म्यांमार में पिछले साल आपदाओं में से 25,000 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त
म्यांमार में पिछले साल आपदाओं में से 25,000 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त
जलवायु लक्ष्यों को बाध्यकारी बनाने की तीन याचिकाओं पर यूरोपीय अदालत का मिला जुला फैसला
जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई के मानवाधिकार होने को लेकर यूरोपीय अदालत ने पहली बार फैसला सुनाया
यांगून
म्यांमार में वित्तीय वर्ष 2023-24 में मार्च के अंत तक आई आपदाओं ने 25,460 घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे 76,601 परिवार प्रभावित हुए है।
सामाजिक कल्याण, राहत और पुनर्वास मंत्रालय के तहत आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक डॉव ले श्वे सिन ऊ ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि म्यांमार में पिछले वित्तीय वर्ष में 2,016 आपदाएँ दर्ज की गईं, जिनमें आग से संबंधित 452 घटनाएँ, पानी से संबंधित 144, हवा से संबंधित 661 और 759 अन्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग ने प्रभावित लोगों को राहत सहायता के रूप में 2.9 अरब क्यात (10.38 लाख अमेरिकी डॉलर) से अधिक प्रदान किया था।
जलवायु लक्ष्यों को बाध्यकारी बनाने की तीन याचिकाओं पर यूरोपीय अदालत का मिला जुला फैसला
स्ट्रासबर्ग
यूरोप की शीर्ष मानवाधिकार अदालत ने छह पुर्तगाली युवकों और फ्रांस के एक मेयर द्वारा दाखिल उस मुकदमे को खारिज कर दिया जिसमें अनुरोध किया गया था कि देशों को अंतरराष्ट्रीय लक्ष्य हासिल करने के लिए ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने का आदेश दिया जाए। हालांकि, अदालत ने इसी तरह के कदम उठाने की मांग कर रहीं स्विट्जरलैंड की बुजुर्ग महिलाओं की याचिका का समर्थन किया।
यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने एक फ्रांसीसी मेयर, छह पुर्तगाली युवाओं और ‘सीनियर वूमेन फॉर क्लाइमेट प्रोटेक्शन’ की 2,000 से अधिक सदस्यों द्वारा दाखिल तीन मुकदमों में फैसला सुनाया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनकी सरकारें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं कर रही हैं।
तीनों याचिकाओं में पक्ष रख रहे वकीलों को उम्मीद थी कि स्ट्रासबर्ग की अदालत व्यवस्था देगी कि पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप, ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक सुनिश्चित करना राष्ट्रीय सरकारों का कानूनी कर्तव्य है। लेकिन यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय के अध्यक्ष, न्यायाधीश सियोफ्रा ओलेरी ने मिला-जुला फैसला दिया।
यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय के फैसले यूरोपीय परिषद के सभी 46 सदस्य देशों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन वे एक कानूनी मिसाल कायम करते हैं जिसके आधार पर भविष्य के मुकदमों का फैसला किया जा सकता है।
जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई के मानवाधिकार होने को लेकर यूरोपीय अदालत ने पहली बार फैसला सुनाया
स्ट्रासबर्ग
यूरोप की सर्वोच्च मानवाधिकार अदालत ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने का अंतरराष्ट्रीय दायित्व पूरा करने के लिए देशों को बाध्य किए जाने संबंधी छह पुर्तगाली युवाओं द्वारा दायर मामले को खारिज कर दिया, लेकिन इसी प्रकार के कदम उठाए जाने का आग्रह करने वाली स्विट्जरलैंड की महिलाओं के एक समूह का समर्थन किया।
यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने एक फ्रांसीसी मेयर, छह पुर्तगाली युवाओं और ‘सीनियर विमेन फॉर क्लाइमेट प्रोटेक्शन’ (जलवायु संरक्षण की वकालत करने वाली वरिष्ठ महिलाओं) की 2,000 से अधिक सदस्यों द्वारा दाखिल उन तीन मामलों पर फैसला सुनाया जिनमें कहा गया था कि उनकी सरकारें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पर्याप्त काम नहीं कर रहीं।
तीनों वादियों के वकीलों को स्ट्रासबर्ग अदालत द्वारा ये फैसले सुनाए जाने की उम्मीद थी कि देशों की सरकारों का यह कानूनी कर्तव्य है कि पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप, ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना सुनिश्चित किया जाए, लेकिन यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय की अध्यक्ष सियोफ्रा ओ’लेरी ने मिले-जुले निर्णय सुनाए।