खास खबर: मोदी सरकार के जल जीवन मिशन में गड़बड़ी की वजह से आत्महत्या कर रहे ठेकेदार, एमपी के ईएनसी का सनसनीखेज खुलासा,

मध्यप्रदेश के पीएचई विभाग के प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया ने केंद्र सरकार को लिखा - सुरक्षा निधि न मिलने से कई ठेकदारों के द्वारा आत्महत्या करने की सूचना

कुलदीप सिंगोरिया | मोदी सरकार की फ्लैगशिप स्कीम जल जीवन मिशन का लक्ष्य है हर घर जल पहुंचाना। लेकिन मध्यप्रदेश में यह मिशन जल की बजाय ठेकेदारों को आत्महत्या के दरवाजे पर ढकेल रहा है। यह बात हम नहीं कह रहे है बल्कि मध्यप्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया का पत्र कह रहा है। उन्होंने पत्र में केंद्र सरकार पर कई सनसनीखेज और गंभीर आरोप लगाए हैं।
पीएचई के ईएनसी सोनगरिया ने 27 सितंबर को जल जीवन मिशन के निदेशक को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने बताया है कि ठेकेदारों की सुरक्षा निधि की राशि में तकनीकी समस्या की वजह से इसका भुगतान नहीं हो पा रहा है। इसके चलते कई ठेकेदारों के द्वारा आत्यहत्या करने की सूचना दी जा रही है। भारत सरकार को ईएनसी कार्यालय और मध्यप्रदेश शासन के स्तर से बताया गया है कि सितंबर 2021 से पहले की एसडी, जीएसटी, इनकम टैक्स और रायल्टी आदि की राशि पीएफएमएस पोर्टल पर प्रदर्शित नहीं हो पा रही है। इसको लेकर मुख्यालय स्तर से लेकर निचले कार्यालयों तक प्रयास किए गए। राज्य के पीएफएमएस नोडल अधिकारी से भी संपर्क किया गया। प्रमुख अभियंता कार्यालय और शासन स्तर से कई बार स्मरण पत्र भी दिए गए लेकिन निराकरण नहीं हुआ। इसके चलते ठेकेदार कोर्ट जाने के लिए भी पत्र लिख रहे हैं। सोनगरिया ने पत्र में यह भी लिखा है कि संयुक्त लेखा महानियंत्रक पीएफएमएस नई दिल्ली को बताया गया था। यहां पर 10 महीने से ज्यादा बीत गए लेकिन कार्रवाई नहीं हुई है।

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क्या पीएचई बड़ा घोटाला दबा रहा है?
हमारे इनसाइडर्स ने बताया कि पीएचई विभाग ने ठेकेदारों की सुरक्षा निधि राशि जो कि करीब 450 करोड़ रुपए है, उसे कमीशन ऊगाही के लिए रेगुलर पेमेंट करने में खर्च कर दी है। अब जब ठेकेदार यह राशि मांग रहे हैं तो उन्हें पीएफएमएस पोर्टल का हवाला देकर शांत किया जा रहा है। जबकि पीएफएमएस पोर्टल पर तकनीकी समस्या सितंबर 2021 से पहले की है। लेकिन 2021 से लेकर अब तक हुए कामों में भी ठेकेदारों को सुरक्षा निधि नहीं दी जा रही है। द इनसाइडर्स ने इस शनिवार के अंक में इसका खुलासा किया था। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद यह पत्र बैक डेट से हड़बड़ी में लिखा गया है। वहीं, नाम न छापने पर इंदौर के एक ठेकेदार ने बताया कि पीएचई में पेमेंट के लिए बहुत परेशान किया जा रहा है। सितंबर 2021 से पहले के पेमेंट तो रुके ही हुए हैं, लेकिन इसके बाद वाले पीरियड के लिए भी अफसर टाल-मटोली कर रहे हैं।

पत्र की भाषा और टाइमिंग पर भी सवाल
1. आत्महत्या का Email 7 जून का है और इएनसी ने पत्र लगभग 100 दिन बाद 27 सितम्बर को भेजा। इतने दिन का इंतजार क्यों किया?
2. एक पत्र 16.05.2022 को लिखा गया जिसमें बाद की तारीख 27.05 2022 के ड्राफ्ट का जिक्र है। यह कैसे संभव है कि 16 तारीख को ही 27 तारीख के ड्राफ्ट का जिक्र आ जाए।
3. मंजिल की जगह पर मंजील लिखा गया। जनेरेट शब्द बिना मतलब लिखा गया। इसी तरह, एक ही वाक्य में अनुरोध शब्द दो बार लिख दिया गया।

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खास खबर ( द इनसाइडर्स) की केके सोनगरिया से सीधी बात
सवाल : आपने केंद्र सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि ठेकेदार आत्महत्या करने की सूचना दे रहे हैं। ऐसे कौनसे ठेकेदार हैं?
जवाब : आप वर्ड टू वर्ड पर मत जाइए। वो तो मैंने ऐसे ही लिख दिया। दरअसल, ठेकेदार मेरे पर आकर तरह-तरह की बात करते हैं। वैसे, ठेकेदार सही भी हैं। उनका पैसा है, उन्हें मिलना ही चाहिए। और ऐसा लिखने से केंद्र सरकार पर दबाव भी बनेगा।
सवाल : सितंबर 2021 से 2024 तक के मामलों में भी ठेकेदारों की एसडी राशि नहीं लौटाई जा रही है?
जवाब : ऐसी तो कोई बात नहीं है। हमारे पास पैसा है। जो मांगता है, दे देते हैं।
सवाल : ठेकेदारों द्वारा बताया जा रहा है कि एसडी की राशि से दूसरे पेमेंट कर दिए गए हैं।
जवाब : ऐसा नहीं हुआ है। हमारे पास भरपूर पैसा है। लेकिन ठेकेदार को एसडी तभी मिलेगी जबकि उसका फाइनल पेमेंट हुआ हो।
सवाल: तो फिर आपने एसडी की राशि को दूसरी जगह पेमेंट करने के लिए वित्त विभाग से अनुमति क्यों मांगी थी।
जवाब : मैंने कोई अनुमति नहीं मांगी।

खास खबर नॉलेज पार्ट

सुरक्षा निधि : ठेकेदार के कार्य के हर बिल से 5% राशि काट ली जाती है। इसे ही सुरक्षा निधि (SD) कहा जाता है। ये ठेकेदार की ओर से एक निश्चित अवधि के लिए कार्य की गुणवत्ता की गारण्टी होती है। और डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड ( जो अक्सर एक साल होता है) के पूर्ण होने पर ठेकेदार को वापिस दे दी जाती है।
पब्लिक फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) : यह भारत सरकार का एक सॉफ्टवेयर है। इसके माध्यम से सारे भुगतान ठेकेदार/वेंडर को किए जाते हैं। इसमें से कटोत्रा राशि (सुरक्षा निधि,INCOME TAX,GST आदि ) काट कर अलग रख ली जाती है। इस कटी हुई GST और INCOME TAX राशि का हर महीने कार्यपालन यंत्री चालान जमा कर देता है जो फिर केंद्र/राज्य शासन के सम्बंधित खाते में चली जाती है। वहीं, सुरक्षा निधि जो ठेकेदार की राशि है जमा रहती है, जब तक डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड पूर्ण नहीं हो जाता। लेकिन पीएफएमएस में तकनीकी बदलावों के कारण सितम्बर 2021 के पहले के कटोत्रे सिस्टम पर नहीं दिख रहे। इसी वजह से ठेकेदारों को सुरक्षा निधि वापस नहीं की जा रही है। हालांकि, अक्टूबर 2021 के बाद के सारे दिख रहे हैं। फिर, सितम्बर21 के पहले की तकनीकी समस्या की आड़ में अपनी अनियमितता छिपा कर केंद्र सरकार पर दोषारोपण किया गया है।

 

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