द इनसाइडर्स ब्रेकिंग: भोपाल-इंदौर में ‘धारा 16’ के बहाने अफसर नहीं कर पाएंगे अवैध वसूली, रोकने के लिए इसी सत्र में आएगा मेट्रोपॉलिटन रीजन बिल

मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में मेट्रोपॉलिटन नियोजन एवं विकास विधेयक 2025 पेश किया जाएगा।

कुलदीप सिंगोरिया | भोपाल
(दृश्य: भोपाल के पाश इलाके की एक आलीशान कोठी का ड्राइंग रूम — जहां चाय की प्याली में कॉलोनी काटने के सपने उबल रहे हैं)

स्थान: अरेरा कॉलोनी, भोपाल — मखमली परदों, एयर फ्रेशनर की खुशबू और कांच की टेबल पर रखी प्रॉपर्टी फाइलों के बीच ड्राइंग रूम में दो किरदार आमने-सामने हैं।
एक ओर AC के नीचे बैठा है बिल्डर साहब – ब्रांडेड कपड़ों में सजा हुआ, दूसरी ओर कुर्सी पर पसरकर बैठा है दलाल – कुर्ता-पायजामा पहने और गले में बोस का ब्लूटूथ टंगा हुआ।

बिल्डर (चाय की चुस्की लेते हुए):
भाई साहब, रायसेन रोड पर कॉलोनी प्लान की है। लोकेशन शानदार है – भोपाल से महज़ 20 किलोमीटर… हरियाली है और अब तो डैम का व्यू भी मिलेगा। बस… काम जल्दी शुरू करना है।
दलाल (कंधे उचकाते हुए, जैसे कोई पुरानी फाइल याद आ गई हो):
लोकेशन तो सोने की खान है… लेकिन झंझट वाला मामला है। अभी तक नया मास्टर प्लान नहीं आया, इसलिए T&CP एक्ट की धारा 16 के तहत परमिशन लेनी पड़ेगी।
बिल्डर (चौंकते हुए):
अरे हां, वही जिसमें फाइल संचालनालय स्तर की कमेटी तक जाती है?
दलाल (आवाज़ में रहस्य और अनुभव मिलाकर):
यही वो धारा है जिसमें “फाइल ऊपर गई तो नसीब नीचे आ जाता है!” अगर ऊपर सेटिंग नहीं हुई, तो एक दस्तखत की कमी से कॉलोनी ही ‘इनवैलिड’ हो जाएगी। कोई गारंटी नहीं। और खर्चा? कम से कम 10 लाख रुपये प्रति एकड़
बिल्डर (कुर्सी पर सीधा होते हुए):
“10 लाख प्रति एकड़? ये तो कॉलोनी काटने से पहले जेब काटने का प्लान लग रहा है!”
इतना खर्च करूंगा तो बेस कॉस्ट ही उड़ जाएगी। फिर तो मकान आम आदमी के बस से बाहर हो जाएगा।
दलाल (हँसते हुए):
भोपाल में अब ‘आम आदमी’ मकान नहीं खरीदता – वो किराए पर रहता है। घर तो निवेशक लेता है।
बिल्डर (गंभीर होकर):
मतलब बिना सेटिंग के कुछ नहीं होगा?
दलाल (बेपरवाह लहजे में):
धारा 16 में जेडी ऑफिस, सीटॉप, T&CP डायरेक्टर और राज्य स्तरीय समिति – समझ रहे हो न। कितने पेंच हैं?
बिल्डर (सिर खुजाते हुए):
ठीक है भाई… अपने पार्टनर से बात करके बताता हूं। अकेले इतना रिस्क नहीं ले सकता।
दलाल (जैसे अगली स्क्रिप्ट भी तैयार हो):
देख लो, अब भोपाल में ‘लैंड डीलिंग’ नहीं, ‘लीगल डीलिंग’ बिक रही है। प्रोजेक्ट कानून के कंधे पर टिका है और चलता है नोटों की बैटरी से।

(प्रकाश मद्धम हो जाता है। पर्दा गिरता है। लेकिन पर्दे के पीछे अब भी फाइलें घूम रही हैं और सेटिंग की सुगबुगाहट जारी है…)

यह दृश्य भले ही किसी थिएटर का हिस्सा लगे, लेकिन जो कोई भी भोपाल या इंदौर में कॉलोनी की अनुमति लेने निकला है, वो इस सीन से कम से कम एक बार तो जरूर गुजरा है। भोपाल और इंदौर में नया मास्टर प्लान रुका हुआ है। इसलिए नए प्लानिंग क्षेत्रों में T&CP एक्ट की धारा 16 के तहत अनुमति दी जाती है। यह प्रक्रिया इतनी जटिल है कि इसमें भ्रष्टाचार और मनमानी की अनेक शिकायतें सामने आती रही हैं। लेकिन अब इससे निजात मिलने वाली है। प्रदेश सरकार इसी मानसून सत्र में “मध्यप्रदेश मेट्रोपॉलिटन नियोजन एवं विकास विधेयक 2025” विधानसभा में पेश करने जा रही है। विधेयक पारित होते ही यह कानून बनेगा। इसके तहत नगर निगम सीमा से बाहर के क्षेत्रों में प्लानिंग और विकास अनुमति का नया ढांचा लागू होगा। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने द इनसाइडर्स को बताया कि सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। एक्ट लागू होते ही भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित किया जाएगा। आईए जानते हैं मेट्रोपॉलिटन रीजन कैसा होगा और इसके फायदे-नुकसान।

मेट्रोपॉलिटन रीजन क्या है?
भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने की योजना शुरू की गई है। अर्बन प्लानर प्रवीण भागवत बताते हैं कि यह कॉन्सेप्ट मेट्रो ट्रेन सिस्टम से अलग है, जो सिर्फ परिवहन से संबंधित है, जबकि मेट्रोपॉलिटन रीजन एक बड़ा प्रशासनिक और योजना क्षेत्र है, जिसमें बुनियादी ढांचे, आर्थिक विकास, और क्षेत्रीय समन्वय शामिल हैं। कुल मिलाकर मेट्रोपॉलिटन रीजन एक बड़ा शहरी क्षेत्र है, जिसमें केंद्रीय शहर और उसके आसपास के उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्र शामिल होते हैं।

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भोपाल और इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन का विस्तार
• भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन:
o क्षेत्रफल: लगभग 9,600 वर्ग किलोमीटर
o शामिल जिले: भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, और राजगढ़द्ध
o वर्तमान आबादी: लगभग 35 लाख, जो भविष्य में 60 लाख तक पहुंचने की संभावना है
o इसमें 13 तहसीलें शामिल हैं, जैसे भोपाल, सीहोर, और रायसेन, जो क्षेत्रीय विकास में योगदान देंगी।
• इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन:
o क्षेत्रफल: लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर
o शामिल जिले: इंदौर, देवास, उज्जैन, धार, और शाजापुर।
o वर्तमान आबादी: लगभग 55.6 लाख, जो भविष्य में 80 लाख तक पहुंच सकती है।
o इसमें पीथमपुर जैसे औद्योगिक केंद्र शामिल हैं, जो दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) से जुड़े हैं।

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• क्या होगा फायदा?
इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं का एकीकृत विकास
परिवहन नेटवर्क का विस्तार – मेट्रो, बस रैपिड ट्रांजिट, रिंग रोड
नई टाउनशिप और स्मार्ट इंडस्ट्रियल क्लस्टर की योजना आसान
भूमि उपयोग (Land Use) की बेहतर प्लानिंग
निवेश आकर्षण और रोजगार सृजन में वृद्धि
(जैसा अर्बन एक्सपर्ट मनोज सिंह मीक)

लागू कैसे होगा?
इस योजना को चार चरणों में लागू किया जाएगा:

1. प्रारंभिक योजना – इंदौर में यह चरण पूरा हो चुका है, भोपाल के लिए सलाहकार की नियुक्ति चल रही है। यह सलाहकार डीपीआर बनाएगा। जिसके आधार पर रीजन का कुल क्षेत्रफल तय होगा।
2. स्थिति विश्लेषण: मौजूदा बुनियादी ढांचे, आबादी, और संसाधनों का आकलन।
3. क्षेत्रीय और निवेश योजना: क्षेत्रीय विकास और निवेश के लिए रणनीति बनाना।
प्रशासनिक ढांचा:
• मेट्रोपॉलिटन योजना समिति (MPC): एक्ट बनने के बाद समिति वजूद में आएगी। यह क्षेत्रीय विकास की योजना बनाएगी।
• मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MRDA): बुनियादी ढांचे और परियोजनाओं का प्रबंधन करेगी।
• अध्यक्ष: समिति और अथॉरिटी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। समिति नगर निगम, शहरी निकायों, और जिला पंचायतों के साथ तालमेल बनाएगी। अथॉरिटी के उपाध्यक्ष विभागीय मंत्री होंगे। जबकि इसके सीईओ या एमडी सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी होंगे।
• समिति और अथॉरिटी काम क्या करेगी: समिति पूरे रीजन की अर्बन प्लानिंग करेगी। इसमें यह बताया जाएगा कि कौनसे क्षेत्र में किस तरह का विकास किया जाए। जबकि अथॉरिटी प्लान को अमल में लाने का काम करेगी। यानी कि यह प्लान में दी गई चीजों के आधार पर निर्माण की परमिशन जारी करने से लेकर विभिन्न विभागों में समन्वय और टाउन प्लानिंग स्कीम आदि लाने का काम करेगी।
• कानूनी प्रक्रिया: विधेयक को विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। इसके बाद नियम बनाए जाएंगे। और फिर नियुक्तियों का दौर शुरू होगा।

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सफल उदाहरण 
• मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (भारत): MMRDA ने 2 करोड़ से अधिक आबादी के लिए एकीकृत नियोजन किया, जिससे बुनियादी ढांचे और आर्थिक वृद्धि में सफलता मिली।
• मिनियापोलिस-सेंट पॉल, अमेरिका: 1967 में सात काउंटी की मेट्रोपॉलिटन काउंसिल बनाई गई, जिसने सीवर, परिवहन, और आवास जैसे क्षेत्रीय मुद्दों को हल किया और विकास को गति दी।
• पोर्टलैंड, अमेरिका: 1979 में मेट्रो सर्विस डिस्ट्रिक्ट बनाया गया, जिसने जमीन उपयोग, परिवहन, और आवास के लिए क्षेत्रीय ढांचा विकसित किया, जिससे शहरी विकास नियंत्रित हुआ।

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