जापान की कंपनी ने चेन्नई में एक प्लांट 5 साल की लीज पर लिया, iPhone के लिया मल्टीलेयर सिरेमिक कैपेसिटर बनाएगी

चेन्नई
अमेरिका और चीन की लड़ाई में भारत को फायदा हो रहा है। आईफोन बनाने वाली अमेरिका की दिग्गज कंपनी ऐपल चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए अपनी सप्लाई चेन को डाइवर्सिफाई कर रही है। इसी कड़ी में आईफोन के पुर्जे बनाने वाली जापानी कंपनी मुराता अपने कुछ प्रोडक्शन को भारत शिफ्ट करने पर विचार कर रही है। क्योटो की यह कंपनी मल्टीलेयर सिरेमिक कैपेसिटर (MLCC) बनाती है। कंपनी अभी 60 फीसदी उत्पादन जापान में ही करती है लेकिन बढ़ती मांग को देखते हुए उसने भारत में प्रोडक्शन शिफ्ट करने की योजना बनाई है। चीन और अमेरिका के बीच चल रही तनातनी के कारण उनसे चीन जाना मुनासिब नहीं समझा।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुराता के प्रेजिडेंट नोरियो नाकाजिमा ने कहा कि कंपनी भारत में अपने निवेश की गति बढ़ाने के लिए सिमुलेशन चला रही है। नाकाजिमा ने कहा, 'हम अपने नवीनतम कैपेसिटर ज्यादातर जापान में बना रहे हैं, लेकिन ग्राहक व्यावसायिक निरंतरता योजना के उद्देश्यों के कारण अधिक विदेशों में ज्यादा निर्माण करने के लिए कह रहे हैं।' मुराता के पार्ट्स लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में पाए जाते हैं। ऐपल और सैमसंग के स्मार्टफोन से लेकर एनवीडिया के सर्वर और सोनी के गेम कंसोल तक में इनका इस्तेमाल होते हैं। कंपनी ने नासा के एक हेलिकॉप्टर को मंगल ग्रह पर भेजने में भी मदद की है।

भारत क्यों?

मुराता फिलहाल अपने लगभग 60% MLCC जापान में बनाती है। लेकिन नाकाजिमा का कहना है कि यह रेश्यो आने वाले वर्षों में 50% के करीब आ सकता है। मुराता दुनिया की अग्रणी कैपेसिटर सप्लायस है। कैपेसिटर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिजली की आपूर्ति को नियंत्रित करते हैं। ऐपल चीन से बाहर अपने प्रोडक्शन को डाइवर्सिफाई कर रही है। हाल ही में उसने भारत में अपने एयरपॉड्स वायरलेस ईयरफोन का परीक्षण के तौर पर उत्पादन शुरू किया है। चीन के कई मिड-रेंज स्मार्टफोन मेकर्स के भी भारत में और प्लांट खोलने की उम्मीद है।

मुराता ने तमिलनाडु के वनहब चेन्नई इंडस्ट्रियल पार्क में एक प्लांट किराए पर लिया है। कंपनी अगले वित्त वर्ष में इस प्लांट से सिरेमिक कैपेसिटर की पैकेजिंग और शिपिंग की योजना बना रही है। मुराता भारत में एक बड़ा प्लांट लगाने से पहले देश में लॉन्ग-टाइम डिमांड की थाह लेने के लिए 1 अरब येन (66 लाख डॉलर) में पांच साल का पट्टा ले रही है। भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स की उपभोक्ता मांग बढ़ रही है। जब भारत घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए नए प्रोत्साहन पेश करेगा तो हमें तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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