होम लोन पर मिल सकती है और छूट, रिजर्व बैंक का संकेत
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नई दिल्ली
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) आने वाले महीनों में ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है। इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलने की उम्मीद है। विकसित देशों के केंद्रीय बैंक महंगाई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, लेकिन रिजर्व बैंक की प्राथमिकता फिलहाल विकास को बढ़ावा देना है। अलग ब्याज दरों में फिर से कटौती होती है तो इससे होम लोन, कार लोन आदि और सस्ते हो जाएंगे। साथ ही ईएमआई का बोझ भी कम होगा।
रिजर्व बैंक का मानना है कि महंगाई दर जल्द ही सरकार की ओर से तय सीमा के अंदर आ जाएगी। इसके लिए वह ब्याज दरों में कटौती के अलावा भी कई कदम उठा सकता है। ये बात मौद्रिक नीति समिति (MPC) की हालिया बैठक के विवरण से पता चलती है। यह बैठक शुक्रवार को हुई। बता दें कि इस महीने 5 से 7 फरवरी तक एमपीसी की बैठक हुई थी।
25 बेसिस पॉइंट की हुई है कटौती
रिजर्व बैंक ने 7 फरवरी को मीटिंग में लिए गए फैसलों की घोषणा की थी। उस समय केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी। यह अब 0.25% कम होकर 6.25% हो गया है। 5 साल में यह पहली बार था जब ब्याज दरों में कमी की गई। अब इसका असर दिखने लगा है। एसबीआई और पीएनबी समेत कई बैंक ब्याज दरें घटा चुके हैं और लोगों को सस्ता लोन मिल रहा है।
महंगाई पर कम पड़ेगा असर
MPC ने यह भी संकेत दिया कि वैश्विक व्यापार चुनौतियों का महंगाई पर बहुत कम असर पड़ेगा। साथ ही, ऊंची वास्तविक ब्याज दरें कर्ज की लागत को और कम करने का मौका देती हैं। वास्तविक ब्याज दर का मतलब है, ब्याज दर और महंगाई दर के बीच का अंतर। अगर ब्याज दर ज्यादा है और महंगाई कम है तो वास्तविक ब्याज दर ऊंची होती है।
क्या है रिजर्व बैंक का प्लान?
MPC के वे बाहरी सदस्य जो पिछली दो बैठकों में ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में थे, उनका मानना है कि मौजूदा मौद्रिक नीति बहुत सख्त है। कर्ज वृद्धि दर में गिरावट को देखते हुए खपत और निवेश को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कमी करना जरूरी है। यानी रिजर्व बैंक आने वाले दिनों में ब्याज दरों में और कमी कर सकता है।
'रेट कट का ये सबसे मुफीद समय'
रिजर्व बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी पहली MPC की बैठक में ब्याज दरों में कटौती का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात और महंगाई दर को देखते हुए यह ब्याज दरों में कमी करने का सही समय है। उनका मानना है कि कम ब्याज दरों से खेती-बाड़ी का विकास होगा, लोगों का खर्च बढ़ेगा, घरों में निवेश होगा और कंपनियां भी पूंजी निवेश करेंगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।