफ वोट करने का  अभियान चलाएंगे। नाराज प्रोफेसरों के भाजपा के खिलाफ होने से प्रदेश में चुनाव लड़ रही कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, बसपा, सपा जैसी पाॢटयों को फायदा हो सकता है।  

मालूम हो, प्रोफेसरों में अपने दस हजार के एजीपी को लेकर लंबे समय से विवाद चला रहा आ रहा है। इसको लेकर वे आपस में ही एक दूसरे को नीचे खीचने में लगे हुए हैं। वित्त विभाग भी प्रोफेसरों से जुड़ी एजीपी देने वाली फाइल को बारबार उच्च शिक्षा विभाग भेजकर अपना पल्ला झाड़ रहा है। छठवें वेतनमान से शुरू हुए एजीपी के विवाद को विभाग सांतवे वेतनमान तक भी नहीं सुलझा पाया है। यही कारण है हाईकोर्ट से शुरू हुआ एजीपी का विवाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुुंच गया है।

एमपीपीएससी से चयनित प्रोफेसरों के कारण नहीं बन पाई वरिष्ठता सूची

इस पूरे विवाद के पीछे 2012 में कराई गई एमपीपीएससी की भर्ती से आए 238 प्रोफेसर भी हैं जिनका सिलेक्शन आठ हजार एजीपी पर होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से दस हजार एजीपी हो गया है, लेकिन उन्हें तकलीफ पदोन्नत होने वाले प्रोफेसरों को मिलने वाले नौ हजार से दस हजार होने वाले एजीपी से है। उनका तर्क है कि वे एमपीपीएससी से सीधी भर्ती होकर आए हैं, तो एसोसिएट प्रोफेसर से पदोन्नत प्रोफेसरों को दस हजार एजीपी क्यों दिया जाए। उन्हें नौ हजार का एजीपी ही दिया जाए। जबकि पदोन्न प्रोफेसरों को दस हजार एजीपी मिलने से सीधी भर्ती के प्रोफेसर को कोई नुकसान नहीं हैं। यही कारण है कि एक दशक से प्रोफेसरों की वरिष्ठ सूची तैयार नहीं हो सकी है।  

इनका कहना है…
सरकार ध्यान देती को यह मामला कोर्ट नहीं पहुंचता। एजीपी न मिलने से प्रोफेसरों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त है जो चुनाव में स्पष्ट दिखाई देगा।

कैलाश त्यागी, अध्यक्ष
प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्याक संध्यक्ष

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button