मोदी–पुतिन मुलाकात: यूक्रेन जंग, ऊर्जा सहयोग और रक्षा साझेदारी पर होगी अहम बातचीत

नई दिल्ली
भारतीय कंपनियों ने रूस से तेल की खरीद सीमित करने के साफ संकेत के बावजूद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा के दौरान कच्चे तेल (क्रूड) व्यापार प्रमुख मुद्दा बनेगा। दिसंबर के पहले हफ्ते में पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ सालाना सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति की तरफ से भारत को रूसी क्रूड की खरीद बढ़ाने के लिए हर संभव छूट देने की पेशकश होने के आसार हैं।
रूसी तेल व्यापार है भारत यात्रा का मुख्य मुद्दा
यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों से जूझ रही रूसी अर्थव्यवस्था के लिए भारत एक जीवन रेखा साबित हुआ है, लेकिन हाल के दिनों में भारत द्वारा रूसी तेल आयात में कमी ने मास्को को चिंतित कर दिया है। कूटनीतिक व उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि रूसी पक्षकारों ने पहले ही भारत को यह संकेत दिया है कि जिस तरह की छूट भारतीय तेल कंपनियों को पहले मिला करती थी, आगे वैसी ही छूट जारी रह सकती है। भारतीय तेल उद्योग के सूत्रों ने बताया कि हाल के दिनों में रूसी तेल आपूर्तिकर्ता कंपनियों के साथ विमर्श में यह बात साफ तौर पर सामने आई है कि वो किसी भी कीमत पर भारत जैसे बड़े ऊर्जा खरीददार देश को छोड़ना नहीं चाहते। रूस की योजना अगले दो दशक तक अपने सारे प्रमुख तेल उत्पादक फील्डों से तेल उत्पादन बढ़ाने की है।
भारत को तेल छूट जारी रखने की पेशकश
इस बढ़ते हुए उत्पादन की खपत तभी होगा जब भारत जैसे तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्था उसे खरीदे। पिछले दो वर्षों (2023-2025) में रूस की कुल कच्चे तेल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी नाटकीय रूप से बढ़ी है। 2021 में रूसी क्रूड भारत के कुल आयात का मात्र तीन फीसद था, जो 2024 तक 37 फीसद तक पहुंच गया। 2024-25 वित्तीय वर्ष में रूस भारत का सबसे बड़ा क्रूड आपूर्तिकर्ता बन गया, जिसकी हिस्सेदारी 35 फीसद रही।
अक्टूबर 2025 में भारत ने रूस के कुल तेल निर्यात का 38 फीसद हिस्सा लिया है जो चीन (47 फीसद) के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। इस वृद्धि का श्रेय डिस्काउंटेड रूसी तेल को जाता है, जिसने भारत की रिफाइनरियों, खासकर रिलायंस इंडस्ट्रीज की जामनगर रिफाइनरी को आकर्षित किया। कुल मिलाकर, 2024 में रूस से भारत को 67.15 अरब डॉलर का निर्यात हुआ, जिसमें क्रूड का योगदान प्रमुख था।अब स्थिति बदलने के संकेत हैं।
भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा क्रूड खरीदार
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने स्पष्ट रूप से रूसी क्रूड आयात बंद करने की घोषणा की है, जबकि कुल आयात दिसंबर में तीन साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच सकता है। भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा क्रूड खरीदार है और इसकी हिस्सेदारी खोने से रूसी तेल उद्योग पर भारी दबाव के संकेत मिलने लगे हैं। यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी-यूरोपीय प्रतिबंधों ने रूसी अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। 2025 में रूस का जीडीपी विकास दर एक फीसद से नीचे रहने का अनुमान है। महंगााई की दर आठ फीसद से ज्यादा है। यही वजह है कि रूस हर हाल में भारत से क्रूड कारोबार को जारी रखना चाहता है। रूस की तेल उद्योग की तरफ से दिया जाने वाले टैक्स वहां के कुल राजस्व का 40 फीसद होता है। भारत जैसे विशाल खरीददार का विकल्प अभी रूस को मिलना मुश्किल है।
एक तो यह प्रतिबंध की वजह से मुश्किल है और दूसरा, चीन के अलावा और किसी भी देश में इतनी ज्यादा तेल खरीदने की क्षमता नहीं है। पुतिन का चार साल बाद भारत आगमन हो रहा है। इसके पहले वह यूक्रेन-रूस युद्ध की शुरुआत (फरवरी, 2022) से ठीक पहले दिसंबर, 2021 में भारत आए थे।
रक्षा और ऊर्जा सहयोग पर चर्चा संभव
माना जाता है कि उस दौरे ने फरवरी, 2022 के बाद भारत की तरफ से रूस से ज्यादा कच्चे तेल की खरीद की जमीन तैयार की थी। अब जबकि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध समाप्ति की ठोस पहल अमेरिका और यूरोपीय देशों की तरफ से की जा रही हैं तब पुतिन फिर से नई दिल्ली में होंगे। अधिकारियों का कहना है कि आगामी भारत-रूस सालाना सम्मेलन में रक्षा व ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग सबसे मुद्दा होने जा रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय ने कहा भी है कि इस यात्रा का फोकस आर्थिक साझेदारी पर होगा।



