असम के आदिवासी बहुल जिले में जमीन विवाद, हाईकोर्ट ने पूछा: निजी कंपनी इतनी बड़ी जमीन कैसे खरीद सकती है?

गौहाटी 

गौहाटी हाई कोर्ट ने असम के आदिवासी बहुल दीमा हसाओ जिले में एक प्राइवेट सीमेंट कंपनी को 3,000 बीघा (करीब 1,000 एकड़) जमीन आवंटित किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है और पूछा है कि एक निजी कंपनी 3,000 बीघा जमीन कैसे खरीद सकती है। हाई कोर्ट ने छठी अनुसूची के तहत आने वाले इस क्षेत्र के 22 निवासियों की एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक निजी कंपनी द्वारा इतने बड़े भू-भाग की खरीद से ‘परेशान और स्तब्ध’ हैं।

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा कि क्या इस परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी ली गई है। रिट याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कुमार मेधी और राज्य के महाधिवक्ता देबोजीत सैकिया के बीच इस बात पर लंबी बहस हुई कि क्या छठी अनुसूची क्षेत्र के उमरंगसो में कारखाना स्थापित करने के लिए महाबल सीमेंट को इतनी अधिक जमीन दी जानी चाहिए।
सुनवाई का यूट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण

इस सुनवाई का हाई कोर्ट के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया। सुनवाई के दौरान जस्टिस मेधी ने कहा, "अदालत 3,000 बीघा जमीन के आवंटन से परेशान है। हम सिर्फ़ यह रिकॉर्ड देखना चाहते हैं कि नीति कैसे बनाई गई।" इस दौरान असम के महाधिवक्ता सैकिया ने अदालत को बताया कि एक सीमेंट कंपनी ने 2 लाख रुपये प्रति बीघा की दर से जमीन खरीदी है। महाधिवक्ता के बार-बार अनुरोध के बाद, अदालत ने सरकार से 3 सितंबर को अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा।
जज बोले- मैं तो हैरान-परेशान

सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कुमार मेधी 3,000 बीघा की बात सुनकर हैरान रह गए! "पूरा जिला? क्या हो रहा है? एक निजी कंपनी को 3,000 बीघा जमीन दी जा रही है।" इस दौरान एनसी हिल्स स्वायत्त परिषद (NCHAC) के वकील, जिनके पास भूमि का अधिकार क्षेत्र है, ने दीमा हसाओ में एक सीमेंट कारखाने को 3,000 बीघा भूमि के आवंटन से संबंधित कुछ कागजात प्रस्तुत किए, लेकिन कोर्ट ने उन्हें पूरी फाइल पेश करने का निर्देश दिया, जिसमें छठी अनुसूची क्षेत्र में भूमि के बड़े हिस्से को निजी फर्म को आवंटित करने का निर्णय शामिल है।
पूरी फाइल पेश करने का आदेश

रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस मेधी ने कहा, "NCHAC के वकील ने कुछ कागजात पेश किए। पिछले आदेश का उद्देश्य कुछ कागजात देखना नहीं था, बल्कि उस फाइल को देखना था जिसमें जमीन के बड़े हिस्से को आवंटित करने का निर्णय शामिल है।" उन्होंने NCHAC को अगली सुनवाई में फाइल पेश करने का निर्देश दिया। महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी और उसने रिपोर्ट सौंप दी है।

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