शादी की तैयारी? जुलाई में तीन अद्वितीय मुहूर्त
मई-जून में मुहूर्त ना होने से विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं हो पाएंगे। दरअसल इन महीनों में शुक्र और गुरु तारा अस्त रहने वाले हैं इसलिए 28 अप्रैल से 7 जुलाई तक विवाह मुहूर्त नहीं हैं। ज्योतिषियों के अनुसार शुक्र ग्रह 28 अप्रैल से पूर्व दिशा में अस्त हो गए हैं। गुरु ग्रह भी 6 मई को अस्त हो चुके हैं। विवाह के लिए गुरु और शुक्र तारा का उदित होना महत्वपूर्ण होता है। ग्रहों के अस्त होने के कारण मुंडन, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, उपनयन संस्कार के मुहूर्त नहीं हैं। शास्त्रों में मांगलिक कार्यों के वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में होने की बड़ी महिमा बताई गई है, ऐसी स्थिति लगभग दो दशकों के बाद आई है।
अक्षय तृतीया अबूझ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि शास्त्रों में तीन अबूझ मुहूर्त बताए गए हैं। इनमें से एक अबूझ मुहूर्त 10 मई को अक्षय तृतीया तिथि पर मिल रहा है। इस दिन लोग विवाह, वर वरण, कन्या वरण, तिलकोत्सव, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य कर सकते हैं। माना जाता है कि इस दिन कोई भी शुभ काम करने के लिए पंचांग देखने की जरूरत नहीं है। पुराणों में अक्षय तृतीया को बहुत ही पुण्यदायी तिथि माना गया है। इस दिन जो कुछ भी पुण्य कार्य किए जाते हैं, उनका फल अक्षय होता है यानी कई जन्मों तक इसका लाभ मिलता है। यह सभा मुहूर्त में अत्यंत ही शुभ माना जाता है, इस दिन का हर पल हर घड़ी शुभ होता है।
गुरु 6 व शुक्र ग्रह 28 जून को होंगे उदय
ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि गुरु ग्रह का उदय 3 जून को पूर्व दिशा में और शुक्र ग्रह का उदय 7 जुलाई को पश्चिम दिशा में होगा। ऐसे में 11 जुलाई, 12 जुलाई और 14 जुलाई इन तीन दिनों में ही विवाह का मुहूर्त निकल रहे हैं। आचार्यों ने बताया कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की हरिशयनी एकादशी, 17 जुलाई से चतुर्मास भी शुरू हो जाएगा। इसके चार महीनों में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे लेकिन पंजांब, हरियाण, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, राजस्थान में चातुर्मास के दौरान भी विवाह आदि भी संपन्न किए जाते हैं इसलिए मुहूर्त के लिए किसी ज्योतिषिय से सलाह अवश्य लें। फिर कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की देवोत्थानी एकादशी, 12 नवंबर को चतुर्मास समाप्त हो जाएगा। उसके बाद के विवाह के मुहूर्त पंचांग में दिए गए हैं।
अच्छी मैरिड लाइफ के लिए गुरु और शुक्र का उदय होना जरूरी
गुरु कन्या सुख कारक तो शुक्र ग्रह पति सुख कारक ग्रह माना गया है इसलिए शादी विवाह में गुरु और शुक्र का उदित होना जरूरी होता है। गुरु वैवाहिक जीवन तो शुक्र ग्रह दांपत्य जीवन के कारक ग्रह हैं इसलिए इनके अस्त होने पर विवाह नहीं होते। दोनों ग्रहों का शुभ विवाह के लिए उदय होना शास्त्र सम्मत माना जाता है। गुरु और शुक्र ग्रह को शुभ ग्रह माना गया है और अच्छी मैरिड लाइफ के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। जब ये ग्रह सूर्य के नजदीक जाते हैं, तब इनका असर कम होने लगता है। गुरु ग्रह इस वक्त वृषभ राशि में अस्त हैं तो शुक्र ग्रह मेष राशि में अस्त हैं और वहीं सूर्य 14 मई को मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में गोचर कर जाएंगे इसलिए सूर्य के आसपास होने से ये दोनों ग्रह अस्त हो गए हैं।