नई ‘नमो भारत’ ट्रेन: दिल्ली से पानीपत की यात्रा अब सिर्फ 60 मिनट में, जानिए कौन-कौन से स्टेशन होंगे

नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के शहरों को जोड़ने वाली हाई-स्पीड नमो भारत ट्रेन की रफ्तार अब और तेज होने वाली है। नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन यानी NCRTC ने दिल्ली-पानीपत रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के दूसरे चरण की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह कॉरिडोर न सिर्फ दिल्ली को पानीपत से जोड़ेगा, बल्कि भविष्य में करनाल तक विस्तार करेगा।

तेज रफ्तार की राह में पहला कदम
NCRTC ने इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए प्री-कंस्ट्रक्शन काम शुरू कर दिया है। केंद्र, दिल्ली और हरियाणा सरकारों से अंतिम वित्तीय मंजूरी का इंतजार होने के बावजूद, NCRTC ने टेंडर जारी कर दिए हैं और यूटिलिटी शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसका मतलब है कि बिजली की तारें, लो-टेंशन केबल और ट्रांसफॉर्मर जैसी चीजें, जो कॉरिडोर के रास्ते में आ रही हैं, उन्हें हटाने का काम जोर-शोर से शुरू हो गया है। नरेला से मुरथल तक 22 किलोमीटर के पहले हिस्से में यह काम शुरू हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया में करीब एक साल लग सकता है।

180 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेन
दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर RRTS नेटवर्क के तीन प्राथमिक कॉरिडोर में से एक है। यह 136 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर दिल्ली के सराय काले खां से शुरू होकर नरेला, कुंडली, सोनीपत, गन्नौर, समालखा और पानीपत तक जाएगा और बाद में करनाल तक विस्तार होगा। इसमें कुल 17 स्टेशन होंगे और ट्रेनें 180 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी। दिल्ली से पानीपत का सफर, जो अभी सड़क या पुरानी ट्रेनों से 2-3 घंटे लेता है, वह इस कॉरिडोर के शुरू होने के बाद 1 घंटे से भी कम समय में पूरा हो जाएगा।

सराय काले खां बनेगा RRTS का सुपर हब
सराय काले खां स्टेशन इस प्रोजेक्ट का दिल होगा। यह न सिर्फ दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर का शुरुआती स्टेशन होगा, बल्कि दिल्ली-मेरठ और दिल्ली-अलवर कॉरिडोर के लिए भी नोडल हब बनेगा। इस स्टेशन को मल्टीमॉडल हब के रूप में डिजाइन किया जा रहा है, जो दिल्ली मेट्रो, हजरत निजामुद्दीन ट्रांसपोर्ट इंटरचेंज और इंटर-स्टेट बस टर्मिनल से जुड़ेगा। यानी, एक ही जगह पर आपको ट्रेन, मेट्रो और बस, सब मिलेंगे।

ट्रैफिक जाम और प्रदूषण से मुक्ति
NCRTC के मुताबिक, यह कॉरिडोर हर दिन करीब एक लाख यात्रियों को सुरक्षित, आरामदायक और पर्यावरण के लिए बेहतर यात्रा का विकल्प देगा। दिल्ली-अंबाला हाईवे (NH-44) पर लगने वाले जाम से निजात मिलेगी और लोग सैटेलाइट शहरों में रहकर भी दिल्ली तक आसानी से आ-जा सकेंगे। इससे दिल्ली की भीड़-भाड़ कम होगी और आसपास के शहरों का विकास भी होगा।

 

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