राजस्थान में “नवोत्कर्ष विक्रम संवत 2081” कार्यक्रम आयोजित

जयपुर।

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि राष्ट्र कोई भूभाग भर नहीं होता है, यह संस्कृति और सनातन मूल्य से जुड़ा विचार है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र प्रथम है और बाद में सब है, इस मानसिकता का प्रसार किया जाए। उन्होंने कहा कि स्कूल में जो संस्कार मिलते हैं, उसी से भविष्य का विचार बनता है।

उन्होंने देश में मैकाले द्वारा प्रारंभ शिक्षा पद्धति की चर्चा करते हुए कहा कि इसके जरिए भारतीय संस्कृति को जड़ों से उखाड़ने के निरंतर प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को कभी कोई मिटा नहीं सकता क्योंकि यह हमारे रक्त में घुला है। बागडे रविवार को एक होटल में  "नवोत्कर्ष विक्रम संवत 2081"  कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को मिटाने का निरंतर प्रयोग होता रहा, पर यह जीवंत संस्कृति है। उन्होंने प्राचीन भारतीय आविष्कारों की चर्चा करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने आजादी से पहले गजट में लिखा है कि भारत में जितने गुरुकुल हैं, उतने ब्रिटेन में भी नहीं है। उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा,  गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, दशमलव के प्रयोग आदि की चर्चा करते हुए कहा कि वैदिक काल से हमने उन सिद्धांतों को स्थापित कर दिया जो बाद में पश्चिम ने अपने नाम किए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र का गौरवमय  इतिहास शिक्षा पद्धति से ही पता चलता है। भारतीयता के विचार से ही देश में नई शिक्षा नीति बनाकर लागू की गई है। इसे सभी प्रभावी रूप में क्रियान्वयन किया जाए। उन्होंने कहा कि जिस देश के लोग अपने इतिहास को  भूल जाते हैं, उनका भूगोल भी कम होता जाता है। इसलिए सनातन भारतीय  मूल्यों के लिए सभी मिलकर कार्य करें। भारत को विकसित राष्ट्र बनाएं। इस अवसर पर पूर्व सांसद श्री रामचरण बोहरा ने सभी का आभार जताया। राज्यपाल ने आरंभ में नवोत्कर्ष फाउंडेशन द्वारा प्राचीन भारत के गौरवमय शासकों, सनातन संस्कृति से जुड़ी चित्र प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

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