भाजपा सांसद शर्मा के बयान से मचा बवाल – ‘भोपाल मुसलमानों का नहीं, यह सम्राट अशोक की धरती है’
सांसद के बयान से इतिहास पर नया विवाद, कांग्रेस के विरोध से सियासत गरमाई

भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इतिहास और पहचान को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जिसने सियासी माहौल को गरमा दिया। देशभर में पाठ्यक्रमों में बदलाव को लेकर चल रही बहस के बीच भोपाल के भाजपा सांसद आलोक शर्मा ने एक सार्वजनिक मंच पर बयान दिया कि भोपाल केवल मुस्लिम नवाबों का शहर नहीं है, बल्कि यह सम्राट अशोक, परमार वंश के राजा भोज और गोंड रानी कमलापति का भोपाल है। इस बयान पर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने तीखा विरोध जताते हुए इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश करार दिया।
सांसदआलोक शर्मा ने अपने बयान में कहा, “भोपाल का 1000 साल से भी अधिक का गौरवशाली इतिहास रहा है। यह सम्राट अशोक की धरती है, जिन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के साथ इस क्षेत्र को ऐतिहासिक महत्व दिया। यह परमार वंश के महान राजा भोज का भोपाल है, जिनके शासनकाल में कला, संस्कृति और शिक्षा का विकास हुआ। साथ ही, यह रानी कमलापति का भोपाल है, जिन्होंने अपने शौर्य और नेतृत्व से इस क्षेत्र को समृद्ध किया।” शर्मा का यह बयान भोपाल की ऐतिहासिक पहचान को व्यापक परिप्रेक्ष्य में पेश करने की कोशिश माना जा रहा है, लेकिन इसने शहर की सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनाओं को छू लिया, जिससे विवाद ने तूल पकड़ लिया।
मुस्लिम समुदाय का कड़ा विरोध
सांसद के बयान के बाद मुस्लिम समुदाय ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। समुदाय के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि भोपाल को लंबे समय से ‘नवाबों का शहर’ कहा जाता रहा है, और इस बयान को वे शहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को कमतर करने की कोशिश मानते हैं। स्थानीय कार्यकर्ता सईद अहमद ने कहा, “भोपाल का इतिहास समावेशी रहा है, जिसमें सभी समुदायों का योगदान है। इसे किसी एक समुदाय या शासक वंश से जोड़कर परिभाषित करना ठीक नहीं है। नवाबों ने भोपाल को आधुनिक स्वरूप दिया, और उनकी विरासत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।” कुछ नेताओं ने इस बयान को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश करार देते हुए शहर के सामाजिक सौहार्द्र को खतरे में डालने का आरोप लगाया।
कांग्रेस का तीखा पलटवार
सांसद आलोक शर्मा के बयान पर मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तुरंत तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा, “आलोक शर्मा की बुद्धि पर तरस आता है। क्या वे सांसद हैं या सिर्फ बयानबाजी करने वाले नेता? उनके इस तरह के बयानों से भोपाल की शांति और सौहार्द्र को ठेस पहुंचती है। भोपाल सभी समुदायों का शहर है, और इसे केवल एक दृष्टिकोण से परिभाषित करना गलत है।” पटवारी ने आगे कहा, “भाजपा के इस तरह के बयानों से साफ है कि वे इतिहास को तोड़-मरोड़कर सियासी फायदा उठाना चाहते हैं। लेकिन भोपाल की जनता समझदार है, और वह बदलाव का समय लाएगी।” कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का फैसला किया है, जिससे सियासी तनाव और बढ़ गया है।
भोपाल का ऐतिहासिक परिदृश्य
इतिहासकारों के अनुसार, भोपाल की स्थापना करीब 1500 साल पहले गोंड शासकों ने की थी। 11वीं सदी में परमार वंश के राजा भोज ने इस क्षेत्र को सांस्कृतिक और शैक्षणिक केंद्र के रूप में स्थापित किया, जिससे इसका नाम उनके साथ जुड़ा। 14वीं सदी तक यह गोंड साम्राज्य का हिस्सा रहा। 17वीं सदी में गोंड रानी कमलापति के शासनकाल के दौरान अफगान सैनिक दोस्त मोहम्मद खान ने भोपाल पर कब्जा किया और इस्लामी शासन की नींव रखी। इसके बाद 1818 से 1949 तक भोपाल नवाबों के अधीन रहा। जिसके कारण इसे ‘नवाबों का शहर’ के रूप में पहचान मिली।