डोल ग्यारस के चलते राजधानी में निकलेंगे चल समारोह, तैयारी पूरी
भोपाल
भाद्रपद शुक्ल पक्ष डोल ग्यारस जलझूलनी, परिवर्तिनी एकादशी व्रत शनिवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगा। इस अवसर पर विष्णु भगवान के वामन अवतार की पूजा की जाती है। मां चामुंडा दरबार के पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि भगवान विष्णु योग निद्रा के दौरान करवट लेते हैं, इसलिए इस एकादशी का नाम परिवर्तिनी एकादशी रखा गया है।
इस दिन रखे गए व्रत की भी खूब मान्यता है। कुछ स्थानों पर परिवर्तिनी एकादशी के भगवान श्रीकृष्ण के सूरज पूजा (जन्म के बाद होने वाले मांगलिक कार्यक्रम ) के रूप में मनाया जाता है। शहर में डोल ग्यारस के अवसर पर डोल ग्यारस उत्सव समिति की ओर से भव्य चल समारोह निकलने की 76 साल पुरानी परंपरा है,इस वर्ष भी धूमधाम से डोल ग्यारस का चल समारोह निकाला जाएगा।
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
पंडित विनोद गौतम ने बताया कि पुराणों में भी परिवर्तिनी एकादशी के व्रत का जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसे सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन विष्णु जी ने वामन अवतार की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने वाले के वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। महाभारत में भी परिवर्तिनी एकादशी के बारे में बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर और अर्जुन ने परिवर्तिनी एकादशी के बारे में बताते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से धन की कमी दूर होती है।