मोबाइल बना मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा, 73% लोग डिजिटल डिपेंडेंसी से पीड़ित

 इंदौर
 एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग द्वारा मोबाइल की लत से परेशान 500 लोगों पर किए गए अध्ययन के बेहद परेशान करने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं। इसके अनुसार मोबाइल अब सिर्फ एक तकनीकी उपकरण नहीं रह गया, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। अध्ययन के अनुसार 73 प्रतिशत लोग मोबाइल की लत यानी डिजिटल डिपेंडेंसी से पीड़ित पाए गए।

अत्यधिक मोबाइल उपयोग के कारण लोग बिना एहसास किए मूक अवसाद (साइलेंट डिप्रेशन) का शिकार हो रहे हैं। 80 प्रतिशत प्रतिभागियों में हल्का लेकिन लगातार चलने वाला अवसाद देखा गया। औसतन लोग प्रतिदिन सात घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं। यानी साल भर में करीब 1800 घंटे यानी पूरे 75 दिन मोबाइल पर निकल जाते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, मोबाइल न मिलने पर घबराहट (नोमोफोबिया), नींद में कमी, तनाव बढ़ना और बार-बार फोन चेक करने की मजबूरी जैसे व्यवहारगत लक्षण बढ़ते जा रहे हैं। बच्चों और किशोरों में इसका असर और भी गंभीर है। किशोरों में अवसाद का खतरा बढ़ रहा है और 10–14 वर्ष के बच्चों में दिमागी विकास प्रभावित हो रहा है।

मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं विकराल रूप ले लेंगी

अत्यधिक मोबाइल चलाने के कारण किशोरों में आत्मविश्वास में कमी और वास्तविक जीवन से दूरी बढ़ रही है। चूंकि, यह उम्र सीखने, समझने और सामाजिक कौशल विकसित करने की होती है, ऐसे में अत्यधिक स्क्रीन टाइम उनके भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसके लिए स्कूलों में एक मॉडल बनाने की आवश्यकता है। समय रहते यदि मोबाइल उपयोग पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो जल्द मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं विकराल रूप ले लेंगी।
उपाय

    फोन पार्किंग जोन बनाएं
    रोजाना मोबाइल उपयोग का समय तय करें।
    अनावश्यक एप्स के नोटिफिकेशन बंद कर दें। इससे बार-बार फोन देखने की आदत कम होगी।
    इंटरनेट मीडिया एप दिन में 2-3 बार ही खोलें। इनके उपयोग के लिए टाइम लिमिट सेट कर सकते हैं।
    रात में सोते समय मोबाइल को अपने बिस्तर से दूर रखें।
    दिनभर में कुछ ऐसा समय तय करें, जब मोबाइल से दूर रहेंगे। जैसे खाना खाते समय, पढ़ाई के समय या परिवार के साथ बैठते समय।
    खाली समय में मोबाइल के बजाय किताब पढ़ें, संगीत सुनें, वाक पर जाएं।
    घर में एक फोन पार्किंग जोन बनाएं, जहां सभी फोन रख दें और बार-बार हाथ में न लें।

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स्क्रीन टाइम करें कंट्रोल 

अपने बच्चे के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करने के लिए एक सीमित समय निर्धारित करें. उदाहरण के लिए, आप उन्हें दिन में केवल 1-2 घंटे के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करने की परमिशन दे सकते हैं.

स्मार्टफोन-फ्री एरिया बनाएं

अपने घर में एक स्मार्टफोन-फ्री एरिया बनाएं. उदाहरण के लिए, आप अपने डाइनिंग या बेडरूम में स्मार्टफोन का उपयोग बिल्कुल न करें. 

ऑफलाइन एक्टिविटीज पर ध्यान दीजिए

अपने बच्चे के लिए ऑप्शनल एक्टिविटीज का ऑप्शन दीजिए, जो उन्हें स्मार्टफोन से दूर रखें. उदाहरण के लिए, आप उन्हें खेल, बुक रीडिं, या कला बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं.

निगरानी रखें

अपने बच्चे के स्मार्टफोन का उपयोग करने पर निगरानी रखें. आप फोन में पैरेंट्ल कंट्रोल एप्लीकेशन इंस्टॉल कर सकते हैं जिससे आपका बच्चा फोन पर क्या देख रहा है, इसको आसानी से ट्रैक कर सकते हैं. 

रात में फोन चलाने से रोकें

अपने बच्चे के साथ बातचीत करें और उन्हें स्मार्टफोन की लत के बारे में समझाएं. इसके अलावा रात के समय बच्चे को फोन बिल्कुल न दें. इससे बच्चे की आंख और स्किन दोनों पर बुरा असर पड़ सकता है. 

फोन की लत से होने वाले नुकसान 

    नींद की कमी
    अवसाद
    चिड़चिड़ापन
    ध्यानकेंद्रित करने में परेशानी
    आत्मसम्मान की कमी

 

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